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आखिरकार ऑस्ट्रेलिया ने बदली कोविड से लड़ने की रणनीति

हमें फॉलो करें आखिरकार ऑस्ट्रेलिया ने बदली कोविड से लड़ने की रणनीति

DW

, सोमवार, 5 जुलाई 2021 (08:00 IST)
रिपोर्ट : विवेक कुमार
 
सिडनी समेत ऑस्ट्रेलिया के कई बड़े शहर इस वक्त लॉकडाउन में हैं। देश की सीमाएं एक साल से ज्यादा समय से बंद होने के बावजूद कोरोनावायरस को रोकने में कामयाबी नहीं मिल पाई तो अब रणनीति बदली गई है।
 
पिछले साल मार्च के मध्य से सीमाएं बंद करके बैठे ऑस्ट्रेलिया ने उम्मीद की थी कि लोगों की आवाजाही बंद रखने से वह कोरोना महामारी से बचा रहेगा। लेकिन डेल्टा वेरिएंट के कारण लगातार बढ़ते मामलों ने न सिर्फ उसकी रणनीति को धराशायी कर दिया है, बल्कि तैयारी में रह गई कमियों को भी उजागर कर दिया है।
 
अब ऑस्ट्रेलिया ने 4 चरण की एक योजना बनाई है, जिसे कोविड संकट से निकलने के रोडमैप के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा। देश की कैबिनेट ने शुक्रवार को इस योजना को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत कोविड से उसी तरह निपटा जाएगा, जैसे फ्लू से निपटा जाता है।
 
इसका अर्थ यह है कि कोविड के मामलों की संख्या को काबू करने से ध्यान हटाकर मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने और मृत्युदर कम रखने पर ध्यान दिया जाएगा। साथ ही, ऑस्ट्रेलिया के लोगों को हल्के-फुल्के संक्रमण के साथ जीना सीखना होगा। इसके अलावा, टीकाकरण की रफ्तार में तेजी लाने पर ज्यादा ध्यान देने की बात कही गई है।
 
विरोध के बाद बदली गई नीति
 
ऑस्ट्रेलिया सरकार की नीति अब तक यह रही है कि सीमाएं बंद रखी जाएं और कोविड-19 के मामलों को बढ़ने ही न दिया जाए। इस कारण, न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय आवाजाही पिछले साल मार्च से बंद है, बल्कि कुछ मामले सामने आते ही राज्यों और शहरों को भी नाकेबंदी में झोंक दिया जाता रहा है।
 
बहुत से कार्यकर्ता इस नीति का विरोध करते रहे हैं। उनका कहना था कि सीमाएं बंद रहना आर्थिक और मानवीय स्तर पर एक बड़ी त्रासदी है। इस कारण लोग विदेशों में ही फंसे हुए हैं और स्वदेश नहीं आ पा रहे हैं। इसके अलावा, ऑस्ट्रेलिया के लोगों को भी विदेश जाने की मनाही है।
 
कार्यकर्ताओं का कहना रहा है कि ऑस्ट्रेलिया को मामले बढ़ने से रोकने से ज्यादा कोविड के प्रबंधन पर जोर देना चाहिए। विदेश में फंसे लोगों को आने देना चाहिए और देश में क्वारंटीन की सुविधा बढ़ाई जानी चाहिए। अब केंद्र सरकार ने अपनी नीति में इसी तरह के बदलाव किए हैं।
 
विदेशों से आने पर पाबंदी जारी
 
ऑस्ट्रेलिया ने विदेश से लोगों के आने पर पाबंदी को और सख्त कर दिया है। अब तक एक हफ्ते में 3,085 लोगों के ही ऑस्ट्रेलिया आने की इजाजत थी, जिसे घटाकर आधा कर दिया गया है। लेकिन सभी लोगों को सरकार द्वारा तय किए गए केंद्रों में क्वारंटीन में रखने के बजाय अलग अलग प्रारूपों को आजमाया जाएगा। इसके तहत घर के अंदर ही 7 दिन के क्वारंटीन जैसे सुझावों पर विचार किया जाएगा।
 
ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि लॉकडाउन अब आखिरी विकल्प होगा। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं बताया कि किस स्थिति में आखिरी विकल्प को लागू किया जाएगा।
 
इसके बाद क्या होगा?
 
प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया अपने अगले कदम टीकाकरण की संख्या के आधार पर तय करेगा। उन्होंने जनता को स्पष्ट संदेश दिया कि उन्हें टीकाकरण कराना ही होगा। इसके लिए देश के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी पॉल केली को डोहर्टी संस्थान की एक टीम के साथ मिलकर यह तय करना होगा कि कितना टीकाकरण होने पर किस दौर के नियम लागू किए जा सकेंगे।
 
प्रधानमंत्री मॉरिसन ने कहा कि यह लोगों की राय या उनकी राजनीतिक सोच पर तय नहीं होगा बल्कि वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर फैसले लिए जाएंगे। कौन सा दौर कितने समय तक रहेगा, यह उन्होंने स्पष्ट नहीं किया।
 
टीकाकरण करवाने पर राहत
 
अभी तक ऑस्ट्रेलिया में सिर्फ 8.3 प्रतिशत लोगों ने ही कोविड वैक्सीन की दोनों खुराक ली हैं। मात्र 30 प्रतिशत लोग हैं जिन्हें कम से कम 1 खुराक लग चुकी है। प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा कि दूसरे दौर में सरकार का ध्यान गंभीर रूप से बीमार लोगों की संख्या, अस्पतालों में भर्ती और मौतों को कम करने पर होगा। उन्होंने कहा कि इसके बाद के दौर में क्या होगा, यह अभी तय किया जाना बाकी है, लेकिन तीसरे दौर से लॉकडाउन नहीं होंगे।
 
चौथे दौर में स्थिति को सामान्य मान लेने जैसे कदम उठाए जाएंगे, लेकिन इनमें भी कुछ नियम-पाबंदियां लागू रहेंगी। मसलन, जो लोग टीका लगवा चुके होंगे उन्हें क्वारंटीन से राहत दी जा सकती है और लोगों के बाहर से ऑस्ट्रेलिया आने पर उनकी जांच की जाएगी। लेकिन प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि चौथे दौर में क्या होगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि लोग टीकाकरण को कितना समर्थन देते हैं।
 
उन्होंने लोगों से कहा कहा कि अगर आप टीका लगवाते हैं तो आप देश में रहन-सहन को बदल सकते हैं। देश में कैसे रहना है, यह तय करना आपके हाथ में है।

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