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'इस्लाम के अपमान' के आरोप में हिंदू शिक्षक को सजा

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, बुधवार, 18 मई 2016 (14:44 IST)
बांग्लादेश में 'इस्लाम के अपमान' के आरोप में एक हिंदू शिक्षक की सार्वजनिक रूप से पिटाई की गई और कान पकड़ कर उठक-बैठक कराई।
 
किसी पर कोई आरोप लगे और इकट्ठा भीड़ आरोपी को दोषी मानते हुए वहीं तुरत-फुरत में उसे सजा भी दे डाले, इसके उदाहरण लगातार सामने आ रहे हैं। ताजा मामला बांग्लादेश के नारायणगंज का है। बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदू समाज को खास तौर पर इस तरह के अत्याचारों का निशाना बनाए जाने की खबरें आती हैं। इस बार एक स्कूल के हेडमास्टर पर लगे आरोपों के बाद भीड़ जुटी और सबके सामने उनकी पिटाई कर दी गई। पीड़ित एक हिंदू शिक्षक श्यामल कांति भक्ता हैं, जिन पर इस्लाम के लिए अपमानजनक बात कहने का आरोप लगा।
 
बांग्लादेश के अखबारों में छपी खबरों के अनुसार स्कूल के आसपास के इलाके के लोगों को भड़काया गया था। भीड़ ने शिक्षक की पिटाई की। मौके पर मौजूद नारायणगंज के सांसद सलीम उस्मान ने उन्हें कान पकड़ कर उठक-बैठक भी करवाई। सांसद का कहना है कि उन्होंने शिक्षक को भीड़ के गुस्से से बचाने के लिए ऐसे माफी मंगवाई।
 
पीड़ित शिक्षक श्यामल कांति ने इस्लाम धर्म के खिलाफ कोई भी अपशब्द कहने के आरोप से इंकार किया है। उन्होंने स्कूल के प्रबंधन में शामिल कुछ लोगों पर उनसे बैर रखने की बात कहते हुए, इस मौके पर उनसे बदला निकालने का आरोप जड़ दिया।
 
इसी साल अप्रैल में भी बांग्लादेश के बागेरहाट के दो हिंदू शिक्षकों पर इस्लाम के बारे में अपमानजनक बातें कहने के आरोप लगे थे। उन्हें इस गलती के लिए छह महीने की जेल की सजा सुनाई गई।
 
ब्रिटिश राज के समय से चले आ रहे एक कानून के मुताबिक मुस्लिम-बहुल बांग्लादेश में किसी भी धर्म का अपमान करना दंडनीय अपराध है। इसका मकसद धार्मिक समुदायों के बीच तनाव और संघर्ष को टालना था। आज इसका इस्तेमाल गलत आरोप जड़कर फैरी न्याय करने और सजा देने के लिए किया जाना आम है।
 
धर्मनिरपेक्षता और इस्लामी शासन चाहने वाले दो चाकों के बीच पिसते बांग्लादेश में नास्तिक लेखकों, ब्लॉगरों, अल्पसंख्यकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के ऊपर लगातार जानलेवा हमलों की खबरें आती रही हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय बांग्लादेश में अभिव्यक्ति की आजादी और नागरिकों को सुरक्षा देने की अपील करता रहा है।
 
रिपोर्ट: ऋतिका पाण्डेय

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