इटली की अंतरिक्ष यात्री समांथा क्रिस्टोफोरेटी जैसी एक बार्बी गुड़िया को जीरो ग्रैविटी फ्लाइट पर भेजा गया। लड़कियों को अंतरिक्ष विज्ञान की ओर आकर्षित करने के लिए यह प्रतीकात्मक कदम उठाया गया।
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) ने एक गुड़िया को जीरो ग्रैविटी फ्लाइट की सैर कराई है। 4-10 अक्टूबर तक विश्व अंतरिक्ष सप्ताह मनाया जा रहा है, जिस मौके पर यह विशेष फ्लाइट आयोजित हुई।
अंतरिक्ष की सैर पर गई बार्बी गुड़िया विश्व रिकॉर्ड धारी इतालवी अंतरिक्ष यात्री समांथा क्रिस्टोफोरेटी का रूपांतरण है। इस पूरी कवायद का मकसद बच्चियों और लड़कियों को साइंस, तकनीक, गणित और इंजीनियरिंग जैसे विषय अपनाकर अंतरिक्ष विज्ञान में करियर बनाने के लिए प्रेरित करना है।
इस साल विश्व अंतरिक्ष सप्ताह का मकसद अंतरिक्ष में महिलाओं के योगदान को सम्मानित करना है। इसलिए खिलौने बनाने वाली कंपनी मैटल इंक ने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और क्रिस्टोफोरेटी के साथ गठजोड़ किया था।
इस गठजोड़ के तहत क्रिस्टोफोरेटी की शक्ल की एक गुड़िया तैयार की गई और उसने वह सब किया जो किसी अंतरिक्ष यात्री को अभियान पर जाने से पहले ट्रेनिंग के लिए करना पड़ता है। जर्मनी स्थित ईएसए बेस पर गुड़िया को जीरो ग्रैविटी का अनुभव कराया गया।
आदर्श हैं क्रिस्टोफोरेटी
44 वर्षीय क्रिस्टोफोरेटी ने वीडियो के जरिए एक बयान में कहा, "छोटी समांथा गुड़िया एक पैराबोलिक फ्लाइट पर जा चुकी है यानी उसे भारहीनता का कुछ तो अनुभव हो ही चुका है। मुझे उम्मीद है कि यह सब दिखाकर हम छोटी बच्चियों में अंतरिक्ष के प्रति कुछ उत्सुकता पैदा कर सकेंगे। हो सकता है वे तस्वीरें, कुछ लड़कियों के दिलों में एक जुनून पैदा कर दें। और वह अद्भुत होगा।”
क्रिस्टोफोरेटी अंतरिक्ष में जाने वालीं इटली की पहली महिला हैं। इस वक्त अपने अगले अंतरिक्ष अभियान के लिए ईएसए में ट्रेनिंग ले रही हैं। यह अभियान अगले साल अप्रैल से शुरू होगा, जिसके लिए क्रिस्टोफोरेटी इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाएंगी।
क्रिस्टोफोरेटी ने अंतरिक्ष यात्रा पर 199 दिन और 16 घंटे बिताए थे जो किसी भी यूरोपीय अंतरिक्ष यात्री के लिए एक रिकॉर्ड था। वह जून 2017 में अंतरिक्ष से लौटी थीं। बाद में यह रिकॉर्ड पहले पेगी विट्सन और फिर क्रिस्टीना कोख ने तोड़ा।
इस पूरे प्रोजेक्ट के तहत बार्बी अपनी वेबसाइट पर अंतरिक्ष के बारे में शिक्षा उपलब्ध करवा रही है। क्रिस्टोफोरेटी की हमशक्ल गुड़िया की बिक्री से जो पैसा आएगा उसे विमिन इन एयरोस्पेस' संस्था को दिया जाएगा जो एक पीचएडी छात्रा की मदद करेगी।
अंतरिक्ष में महिलाएं
पहली बार 1963 में कोई महिला अंतरिक्ष में गई थी जब रूस की वेलेनेटीना व्लादीमिरोवना तेरेशकोवा ने रूस के वोस्तोक अभियान पर 16 जून को उड़ान भरीं। उन्होंने लगभग तीन दिन अंतरिक्ष में बिताए और धरती के 48 चक्कर लगाए। अब तक अंतरिक्ष में किसी एकल अभियान पर जाने वालीं वह एकमात्र महिला हैं।
से तो मनुष्य के अंतरिक्ष में पहुंचने के दो साल के भीतर ही पहली महिला को अंतरिक्ष यात्रा मौका मिल गया लेकिन दूसरी महिला को इसके लिए दो दशक तक इंतजार करना पड़ा। दूसरी महिला भी एक रूसी ही थी जब तत्कालीन सोवियत संघ ने स्वेटलाना सावितिसकाया को 1982 में अंतरिक्ष में भेजा। उसके एक साल बाद अमेरिका की पहली महिला के तौर पर सैली राइड अंतरिक्ष यात्रा पर गई थीं।
तब से अब तक 65 महिलाएं अंतरिक्ष यात्रा कर चुकी हैं। लेकिन पुरुषों के मुकाबले यह संख्या मात्र 10 प्रतिशत है। चांद पर अब तक कोई महिला नहीं जा पाई है। अमेरिका के आर्टेमिस कार्यक्रम के तहत इस लक्ष्य को हासिल करने की तैयारी की जा रही है।
रिपोर्टः विवेक कुमार (रॉयटर्स)
चित्र सौजन्य : समांथा क्रिस्टोफोरेटी ट्विटर अकाउंट