छरहरी दिखने की होड़ में कई लड़कियाँ अपनी जिंदगी दाँव पर लगा देती हैं। मॉडल बिजनेस में तो यह भी देखा गया है कि 5 फुट दस इंच से लंबी लड़कियों का वजन 45-50 किलो ही है तो क्या यह सेहत से खिलवाड़ नहीं है? फैशन डिजाइनर अपने कपड़े साइज जीरो में तैयार करते हैं। जरूरत से ज्यादा दुबली-पतली होना कितना खूबसूरत है और सेहत के साथ कितना खिलवाड़। जर्मनी में महिलाओं की सबसे लोकप्रिय पत्रिका ब्रिगिते ने इस मुद्दे पर जंग शुरू कर दी है। जर्मनी में करीब 70 फीसदी लड़कियाँ बालिग होने से पहले डायटिंग शुरू कर देती हैं। 30 फीसदी के खान-पान में गड़बड़ी है। एक तरफ पश्चिमी दुनिया में यह देखा गया है कि लोग मोटे होते जा रहे हैं, दूसरी तरफ लड़कियों में बेहद दुबला-पतला दिखने की इच्छा है। '
ब्रिगिते' जर्मनी में महिलाओं की सबसे लोकप्रिय पत्रिका है। 1954 से चल रही इस पत्रिका को 40 लाख महिलाएँ पढ़ती हैं। ब्रिगिते अगले साल से किसी मॉडल को जगह नहीं देगी, बल्कि आम महिलाओं को जगह मिलेगी, जिनका शरीर थोड़ा भारी भी हो सकता है।
जर्मनी में करीब 70 फीसदी लड़कियाँ बालिग होने से पहले डायटिंग शुरू कर देती हैं। 30 फीसदी के खान-पान में गड़बड़ी है। एक तरफ पश्चिमी दुनिया में यह देखा गया है कि लोग मोटे होते जा रहे हैं, दूसरी तरफ लड़कियों में बेहद दुबला-पतला दिखने की इच्छा है।
ब्रिगिते समझती है कि जरूरत से ज्यादा पतली महिला कभी भी आदर्श नहीं बन सकती, जबकि बहुत दुबला होना कई बार बीमारियों की जड़ भी होती है। ब्रिगते के एडीटर आंद्रेआस लेबर्त कहते हैं-हमें प्रोफेशनल मॉडल के देखते हुए चिंता होने लगी है। वे दुबली ही होती जा रही हैं। यह चिंता आम महिलाओं में भी देखी जा सकती है और फैशन बिजनेस के अंदर भी। किसी को नहीं पता कि यह होड़ कहाँ तक जाएगी और फिर हमने सोचा कुछ और करने का, इसलिए यह पेशेवर मॉडल हमारी पत्रिका में अगले साल से नहीं दिखेंगी।सालों से शानेल ब्रांड के चीफ डिजाइनर कार्ल लागरफेल्ड का कहना है कि फैशन की दुनिया सपनों और कल्पनाओं की दुनिया है। मोटी महिलाएँ जो चिप्स खाते हुए टीवी के सामने बैठी हों, वही कह सकती हैं कि पतली मॉडल सुंदर नहीं। यह पूछे जाने पर कि ऐसी लड़कियों को कौन देखना चाहेगा, जिनकी हड्डियाँ तक नजर आती हों, लागरफेल्ड कहते हैं कि कोई गोल-मटोल औरत भी तो नहीं देखना चाहेगा।अंतरराष्ट्रीय दबाव पर इस साल मैड्रिड और मिलान के फैशन शो में बहुत दुबली मॉडलों को भाग नहीं लेने दिया गया। वैसे जर्मनी में बड़े फैशन शो नहीं होते हैं। पंद्रह साल की जर्मन छात्रा किरा खुश है कि ब्रिगिते जैसी पत्रिका भी इस ट्रेंड के खिलाफ खड़ी हुई है। वे कहती हैं-मेरे स्कूल में ऐसा है कि अगर तुम लोकप्रिय भी हो और मोटे भी तो कोई बात नहीं।लेकिन जब तुम्हारे कम दोस्त हैं और तुम इसका ध्यान ही नहीं रखती कि तुम कैसी दिख रही हो, तब तुम्हारा मजाक उड़ाया जाता है। मै खुश हूँ कि अब सामान्य महिलाओं को दिखाया जाएगा। लड़कियाँ सोचेंगी कि वे भी सामान्य हैं, क्योंकि यदि इतनी पतली-दुबली मॉडल को दिखाया जाता है तो मैं भी यही सोचती हूँ कि मैं सामान्य नहीं हूँ।