Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
Friday, 11 April 2025
webdunia

भारत की जेलों में 77 प्रतिशत विचाराधीन कैदी, कर रहे हैं सुनवाई पूरी होने का इंतजार

Advertiesment
हमें फॉलो करें Jail of India

DW

, बुधवार, 5 अप्रैल 2023 (16:40 IST)
-आमिर अंसारी
 
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट के मुताबिक देश की जेलों में क्षमता से 30 प्रतिशत ज्यादा कैदी हैं। कैदियों में दो-तिहाई से अधिक (77.1 प्रतिशत) जांच या सुनवाई पूरी होने का इंतजार कर रहे हैं। पुलिस, न्यायपालिका, जेल और विधिक सहायता के लिए बजट, संसाधन की उपलब्धता आदि के आधार पर तैयार की गई इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2022 में यह बात कही गई है।
 
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दिसंबर 2022 के आंकड़ों के अनुसार, देश में हर 10 लाख की आबादी पर 19 जज हैं। अदालतों में कुल 4.8 करोड़ मामले लंबित हैं और जेलों में क्षमता से 30 प्रतिशत ज्यादा कैदी हैं।
 
जेलों में 77 प्रतिशत विचाराधीन कैदी
 
कैदियों में दो-तिहाई से अधिक (77.1 प्रतिशत) विचाराधीन हैं। उच्च न्यायालयों में जजों के 30 प्रतिशत पद खाली हैं। 4 अप्रैल को जारी रिपोर्ट के मुताबिक न्याय देने के मामले में कर्नाटक शीर्ष पर है। इसके बाद क्रमश: तमिलनाडु, तेलंगाना, गुजरात और आंध्रप्रदेश का स्थान है। उत्तरप्रदेश सबसे पीछे 18वें स्थान पर है। 1 करोड़ से कम आबादी वाले 7 छोटे राज्यों की सूची में सिक्किम पहले स्थान पर है। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा का स्थान है। गोवा सबसे नीचे 7वें स्थान पर है।
 
रिपोर्ट में अनिवार्य सेवाएं देने के लिए डिलीवरी ढांचे को सक्षम बनाने के मामले में राज्यों के प्रदर्शन का आकलन किया गया है। आधिकारिक सरकारी स्रोतों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर न्याय प्रदान करने वाले 4 स्तंभों- पुलिस, न्यायपालिका, जेल और विधिक सहायता के आंकड़ों को आधार बनाया गया है।
 
खाली पद बड़ी समस्या
 
हर स्तंभ का बजट, मानव संसाधन, काम का बोझ, विविधता, इंफ्रास्ट्रक्चर और ट्रेंड (पिछले पांच साल के दौरान हुए सुधार) के पैमानों पर और राज्यों के स्वघोषित मानदंडों के मुकाबले विश्लेषण किया गया। रिपोर्ट में 25 राज्यों के मानवाधिकार आयोगों की क्षमता का भी आंकलन किया गया। इसमें इस बात पर जोर दिया गया है कि पुलिस बल, जेल कर्मचारी, विधिक सहायता सेवा और न्यायपालिका, सभी में खाली पदों की समस्या है।
 
इसमें कहा गया है कि 140 करोड़ लोगों के लिए देश में मात्र 20,076 जज हैं जबकि 22 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं। हाई कोर्ट में जजों के 30 प्रतिशत पद खाली हैं। अदालतों में 4.8 करोड़ मामले लंबित हैं जबकि विधि आयोग ने 1987 में ही कहा था कि यह अनुपात प्रति 10 लाख आबादी पर 50 जजों का होना चाहिए।
 
पुलिस बल में महिलाओं की संख्या कम
 
रिपोर्ट के मुताबिक जेलों में क्षमता से 30 प्रतिशत ज्यादा कैदी हैं। कैदियों में दो-तिहाई से अधिक (77.1 प्रतिशत) जांच या सुनवाई पूरी होने का इंतजार कर रहे हैं। पुलिस बल में मात्र 11.75 प्रतिशत महिलाएं हैं। यह स्थिति तब है जब पिछले 1 दशक में उनकी संख्या दोगुनी हुई है। जेलों में अधिकारियों के 29 प्रतिशत पद खाली हैं। हर 1 लाख की आबादी पर पुलिस का अनुपात 152.8 है जबकि अंतरराष्ट्रीय मानक 222 का है।
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकतर राज्यों ने केंद्र सरकार से मिले पैसों का पूरा इस्तेमाल नहीं किया है। पुलिस, जेल और न्यायपालिका पर उनका अपना व्यय भी राज्य के कुल व्यय में हुई बढ़ोतरी की तुलना में कम तेजी से बढ़ा है।
 
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट की शुरुआत टाटा ट्रस्ट ने 2019 में की थी। मंगलवार को इसकी तीसरी रिपोर्ट जारी हुई। यह रिपोर्ट सेंटर फॉर सोशल जस्टिस, कॉमन कॉज, कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव, दक्ष, टीआईएसएस-प्रयास, विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी और हाऊ इंडिया लिव्स जैसी संस्थाओं के सहयोग से तैयार की गई है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

ग्लोबल वॉर्मिंग से कमाई में दरार डालता यूरोप का सूखा