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दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ी चुनौती है कोरोना : मर्केल

हमें फॉलो करें दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ी चुनौती है कोरोना : मर्केल
, गुरुवार, 19 मार्च 2020 (14:32 IST)
रिपोर्ट ईशा भाटिया सानन
 
जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने टीवी पर देश को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना के खिलाफ जंग देश के लिए दूसरे विश्व युद्ध के बाद की सबसे बड़ी चुनौती है।
 
स्थिति बेहद गंभीर है : मर्केल
 
एंजेला मर्केल 2005 से जर्मनी की चांसलर हैं। इन 15 सालों में मर्केल ने हमेशा नए साल के मौके पर ही टीवी पर देश के नाम संदेश दिए हैं। चांसलर मर्केल के करियर में ऐसा पहली बार हुआ कि उन्होंने किसी आपातकाल के चलते देश को संबोधित किया। कोरोना की समस्या कितनी गहरी है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है। अपने संदेश में मर्केल ने कहा कि दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से यह देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
चीन के बाद कोरोना संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले इटली, ईरान, स्पेन और उसके बाद जर्मनी में ही देखे गए हैं। कोरोना के मद्देनजर यूरोप के 3 देशों इटली, स्पेन और फ्रांस लॉकडाउन की घोषणा कर चुके हैं। ऐसे में मर्केल के संदेश से पहले तक अटकलें लगती रहीं कि जर्मनी में भी ऐसा ही होगा। लेकिन मर्केल ने साफ किया कि आर्थिक रूप से जितना मुमकिन हो सके, काम जारी रहेगा।
 
उन्होंने कहा कि हमें सार्वजनिक जीवन को जितना मुमकिन हो सके, घटाना है। जाहिर है ऐसा हमें बहुत सोच-समझकर करना होगा, क्योंकि हमें देश को भी चलाना है। लेकिन हर वह चीज जिससे लोगों को नुकसान पहुंच सकता है, उसे अब कम करना होगा।
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जर्मनी में स्कूल, डे केयर और यूनिवर्सिटी 5 हफ्तों के लिए बंद कर दिए गए हैं। इसके अलावा सभी क्लब, बार और सिनेमाघर भी बंद हैं। कॉन्सर्ट और फुटबॉल मैच भी रद्द कर दिए गए हैं। लेकिन दिन में कुछ देर के लिए रेस्तरां खोलने की इजाजत है और दफ्तरों को भी बंद नहीं किया गया है।
 
हालांकि अधिकतर कंपनियां अपने कर्मचारियों को घर से ही काम करने को कह रही हैं। मर्केल के संदेश से यह समझ आता है कि अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए ऐसा फैसला लिया गया है। 
 
स्थिति गंभीर है, आपको भी इसे गंभीरता से लेना होगा
 
जर्मनी में अब तक कोरोना संक्रमण के 12,000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। अकेले बुधवार को ही 2,960 नए मामले दर्ज किए गए। अब तक कुल 28 लोगों की इससे जान जा चुकी है। मर्केल ने कहा कि स्थिति बेहद गंभीर है और लोगों को भी इसे गंभीरता से लेना होगा। उन्होंने देश की जनता से अपील की कि सरकार द्वारा लगाई गई हर किस्म की रोक का संजीदगी से पालन करें।
मर्केल ने कहा कि सार्वजनिक जीवन पर इस वक्त जितनी रोक लगी हुई है, वैसा जर्मनी में आज तक कभी नहीं हुआ था। एक लोकतंत्र में इस तरह की रोक सिर्फ आपातकाल में ही लगाई जा सकती है और वह भी अस्थायी रूप से।
 
सोशल डिस्टैन्सिंग पर जोर देते हुए उन्होंने लोगों से एक-दूसरे से दूरी बनाए रखने की अपील की कि मैं जानती हूं कि इस वक्त जो मांग की जा रही है, वह बहुत कठिन है। मुश्किल घड़ी में एक-दूसरे का साथ दिया जाता है लेकिन इस वक्त इसका उल्टा करना ही सही रहेगा। एक-दूसरे से दूरी बना कर रखें। जानकार अगर कह रहे हैं कि दादा दादी अपने नाती पोतों से न मिलें, तो उसकी एक वजह है।
 
65 साल से ज्यादा उम्र वालों पर कोरोना का सबसे ज्यादा खतरा है। ऐसे में चांसलर ने लोगों को सलाह दी कि अपने नाती-पोतों से मिलने जाने की जगह स्काइप और ई-मेल का सहारा लें या फिर चिट्ठी लिखने की पुरानी परंपरा की ओर लौटें।
 
कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच जर्मनी में लोग बड़ी मात्रा में सुपर मार्केट से सामान खरीद रहे हैं। किसी को डर है कि लॉकडाउन होने पर बाजार पूरी तरह बंद हो जाएंगे तो किसी को डर है कि बाजार में सामान ही खत्म हो जाएगा। लोग कई-कई महीनों का खाने-पीने का सामान घरों में जमा कर रहे हैं।
मर्केल ने लोगों से अफवाहों पर यकीन न करने की अपील की। उन्होंने सुनिश्चित किया कि खाने-पीने का सामान मिलना जारी रहेगा। हर कोई इस बात पर यकीन कर सकता है कि खाने-पीने का सामान हर समय उपलब्ध रहेगा। अगर शेल्फ खाली होंगे तो उन्हें भरा भी जाएगा।
 
यह एक ऐतिहासिक चुनौती है 
 
अपने संदेश में मर्केल ने अस्पतालों और सुपर मार्केट में काम करने वालों का तहेदिल से शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि आप लोग इस वक्त का सबसे मुश्किल काम कर रहे हैं और अपने देशवासियों की सेवा कर रहे हैं। साथ ही मर्केल ने यकीन दिलाया कि जर्मनी का मेडिकल सिस्टम दुनिया के बेहतरीन सिस्टम में से एक है लेकिन उन्होंने चेतावनी भी दी कि अगर लोग सार्वजनिक जीवन पर रोक का पालन नहीं करेंगे तो मुमकिन है कि अचानक ही कोरोना पीड़ितों की संख्या इतनी बढ़ जाए कि अस्पतालों के लिए इससे निपटना मुश्किल हो जाए।
 
मर्केल ने कोरोना से जंग को एक ऐतिहासिक चुनौती बताया कि यह एक ऐतिहासिक चुनौती है और हम मिलकर ही इसका सामना कर सकते हैं। मुझे यकीन है कि हम इससे उबर पाएंगे। लेकिन इस लड़ाई में हमारे कितने प्रियजन हमसे बिछड़ेंगे, यह हम पर निर्भर करता है।
उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल स्थिति हर दिन बदल रही है और आने वाले हफ्तों में लोगों को और भी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा कि आर्थिक रूप से अगले हफ्ते और भी मुश्किल होने वाले हैं। मैं आपको सुनिश्चित करती हूं कि इस मुश्किल घड़ी में सरकार आपकी मदद के लिए हर मुमकिन कदम उठा रही है।
 
चांसलर मर्केल ने कहा है कि दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से देश ने कभी इतनी बड़ी चुनौती का सामना नहीं किया है। जानकारों के अनुसार अगर वायरस को फैलने से रोका नहीं गया तो आने वाले महीनों में जर्मनी में करीब 1 करोड़ लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं।

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