श्रीलंका और इंग्लैंड ने यहां होने वाली दो टेस्ट मैचों की सिरीज के लिए अंपायर निर्णय समीक्षा प्रणाली (डीआरएस) के इस्तेमाल पर अपनी सहमति दे दी है। हालांकि यहां हॉट स्पॉट तकनीक उपलब्ध नहीं होगी, जिससे कैच पकड़ने पर निर्णय के लिए 'स्निकोमीटर' पर निर्भर रहना होगा।
श्रीलंका क्रिकेट (एसएलसी) के सचिव निशांता रणतुंगा ने कहा कि बॉल ट्रैकिंग तकनीक हॉक आई की निर्माता कंपनी की ओर से उपलब्ध कराई जाएगी।
उन्होंने बताया कि इस सिरीज में भी उसी डीआरएस प्रणाली का उपयोग किया जाएगा, जिसे गत वर्ष ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ श्रीलंका की घरेलू सिरीज में उपयोग किया गया था।
कुछ समय पहले तक इस बारे में संदेह व्यक्त किया जा रहा था कि आर्थिक तंगी से जूझ रही एसएलसी इस प्रणाली का उपयोग करने में असमर्थ है ऐसे में आगामी सिरीज में इस तकनीक का उपयोग संभव नहीं होगा। हालांकि इस सिरीज में महंगी हॉट स्पॉट तकनीक का उपयोग नहीं किया जाएगा।
गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद.आईसीसी. ने गत वर्ष अक्टूबर में सिरीज में हिस्सा ले रहे देशों पर ही डीआरएस प्रणाली के उपयोग करने या नहीं करने का निर्णय छोड़ दिया था।
गत वर्ष श्रीलंका में डीआरएस प्रणाली का उपयोग किया गया था और इस दौरान हॉक आई की निर्माता कंपनी ने इस बात को स्वीकारा था कि इस दौरान ट्रैकिंग सिस्टम में गलती हुई थी, जिससे ऑस्ट्रेलियाई ओपनर फिल ह्यूज को आउट दे दिया गया था।
इंग्लैंड भी हॉट स्पॉट तकनीक पर संदेह व्यक्त कर चुका है1गत वर्ष भारत के खिलाफ घरेलू सिरीज में स्टुअर्ट ब्रॉड ने भी हॉट स्पॉट तकनीक को पूरी तरह पारदर्शी नहीं बताया था। (वार्ता)