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शीर्ष पर बने रहना बड़ी चुनौती-धोनी

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हमें फॉलो करें महेन्द्र सिंह धोनी
नई दिल्ली , रविवार, 27 दिसंबर 2009 (22:17 IST)
भारतीय कप्तान महेंद्रसिंह धोनी ने अगले 11 महीनों में चार से अधिक टेस्ट मैच खेलने की आशा व्यक्त करते हुए रविवार को कहा कि उनकी टीम के लिए अब सबसे बड़ी चुनौती आईसीसी टेस्ट चैम्पियनशिप की 'गदा' अपने कंधों पर कायम रखने की होगी।

धोनी ने भारतीय टीम के टेस्ट क्रिकेट नंबर एक बनने पर रविवार को यहाँ आईसीसी मुख्य कार्यकारी हारून लोर्ट से टेस्ट चैम्पियनशिप गदा हासिल करने के बाद कहा कि टेस्ट क्रिकेट खेल के सभी प्रारूपों में सबसे कड़ा है। मुझे भारतीय कप्तान और उस पर भी भारतीय होने पर गर्व है कि हम दुनिया की नंबर एक टेस्ट टीम बने हैं, लेकिन हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती इस पोजीशन को बरकरार रखना होगा।

भारतीय कप्तान से जब पूछा गया कि अगले एक साल में टीम को केवल चार टेस्ट मैच खेलने हैं तो ऐसे में क्या नंबर एक पर बने रहना बहुत मुश्किल होगा, उन्होंने कहा कि जो भी टेस्ट तय किए गए हैं, हम उससे बँधे हुए हैं, लेकिन मुझे विश्वास है कि हम सिर्फ चार नहीं बल्कि इससे अधिक टेस्ट मैच खेलेंगे।

भारतीय टीम को अगले 11 महीने में केवल बांग्लादेश के खिलाफ दो टेस्ट मैच खेलने हैं, जबकि उसने दक्षिण अफ्रीका के सामने अगले साल फरवरी में दो टेस्ट मैच खेलने का प्रस्ताव रखा है। क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका ने अभी तक इस पर हामी नहीं भरी है।

धोनी ने टीम की सफलता के राज का खुलासा करते हुए कहा कि प्रत्येक खिलाड़ी का दूसरे खिलाड़ी की सफलता में हिस्सेदार बनना और ड्रेसिंग रूम में अच्छे माहौल के कारण टीम को अच्छी सफलताएँ हासिल करने में मदद मिली।

उन्होंने कहा कि भारतीय क्रिकेटर के लिए सबसे बड़ा मुश्किल काम अपने खेल का लुत्फ उठाना होता है क्योंकि उस पर अपेक्षाओं का बहुत दबाव होता है, लेकिन हमने क्रिकेट का भरपूर लुत्फ उठाने की कोशिश की। इसके अलावा ड्रेसिंग रूम का माहौल बहुत अच्छा है तथा प्रत्येक खिलाड़ी हरेक को सफल होते हुए देखना चाहता है। यह इस पर निर्भर करता है कि यदि वीरू (वीरेंद्र सहवाग) ने 50 रन बनाए तो गौतम गंभीर और ईशांत शर्मा उसका कितना मजा लेते हैं।

भारतीय कप्तान ने इसके साथ ही नंबर एक बनने का श्रेय पूरी टीम को दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय टीम के लिए यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। हम पिछले दो सालों में कई टीमों से जीते हैं, लेकिन हमें आगे इसे कायम रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी और लगातार अच्छा प्रदर्शन करना होगा। धोनी ने इसके साथ ही स्वीकार किया कि जहीर खान के साथ दूसरे छोर से उपयुक्त जोड़ीदार नहीं मिलना भारतीय टीम के लिए थोड़ी चिंता का विषय है।

उन्होंने कहा कि ईशांत शर्मा इस समय अच्छी फार्म में नहीं चल रहे हैं, लेकिन हमें उनकी प्रतिभा पर संदेह नहीं है। यह उनके लिए संक्रमण का दौर है, लेकिन यह हमारे लिए थोड़ी चिंता का विषय है। इसे बहुत बड़ी चिंता नहीं कहा जा सकता। ईशांत बाहर हुआ तो श्रीसंत आया और हमें यह पता है कि हमारे पास प्रतिभा मौजूद है।

धोनी ने इसके साथ ही स्वीकार किया कि सिर्फ उन्हीं पर नहीं बल्कि टीम के सभी खिलाड़ियों पर दबाव होता है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक क्रिकेटर को दबाव के दौर से गुजरना पड़ता है, जो चोटी के खिलाड़ी हैं, उन पर अपने करियर रिकॉर्ड के अनुसार प्रदर्शन करने का दबाव होता है। इस अवसर पर लोगर्ट ने उम्मीद जताई कि धोनी और उनकी टीम आगे भी नंबर एक बनी रहेगी।

उन्होंने कहा कि पिछले साल अक्टूबर में भारत तीसरे नंबर पर था, लेकिन इसके बाद वह दुनिया की चोटी की टीमों से भिड़ा। उसने जिस तरह का प्रदर्शन किया, उसमें उनकी कड़ी मेहनत, कौशल और प्रतिभा साफ झलकती है। आशा है कि धोनी और उनकी टीम आगे भी ऐसा ही प्रदर्शन करके टेस्ट क्रिकेट का रोमांच बनाए रखेगी।

उन्होंने कहा कि भारत इस पुरस्कार का पूरा हकदार था क्योंकि उसने पिछले 14 महीनों में ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और श्रीलंका के खिलाफ शानदार प्रदर्शन किया। सहवाग भी इस समारोह में मौजूद थे और उन्होंने कोच गैरी कर्स्टन की सीख और कप्तान धोनी के कुशल नेतृत्व को भी टीम की लगातार सफलताओं का श्रेय दिया।

उन्होंने कहा कि मुझे गर्व है कि मैं दुनिया की नंबर टीम का हिस्सा और हम लंबे समय तक इस पर बने रहने की कोशिश करेंगे। इसके लिए धोनी ओर कर्स्टन को विशेष श्रेय जाता है, जिन्होंने टीम को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई। (भाषा)

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