श्रीलंकाई चीतों ने दूसरी बार विश्व कप क्रिकेट टूर्नामेंट के फाइनल में प्रवेश कर लिया। मंगलवार को खेले गए सेमीफाइनल मुकाबले में उसने न्यूजीलैंड को 81 रनों से पराजित किया।
लंका की इस जीत में माहेला जयवर्द्धने की कप्तानी पारी (नाबाद 115) के अलावा स्पिन के शहंशाह मुरलीधरन की जादुई गेंदबाजी और जयसूर्या की सटीक गेंदबाजी विशेष उल्लेखनीय रही। सलामी बल्लेबाज उपुल तरंगा ने भी 73 रनों का योगदान दिया, जिसकी वजह से श्रीलंका 50 ओवरों में 5 विकेट खोकर 289 रन बनाने में सफल रहा।
1996 के चैम्पियन श्रीलंका ने न्यूजीलैंड के सामने जीत के लिए 290 रनों का लक्ष्य रखा था, लेकिन पूरी टीम 41.4 ओवरो में 208 रनों पर सिमट गई। मुरलीधरन ने 8 ओवरों में 31 रन देकर 4 विकेट लिए। जयसूर्या 57 रन देकर 2 और दिलशान 22 रन देकर 2 विकेट लेने में सफल रहे, जबकि वास और मलिंगा के हिस्से में 1-1 विकेट आया।
न्यूजीलैंड का पहला विकेट 2 रन के स्कोर पर कप्तान फ्लेमिंग गिरा, जिन्हें मलिंगा ने पगबाधा आउट कर दिया। स्कोर 32 पर पहुँचा ही था कि चामिंडा वास ने टेलर (9) को पगबाधा आउट कर दिया। बाद में फुल्टन और स्टाइरिस ने मैदान संभाला और यह दोनों स्कोर को 105 तक ले गए, तभी स्टाइरिस को दिलशान की गेंद पर माहेला जयवर्द्धने ने लपक लिया। स्टाइरिस ने 37 रनों का योगदान दिया।
इसके बाद मुरलीधरन ने 24वें ओवर में अपने मुख्य गेंदबाजी अस्त्र 'दूसरा" का प्रयोग करके दो लगातार गेंदों पर दो विकेट हासिल किए। पहले उन्होंने ओरम को अपनी ही गेंद पर लपका और अगली गेंद पर मैकुलम को चामरा सिल्वा के हैरतअंगेज कैच का शिकार बना दिया।
सनथ जयसूर्या ने 25वें ओवर में फुल्टन (46) को भी चामरा सिल्वा के हाथों कैच करवाकर स्कोर 6 विकेट पर 115 कर दिया। 26वें ओवर में मुरली का जादू एक बार फिर सिर चढ़कर बोला और उन्होंने विटोरी खाता खोलने के पहले ही पगबाधा आउट करके न्यूजीलैंड का सातवाँ विकेट पैवेलियन भेजा।
न्यूजीलैंड ने मैकलिन के रूप में आठवार्ँ विकेट गँवाया। 25 रनों के निजी स्कोर पर उनके डंडे जयसूर्या ने बिखेरे। शेन बांड जब 2 रनों पर थे, तब मुरलीधरन द्वारा बोल्ड कर दिए गए। इस तरह 31.4 ओवरों में 149 रनों के कुल स्कोर पर न्यूजीलैंड के नौ बल्लेबाज ड्रेसिंग रूम की शोभा बढ़ा रहे थे और कप्तान फ्लेमिंग उतरे हुए चेहरे के साथ हार के प्रत्यक्ष दर्शन कर रहे थे।
इसके बाद की कहानी किसी दिलचस्प उपन्यास से कम नहीं रही। गेंदबाज फ्रेंकलिन और जीतेन पटेल ने नौवें विकेट की भागीदारी में 59 रन जोड़े। 42वें ओवर में जब दिलशान की गेंद पर पटेल छक्का उड़ाने गए तो सीमा रेखा पर फर्नान्डो ने उन्हें लपक लिया। उन्होंने 34 रन बनाए, जबकि फ्रेंकलिन 30 रनों पर नाबाद रहे। इस तरह न्यूजीलैंड की पारी 41.4 ओवरों में 208 रनों पर ही ढेर हो गई।
इससे पूर्व लंकाई कप्तान ने सिक्का जीतकर सूखे विकेट पर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया था। हालाँकि उसे शुरुआती झटका 13 रनों पर ही मिल गया था, उसके स्टार बल्लेबाज सनथ जयसूर्या 1 रन बनाकर आउट हो गए थे, लेकिन इसके बाद उपुल तरंगा और माहेला जयवर्द्धने ने स्टेडियम में जमा कुछ सौ लंकाई प्रशंसकों को अपनी बल्लेबाजी से मंत्रमुग्ध कर दिया।
