-चारु कार्तिकेय
कनाडा के एक अधिकारी ने कहा है कि भारत पर आरोप महीनों तक कनाडा में भारतीय राजनयिकों की निगरानी करने के बाद लगाए गए हैं। यह भी बताया गया है कि फाइव आइज अलायंस के सदस्यों में से भी एक देश ने खुफिया जानकारी कनाडा को दी थी।
कनाडा के एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी एपी को बताया कि महीनों तक भारतीय अधिकारियों और कनाडा में भारतीय राजनयिकों के बीच बातचीत की निगरानी की गई और उससे जो जानकारी मिली, उसी के आधार पर यह आरोप लगाए गए हैं।
एपी का कहना है कि कनाडा के इस अधिकारी ने अपना नाम ना जाहिर करने की शर्त रखी थी, क्योंकि वह यह जानकारी देने के लिए अधिकृत नहीं थे। अधिकारी ने बताया कि कुछ खुफिया जानकारी फाइव आईज अलायंस के सदस्य देशों में से एक से भी मिली थी। इस देश का नाम नहीं बताया गया।
सबूत देने की शुरुआत
कनाडा के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड इस अलायंस के सदस्य हैं, जो इस व्यवस्था के तहत एक दूसरे से खुफिया जानकारी साझा करते हैं। अधिकारी ने इससे ज्यादा जानकारी नहीं दी। महीनों तक चले सर्विलांस और खुफिया जानकारी इकट्ठा करने की इस कवायद की जानकारी सबसे पहले कैनेडियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन ने दी थी। जानकारों का मानना है कि यह दिखाता है कि कनाडा ने सबूत जारी करने की शुरुआत कर दी है।
लंदन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज में पढ़ाने वाले प्रोफेसर अविनाश पालीवाल ने 'एक्स' पर लिखा कि कनाडा के पास अपने आरोपों को साबित करने के जो प्रमाण हैं उसने उन्हें 'बैकग्राउंड ब्रीफिंग्स' के जरिए धीरे धीरे जारी करना शुरू कर दिया है।
'बैकग्राउंड ब्रीफिंग्स' उस जानकारी को कहते हैं, जो दुनियाभर की सरकारें अपने अपने देशों के पत्रकारों को अनाधिकारिक रूप से देती हैं। यह 'ऑफ-रिकॉर्ड' होती हैं। यानी पत्रकार इन बातों को सार्वजनिक तो कर सकते हैं लेकिन उस व्यक्ति का नाम नहीं बता सकते जिसने उन्हें यह जानकारी दी।
कनाडा की तरफ से यह संकेत भी दिए गए हैं कि आधिकारिक रूप से सबूतों को जारी करने में अभी समय लगेगा। संयुक्त राष्ट्र में कनाडा के राजदूत बॉब रे ने गुरुवार को न्यूयॉर्क में कनाडा की जांच के बारे में पत्रकारों को बताते हुए कहा कि 'यह काफी शुरुआती दिन हैं।'
आम नागरिकों की परेशानियां शुरू
उन्होंने यह भी कहा कि तथ्य सामने आएंगे लेकिन यह जरूरी है कि न्यायिक प्रक्रिया जैसे जैसे आगे बढ़ेगी, तथ्य वैसे-वैसे सामने आएंगे। उन्होंने कहा, 'कनाडा में हम इसे विधि का शासन कहते हैं।'
इस बीच कनाडा के नागरिकों के लिए वीजा सेवाओं को अस्थायी रूप से रोक देने के भारत के फैसले से बड़ी संख्या में लोगों को असुविधा होने की की खबरें आ रही हैं। हर साल भारत आने वाले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों में कनाडा के यात्रियों की काफी बड़ी संख्या है।
भारत के इमीग्रेशन ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक 2022 में कनाडा से 2,77,000 पर्यटक भारत आए थे। पर्यटन के अलावा और भी उद्देश्यों से भारत आने की योजना बना चुके लोग फंस गए हैं।
27 साल की भारतीय महिला मैत्रेयी भट्ट ने एपी को बताया कि अक्टूबर में भारत में उनकी शादी होनी है और उनका कनाडा में रहने वाले उनके पार्टनर को शादी करने के लिए आने के लिए वीजा चाहिए। उन्होंने बताया कि शादी के लिए जगह की बुकिंग हो गई है और फ्लाइट की बुकिंग भी हो गई है जिसके रद्द होने पर उन्हें पैसे वापस नहीं मिलेंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि उनका पार्टनर गुरुवार को टोरंटो स्थित भारत के वाणिज्यिक दूतावास गया था लेकिन वहां के सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें बाहर भेज दिया। 'टाइम्स ऑफ इंडिया' अखबार के मुताबिक कई लोगों के शादियों, सम्मेलन, पारिवारिक मसलों को निपटाने के लिए यात्राएं समेत कई तरह की योजनाएं संकट में पड़ गई हैं।
अखबार के मुताबिक इसके अलावा उच्च शिक्षा के लिए कनाडा जाने की इच्छा रखने वाले छात्र और कनाडा के विश्वविद्यालय भी चिंतित हैं। कनाडा में 3 लाख से भी ज्यादा भारतीय छात्र हैं। कनाडा के विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों ने भारतीय छात्रों से कहा है कि इस विवाद की वजह से इस साल वीजा मिलने में देर हो सकती है और जनवरी, 2024 से शुरू होने वाले सत्र पर असर पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि छात्रों को अगस्त, 2024 से शुरू होने वाली सत्र से पढ़ाई शुरू करने की तैयारी करनी चाहिए।