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रोमी एक मिथक

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हमें फॉलो करें जर्मन फिल्म अभिनेत्री
- जिल्के बार्टलिक/उज्ज्वल भट्टाचार्य

हिंदी फिल्म के जगत में मिथक बनाने में कामयाब रही हैं मधुबाला या फिर किसी हद तक मीना कुमारी। फ्रांसीसी और जर्मनभाषी फिल्मप्रेमियों की कई पीढ़ियों के लिए रोमी श्नाइडर का नाम कुछ ऐसा ही मायने रखता है।

उनके जीवन व उनकी फिल्मों पर बर्लिन में एक प्रदर्शनी आयोजित हो रही है। साथ ही एक फिल्म भी बनाई गई है, जो इन दिनों जर्मनी में बेशुमार दर्शकों को अपनी ओर खींच रही है। 1953 में एक फिल्म की शूटिंग के लिए वह पहली बार कैमरा के सामने आई थी। जब उसकी उम्र थी सिर्फ 15 साल। 1982 में जब रोमी श्नाइडर की मौत हुई, तो वह 50 से अधिक फिल्मों में काम कर चुकी थी। बर्लिन के फिल्म व टेलिविजन संग्रहालय में एक प्रदर्शनी के जरिये उनके जीवन का परिचय दिया जा रहा है। इस प्रदर्शनी का नाम है 'रोमी श्नाइडर- वियना, बर्लिन, पैरिस- बेशक एक बहुरंगी जीवन।'

1982 की शुरुआत में रोमी श्नाइडर ने फ्रांसीसी टेलीविजन पर कहा था कि अब वे अपनी निजी जिंदगी को ज्यादा अहमियत देंगी। साल पूरा भी नहीं हुआ कि वे चल बसीं, उस वक्त उम्र थी सिर्फ 43 साल। आधिकारिक तौर पर कहा गया था कि दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हुई, लेकिन मीडिया में इस बात पर जोर दिया गया कि उनका दिल टूट चुका था। कुछ ही दिन पहले एक दुर्घटना में उनके 14 साल के बेटे की मौत हो गई थी। दो साल पहले बेटे के पिता, रोमी श्नाइडर के पहले पति, हैरी मायेन आत्महत्या कर चुके थे।

डानिएला जानवाल्ड ने बर्लिन की प्रदर्शनी की परिकल्पना तैयार की है। डानिएला जानवाल्ड का कहना है कि उनके व्यक्तिगत जीवन की भूमिका इस सिलसिले में बहुत महत्वपूर्ण थी। बेशक इसकी वजह यह है कि उनके फैन्स इसमें एक अपनापन खोज पाते हैं, और वे सोचते हैं कि एक इतनी मशहूर, खूबसूरत और धनी महिला भी बदकिस्मती का शिकार हो सकती है।

प्रदर्शनी को पाँच हिस्सों में बाँटा गया है, जिनके नाम हैं बेटी, उत्थान, अंतरराष्ट्रीय स्टार, विनाश और मिथक। इस क्रम से ही स्पष्ट हो जाता है, कि उनकी जिंदगी में कितने उतारचढ़ाव आए। डानिएला जानवाल्ड बताती हैं कि कैसे इस बहुरंगी जीवन को पेश किया गया है। मसलन प्रदर्शनी में 40 फिल्मों के 187 सीन दिखाए गए हैं। इसके अलावा प्रदर्शनी की मुख्य तस्वीर है, पोशाक हैं, फोटो, दस्तावेज और रोजमर्रा की छोटी-मोटी चीजें भी हैं।

प्रदर्शनी के पहले कक्ष में ही मुख्य तस्वीर है, अपनी माँ मागडा श्नाइडर के साथ रोमी की तस्वीर। फर कोट पहनी, घुँघराले बालों वाली माँ और उनके साए में कमसिन खूबसूरत रोमी। रोमी की पहली फिल्म में माँ बेटी एकसाथ थी। 1953 में बनी इस फिल्म का नाम था जब फिर से खिले सफेद लाइलैक। चार साल बाद ऑस्ट्रिया की रानी एलिजाबेथ के जीवन पर सिसी श्रृंखला की पहली फिल्म बनी और रोमी श्नाइडर की शोहरत सारे यूरोप में फैल गई।

चाहे श्पीगेल हो, या कोई दूसरी पत्रिका, जब उसे खोलकर देखती हूँ, तो मुझे अपना नाम दिखता है, साथ में कहा जाता है, जो कभी सिसी थी, या फिर गाइजेलगास्टाइग की कमसिन लड़की। कहने का मतलब है कि अभी तक यह सिलसिला जारी है।- रोमी श्नाइडर

रोमी श्नाइडर के शब्द, जो उन्होंने 1971 में कहे थे। सिसी की छवि से छुटकारा पाने के लिए वह भटकती रही। वह पैरिस चली गई, ऐलेन देलों के साथ प्रेम प्रसंग, अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक नई शुरुआत- बर्लिन की प्रदर्शनी में उनकी जिंदगी के ये सारे पड़ाव देखे जा सकते हैं।

डानिएला जानवाल्ड कहती हैं- यह एक ऐसा दौर था, जब रोमी श्नाइडर हर चीज परख रही थी। अलग-अलग तरीकों की फिल्मों में अलग-अलग रोल निभा रही थी। और मेरी राय में यह देखना एक अनोखा अनुभव था कि वह एक ओर जहाँ रोमांटिक कॉमेडी में निखर सकती थी, वहीं दूसरी ओर द प्रोसेस जैसी फिल्मों में गंभीर नाटकीय भूमिकाओं में खरी उतरी।

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