न्यूजीलैंड की टीम ने पूरा होमवर्क जयसूर्या के लिए किया था। यही कारण रहा कि वह जयवर्द्धने पर अंकुश लगाने में नाकाम रहे। उन्होंने अपनी पारी में 109 गेंदों का सामना किया और इस दौरान 10 चौकों के अलावा 3 गगनचुंबी छक्के भी उड़ाए। यही नहीं, पाँचवे विकेट के लिए उन्होंने आर्नोल्ड (नाबाद 14) के साथ 56 रनों की साझेदारी भी निभाई।
न्यूजीलैंड की ओर से फ्रेंकलिन ने 46 रन देकर 2 विकेट लिए, जबकि शेन बांड को 59 रन देने के बाद 1 विकेट ही मिला। जैकब ओरम और डेनियल विटोरी के हिस्से में 1-1 विकेट आया।
सुबह श्रीलंकाई पारी की शुरुआत उपुल तरंगा और सनथ जयसूर्या ने की। फ्रेंकलिन ने तीसरे ओवर की तीसरी गेंद पर जयसूर्या को बोल्ड कर दिया। फ्रेंकलिन की गेंद वाकई शानदार थी और जयसूर्या गेंद की लाइन में आए बगैर स्ट्रोक खेलने गए। नतीजे में लंका का सबसे कीमती विकेट ड्रेसिंग मात्र एक रन बनाकर रूप लौटा। लंका ने पहला विकेट 13 रन के कुल स्कोर पर खोया।
श्रीलंका का स्कोर जब 13.1 ओवर में 67 रनों पर पहुँचा, तभी दूसरे विकेट के रूप में कुमार संगकारा आउट हुए। 18 रन बनाने वाले संगकारा को फ्रेंकलिन की गेंद पर स्टीफन फ्लेमिंग ने लपका।
उपुल तरंगा 9 चौकों और 1 छक्के की मदद से 73 रनों की शानदार पारी खेलने के बाद डेनियल विटोरी की गेंद पर बोल्ड हो गए। इस तरह श्रीलंका ने तीसरा विकेट 111 के स्कोर पर खोया। तरंगा और जयवर्द्धने के बीच तीसरे विकेट के लिए 12 ओवरों में 44 रनों की साझेदारी निभाई गई।
154 रनों के स्कोर पर चामरा सिल्वा (21) शेन बांड की गेंद पर पगबाधा आउट करार दिए गए, लेकिन माहेला जयवद्धने इस वक्त कप्तानी पारी खेलकर स्कोर को सँवारने में लगे हुए हैं। दिलशान दुर्भाग्यशाली रहे कि 30 रनों के स्कोर पर अंपायर ने उन्हें जैकब ओरम की गेंद पर उस समय पगबाधा आउट कर दिया, जब गेंद काफी वाइड जा रही थी। लंका का पाँचवा विकेट 233 रनों पर पैवेलियन लौटा। इसके बाद कप्तान जयवद्धने पारी के स्कोर को 289 रनों तक ले गए। उनके साथ अर्नाल्ड 14 रनों पर नाबाद थे।
श्रीलंका 1996 में विश्व विजेता बना था, लेकिन पिछले दो विश्व कपां (1999 और 2003) में लंकाई चीते कोई कमाल नहीं दिखा सके। इस बार चामिंडा वास, लासित मलिंगा और मुथैया मुरलीधरन की तिकड़ी के अलावा माहरुफ और फर्नान्डो काफी लय में दिखाई दे रहे हैं और लंका 96 के कारनामे को दोहराने में कोई कसर नहीं रखना चाह रहा है। अब उसके सामने फाइनल है और यही एशिया की एकमात्र टीम है जो फाइनल में भी उलटफेर कर सकती है।
दूसरी तरफ न्यूजीलैंड ने इस विश्व कप में आश्चर्यजनक रूप से अपने प्रदर्शन से क्रिकेट बिरादरी को चौंकाया था। हालाँकि फ्लेमिंग की सेना के साथ दुर्भाग्य यह रहा है कि उनकी चुनौती कभी भी सेमीफाइनल से आगे नहीं बढ़ पाई है और इस नौंवे विश्व कप में भी इतिहास ने अपने आप को दोहराया और कीवियों को सेमीफाइल से आगे नहीं बढ़ने दिया। श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी और फिर गेंदबाजी में शानदार प्रदर्शन किया और एशियाई क्रिकेटप्रेमियों का दिल खुश कर दिया।