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सचिन ने दे दी है गुरुदक्षिणा: आचरेकर

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नई दिल्ली (भाषा) , गुरुवार, 23 अप्रैल 2009 (15:04 IST)
सचिन तेंडुलकर को क्रिकेट का ककहरा सिखाने वाले रमाकांत आचरेकर का कहना है कि क्रिकेट की किंवदंती बने इस चैम्पियन बल्लेबाज ने उनकी हर सीख पर अमल करके उन्हें गुरुदक्षिणा दे दी है लेकिन अपने इस प्रिय शिष्य की तरह उन्हें भी विश्व कप जीत का इंतजार है।

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 85 शतक और 29457 (टेस्ट 16684 और वनडे 12773) रन बना चुके तेंडुलकर के 36वें जन्मदिन से पहले बातचीत में आचरेकर ने कहा मैं शुरू ही से जानता था कि वह इस मुकाम तक पहुँचेगा। मुझे तो गुरुदक्षिणा तभी मिल गई जब दुनिया ने उसके खेल का लोहा माना। मैं चाहता हूँ कि अब वह विश्व कप जीते।

हाल ही में लंदन के मैडम तुसाद संग्रहालय में लगाई जाने वाली अपनी मोम की मूर्ति के अनावरण के मौके पर तेंडुलकर ने अपने तीन गुरुओं पिता, भाई और आचरेकर सर को याद किया था। अपने चेले की इस उपलब्धि से आह्‍लादित 78 वर्षीय आचरेकर इंडियन प्रीमियर लीग में भी उनके प्रदर्शन पर नजर रखे हुए हैं।

उन्होंने कहा कि आईपीएल में सचिन अच्छा खेल रहा है। वह टेस्ट और वनडे ही नहीं बल्कि ट्वेंटी-20 क्रिकेट में भी नंबर वन बल्लेबाज है। हर तरह का क्रिकेट खेलता है और सीखने की उसकी ललक कभी कम नहीं होती। यही उसकी खूबी है।

आचरेकर ने सचिन की खूबियों के बारे में पूछने पर कहा कि खेल को लेकर उसकी प्रतिबद्धता एक मिसाल है। उन्होंने कहा कि स्कूली दिनों में शिवाजी पार्क में वह धूप में भी घंटों अभ्यास करता था। एक शॉट पर कई-कई दिन लगा रहता था। यही वजह है कि उसके जितने शॉट आज किसी बल्लेबाज के पास नहीं। वह दुनिया का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज है।

उस दौर में आचरेकर स्टम्प पर एक सिक्का रख देते थे। सचिन को आउट करने वाले गेंदबाज को वह मिलता था और पूरी पारी में आउट नहीं होने पर सचिन को। सचिन के पास ऐसे 13 सिक्के आज भी हैं। उम्र के इस मुकाम पर भी युवाओं को क्रिकेट सिखा रहे इस वयोवृद्ध कोच ने इस बात से इनकार किया कि सचिन की शैली में किसी तरह का बड़ा बदलाव आया है।

उन्होंने कहा कि वह पहले भी आक्रामक बल्लेबाज था और आज भी है। दुनिया के किसी गेंदबाज से वह नहीं डरता। आज भी क्या बदला है, कुछ भी तो नहीं। यह पूछने पर कि अभी सचिन कितने साल और खेल सकते हैं उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि उसे 2011 विश्व कप तक खेलना ही चाहिए। उसे विश्व कप जीतने का इंतजार है और मुझे भी।

यह पूछने पर कि शोहरत की बुलंदियों पर पहुँचने के बाद क्या सचिन में कोई बदलाव आया है, उनके गुरु ने कहा बिलकुल भी नहीं। वह आज भी मुझसे मिलने आता है तो पहले जैसा सचिन ही रहता है। घंटों खेल पर बातें करता है। अपने अनुभवों के बारे में बताता है। क्रिकेट उसका जुनून है और उसके जन्मदिन पर मैं यही दुआ दूँगा कि यह जुनून हमेशा इसी तरह बना रहे।

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