सचिन तेंडुलकर ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपने बल्ले से कई बार कमाल किया है, लेकिन करियर के शुरुआती दिनों में वे प्रभावी गेंदबाजी भी किया करते थे।
1993 में भारत में खेले गए हीरो कप में सचिन ने अपनी गेंदबाजी से बड़े बड़े बल्लेबाजों की नाक में दम किया। हीरो कप का सेमीफाइनल भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच खेला गया। मैच के अंतिम ओवर में दक्षिण अफ्रीका को जीत के लिए तीन रनों की जरूरत थी और विकेट पर एंड्रयू हडसन और ब्रयान मेकमिलन जैसे बल्लेबाज थे।
इस समय भारतीय कप्तान अजहारुद्दीन के सामने चुनौती यह थी कि वे अंतिम ओवर किस गेंदबाज से करवाएं। अचानक अजहर के दिमाग में कुछ आया और उन्होंने कपिल देव से सलाह मशविरा करके गेंद सचिन को थमा दी। यकीन करना मुश्किल होता है कि सचिन ने दोनों धुरंधर दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों को जीत के लिए आवश्यक रन नहीं बनाने दिए और भारत यह मैच जीतकर हीरो कप के फाइनल में पहुंच गया। सचिन की गेंदबाजी के कारण यह संभव हो पाया।
अगले मैच में भारत खिताबी मुकाबले में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेल रहा था। वेस्टइंडीज को जीत के लिए 225 रनों का लक्ष्य मिला था। यह लक्ष्य तब और बौना दिखने लगा जब अजय जड़ेजा के एक ही ओवर में वेस्टइंडीज के बल्लेबाज ब्रायन लारा ने 18 रन कूट दिए।
इस विकट समय में अजहर ने एक बार फिर गेंद सचिन को थमाई और सचिन ने उन्हें बदले में लारा का विकेट दिया। सचिन ने लारा को क्लीन बोल्ड कर दिया। लारा के आउट होते ही स्टेडियम में मौजूद सर गैरी सोबर्स ने घोषणा कर दी कि अब वेस्टइंडीज यह मैच नहीं जीत सकता।
27 नवंबर 1993 को कोलकाता के इडेन गार्डन में खेला गया यह भारत ने 102 रनों से जीता। यह मैच भारतीय लेग स्पिनर अनिल कुबंले के चमत्कारी प्रदर्शन (12 रन पर 6 विकेट) के लिए जाना जाता है, लेकिन इस मैच में भारत की जीत की बुनियाद सचिन की गेंदबाजी ने रखी।