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एक साथ मिले हजारों ब्लैक होल

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, शनिवार, 10 सितम्बर 2016 (12:25 IST)
एक साथ हजारों ब्लैक होल, वैज्ञानिक अब तक इससे इंकार करते आये थे। लेकिन अब एक तारामंडल में आस पास मौजूद हजारों ब्लैक होल मिले हैं।
सरे यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने तारों के एक बहुत बड़े समूह ग्लोबुलर क्लस्टर की खोज की है। वैज्ञानिकों के मुताबिक उस ग्लोबलुर क्लस्टर के पीछे हजारों ब्लैक होल हैं। अपनी आकाशगंगा के केंद्र के करीब चक्कर काटने वाले तारों के समूह को ग्लोबुलर क्लस्टर कहा जाता है। ये तारे बेहद शक्तिशाली आपसी गुरुत्व बल के चलते एक समूह में रहते हैं। ताकतवर कंप्यूटर सिम्युलेशन के जरिये वैज्ञानिकों ने ब्लैक होल खोज निकाले।
 
खोज के लीड ऑथर मिकलोस प्योटन के मुताबिक, "ब्लैक होलों को दूरबीन से देखना मुमकिन नहीं है क्योंकि कोई भी फोटॉन (प्रकाश का कण) उनसे बच नहीं पाता। ऐसे में ब्लैक होलों का पता लगाने के लिए हमने आस पास के इलाके में उनका गुरुत्वाकर्षण प्रभाव आंका। शोध और सिम्युलेशन के जरिये हमें उनकी स्थिति और उनके असर के बारे में कई सटीक संकेत मिले।"
 
ग्लोबुलर क्लस्टर NGC 6101m की खोज 2013 में हुई। खगोलविज्ञान की प्रतिष्ठित पत्रिका रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी में यह रिसर्च प्रकाशित हुई है। शोध के को-ऑथर प्रोफेसर मार्क गिलेस कहते हैं, "हमारा काम तारों और ब्लैक होल के रिश्ते के बारे में बुनियादी सवालों का जबाव दे सकेगा। अगर हमारा शोध सही निकला तो यह साफ हो जाएगा कि जहां ब्लैक होल आपस में मिलते हैं वहां ग्लोबुलर क्लस्टर्स बनते हैं।"
 
NGC 6101m के ज्यादातर ब्लैकहोल सूर्य से भी बड़े हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक यह ग्लोबुलर क्लस्टर 13 अरब साल से लगातार बदल रहा है। कोई बड़ा तारा जब बूढ़ा होकर अपने ही गुरुत्वबल के चलते ध्वस्त हो जाता है तो अद्भुत घटनाएं होती हैं। कुछ मामलों में ब्लैक होल का निर्माण होता है।
 
मिकलोस प्योटन मानते हैं कि उनकी टीम की खोज ब्लैक होलों के बारे में कई जानकारियां सामने लाएगी। खोज यह भी बता सकेगी कि ब्रह्मांड में ब्लैक होल कैसे छुपे रहते हैं।
 
रिपोर्ट: ओंकार सिंह जनौटी

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