हौंसले बुलंदी के सातवें आसमान पर, कूवत कभी जमीन कभी आसमान, एक के इरादे इतिहास दोहराने के और दूसरे के नया इतिहास रचने के। जिक्र क्रिकेट के महासंग्राम के आखिरी तिलिस्म पर खड़े ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका का है।
श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया फटाफट क्रिकेट का ताज पहनने की आखिरी जंग के लिए जब शनिवार को एक दूसरे के रूबरू होंगे तो क्रिकेटप्रेमियों के जेहन में 1996 विश्व कप फाइनल की यादें ताजा हो जाएँगी।
लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम पर 17 मार्च 1996 को खेले गए उस खिताबी मुकाबले में अरविंद डिसिल्वा के तूफानी फॉर्म की बदौलत श्रीलंका ने ऑस्ट्रेलिया को सात विकेट से पटखनी दी थी।
11 बरस बाद फिर रणभेरी बज चुकी है। इस दरमियान श्रीलंका एक बार भी खिताब के इतने नजदीक नहीं पहुँचा, जबकि ऑस्ट्रेलिया की नजरें लगातार तीसरा विश्व कप जीतकर नया रिकॉर्ड बनाने पर लगी हैं। उस समय श्रीलंकाई बल्लेबाजों की तूती बोली थी तो आज दौर उसके गेंदबाजों का है।
उस ऑस्ट्रेलियाई टीम के दो रणबांकुरे मौजूदा टीम में भी हैं। रिकी पोंटिंग कप्तान हैं तो अपना आखिरी मैच खेलने जा रहे ग्लेन मैग्राथ 25 विकेट चटकाकर टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी की दौड़ में सबसे आगे हैं।
वहीं चमिंडा वास मुथैया मुरलीधरन और सनथ जयसूर्या 1996 की खिताबी जीत के साक्षी रहे थे और इस बार भी यदि इस एशियाई शेर को खिताब जीतना है तो पूरा दारोमदार इसी तिकड़ी पर होगा।
उस समय श्रीलंका के गुरू द्रोर्णं रहे डेव व्हाटमोर इस बार बांग्लादेशी खेमे में नजर आए। ऑस्ट्रेलिया के ही टॉम मूडी ने इस बार टीम को फाइनल तक की राह दिखाई।
11 साल पहले श्रीलंका की जीत का सेहरा अरविंद डिसिल्वा के सिर बंधा था, जिन्होंने नौ ओवर में 42 रन देकर तीन विकेट चटकाए दो कैच लपके और बाद में 124 गेंद में 13 चौकों की मदद से 107 रन की पारी खेली थी। उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में 448 रन बनाए थे। डिसिल्वा अब टीम में नहीं हैं, लेकिन उनके साथी जयसूर्या का फॉर्म शबाब पर है।
सलामी जोड़ीदार रमेश कालूवितरणा के साथ मिलकर फटाफ ट क्रिकेट में शुरूआती ओवरों में बल्लेबाजी की नई परिभाषा गढ़ने वाले जयसूर्या 1996 में 'मैन ऑफ द टूर्नामेंट' रहे थे। इस विश्व कप में वह अब तक 404 रन बना चुके हैं।
वास ने 13 और फिरकी के जादूगर मुरली ने 23 विकेट चटकाए हैं। सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ चार विकेट लेने वाले मुरली से ज्यादा विकेट इस टूर्नामेंट में सिर्फ मैग्राथ के नाम हैं।
भारत और पाकिस्तान के साथ सह मेजबानी में खेले गए 1996 विश्व कप के सेमीफाइनल में श्रीलंकाई शेरों ने कोलकाता के ईडन गार्डन पर भारत को मैच पूरा हुए बिना हराया था। श्रीलंका के आठ विकेट पर 251 रन के जवाब में भारत के आठ विकेट 35वें ओवर में 120 रन पर उखड़ गए तो दर्शकों ने मैदान पर बोतलें फेंकनी शुरू कर दी।
खिलाड़ी करीब 20 मिनट के लिए मैदान से बाहर गए लेकिन लौटने पर भी दर्शकों का उपद्रव जारी रहा तो मैच रैफरी क्लाइव लॉयड ने श्रीलंका को जीत दे दी। यह किसी टेस्ट या वन-डे में इस तरह का पहला मामला था।
वहीं मोहाली में दूसरे सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने वेस्टइंडीज को पाँच रन से शिकस्त दी थी। इस बार दुनिया की दूसरे नंबर की टीम दक्षिण अफ्रीका को हराकर ऑस्ट्रेलिया फाइनल में पहुँचा है।
1996 के फाइनल में श्रीलंकाई कप्तान अर्जुन राणातुंगा ने टॉस जीतकर क्षेत्ररक्षण का फैसला किया था। ऑस्ट्रेलिया का पहला विकेट मार्क वॉ के रूप में 36 के स्कोर पर वास ने चटकाया। इसके बाद मार्क टेलर (74) और पोंटिंग (45) ने विश्व कप फाइनल में रिकॉर्ड 101 रन की साझेदारी करके टीम को 50 ओवर में सात विकेट पर 241 रन तक पहुँचाने में सफल रहे।
डिसिल्वा ने टेलर पोंटिंग और इयान हीली के महत्वपूर्ण विकेट चटकाए। श्रीलंका की शुरुआत अच्छी नहीं रही और नौ रन बनाकर जयसूर्या के पैवेलियन लौटने से उसे करारा झटका लगा।
इसमें 11 रन ही जुड़े थे कि कालूवितरणा को डेमियन फ्लेमिंग ने माइकल बेवन के हाथों कैच करा दिया। इसके बाद डिसिल्वा और असांथा गुरूसिंघा ने संभलकर खेलते हुए 125 रन की साझेदारी की।
डिसिल्वा उस समय विश्व कप फाइनल में शतक जड़ने वाले लायड (1975 में 102 और 1979 में 138 रन) के बाद दूसरे बल्लेबाज बन गए। उन्होंने राणातुंगा के साथ भी 97 रन की साझेदारी की। श्रीलंका ने 46.2 ओवर में तीन विकेट पर 245 रन बनाकर पहली बार विश्व कप अपने नाम किया।
इस बार भी सामने वही प्रतिद्वंद्वी है जिस पर तीसरी बार खिताब जीतने का जुनून सवार है। बड़े मैचों के बादशाह ऑस्ट्रेलिया के अभेद दुर्ग में सेंध लगाकर चमचमाती ट्रॉफी हासिल करने के लिए उसे मैग्राथ रूपी चट्टान को पार करना होगा। खिताब जो भी जीते क्रिकेटप्रेमियों को एक बार फिर मनोरंजक मुकाबले की सौगात मिलने जा रही है।