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अवैध प्रवासन से प्रभावित हुई दिल्ली की अर्थव्यवस्था: रिपोर्ट

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अवैध प्रवासन की वजह से दिल्ली में 'मुस्लिमों की आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि' हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक अवैध प्रवासन ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है।

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DW

, बुधवार, 5 फ़रवरी 2025 (09:18 IST)
जेएनयू की एक रिपोर्ट के मुताबिक अवैध प्रवासन की वजह से दिल्ली में मुस्लिमों की आबादी बढ़ गई है। इसके बाद बीजेपी और आप के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। इसके अलावा रिपोर्ट की टाइमिंग पर भी सवाल उठ रहे हैं। दिल्ली विधानसभा चुनावों से ठीक पहले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की अवैध प्रवासियों को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है।
 
डीडी न्यूज की एक खबर के मुताबिक रिपोर्ट में अवैध प्रवासन से होने वाली सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक परेशानियों के बारे में बताया गया है, वहीं बांग्लादेश और म्यांमार से आए अवैध प्रवासियों को इसके लिए खासतौर पर जिम्मेदार ठहराया गया है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि एक व्यापक प्रवासन नीति बनाई जाए।
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि अवैध प्रवासियों ने दिल्ली की जनसांख्यिकी को बदल दिया है, संसाधनों पर दबाव डाला है और आपराधिक नेटवर्क को मजबूत किया है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अवैध प्रवासन की वजह से दिल्ली में 'मुस्लिमों की आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि' हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक अवैध प्रवासन ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है, सामाजिक-राजनीतिक तनाव पैदा किया है और सुरक्षा संबंधी चिंताएं बढ़ा दी हैं।
 
'रिपोर्ट सिर्फ एक हिस्सा, शोध पूरा होना बाकी'
 
114 पन्नों की इस रिपोर्ट को 'दिल्ली में अवैध प्रवासी: सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक परिणामों का विश्लेषण' नाम दिया गया है। अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स में इसके कुछ हिस्से दिए गए हैं लेकिन पूरी रिपोर्ट अभी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है। 'द प्रिंट' ने जेएनयू प्रशासन के हवाले से बताया है कि यह रिपोर्ट जेएनयू और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस के विद्यार्थियों ने मिलकर तैयार की है।
 
'द प्रिंट' के मुताबिक इस अध्ययन के लिए गृह मंत्रालय द्वारा जारी किए आंकड़ों को आधार बनाया गया। इसके अलावा 'पायलट स्टडी के लिए 21 क्षेत्रों का अध्ययन भी किया गया।' वहीं टाइम्स ऑफ इंडिया ने जेएनयू के एक अधिकारी के हवाले से बताया है कि यह रिपोर्ट एक नियमित अध्ययन का हिस्सा है। अधिकारी के मुताबिक 'यह शोध अक्टूबर 2024 में शुरू हुआ था और इसे पूरा करने में अभी 9 महीने और लगेंगे।'
 
बीजेपी-आप ने एक दूसरे पर लगाए आरोप
 
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने इस रिपोर्ट का हवाला देकर आम आदमी पार्टी पर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में रोहिंग्याओं और अवैध घुसपैठियों को बसाने में आम आदमी पार्टी की एक अहम भूमिका है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के आखिर में उन्होंने मतदाताओं से सोच-समझकर मतदान करने की अपील भी की।
 
इसके जवाब में आप प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा, 'अगर भारत में कहीं भी रोहिंग्या मौजूद हैं तो इसके लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जिम्मेदार हैं, वहीं दिल्ली में रोहिंग्याओं के बसने के लिए केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी जिम्मेदार हैं।'
 
इसके अलावा जेएनयू की टीचर्स एसोसिएशन ने इस रिपोर्ट की टाइमिंग को लेकर सवाल उठाए हैं। टीओआई की खबर के मुताबिक एसोसिएशन की अध्यक्ष मौसमी बसु ने कहा कि महाराष्ट्र चुनाव से पहले टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस ने भी ऐसी ही एक रिपोर्ट जारी की थी। उन्होंने कहा कि इस तरह नैरेटिव बनाना समस्याजनक है और सरकारी बयानबाजी को दोहराने से अकादमिक शोध को कोई लाभ नहीं होता।(फ़ाइल चित्र)

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