Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

डायनासोर के अंडे से मसाले पीस रही थी महिला

हमें फॉलो करें डायनासोर के अंडे से मसाले पीस रही थी महिला
, शुक्रवार, 28 अक्टूबर 2016 (11:37 IST)
गुजरात के बालासिनोर में करोड़ों साल पुराना खजाना दबा है। लेकिन उसकी ओर सरकार का कोई ध्यान नहीं है। एक राजकुमारी उस खजाने को बचाने की कोशिश कर रही है।
गुजरात में बालासिनोर रिसायत की राजकुमारी आलिया सुल्ताना बाबी एक गांव में घूम रही थीं। उन्होंने देखा कि एक महिला सिलबट्टे पर मसाले पीस रही है। महिला एक पत्थर से पिसाई कर रही थी। और वह पत्थर देखने में शानदार और अद्भुत था। राजकुमारी समझ गईं कि यह पत्थर कोई सामान्य चीज नहीं है। उन्होंने महिला से वह पत्थर ले लिया। आज वह पत्थर उनके संग्रह की सबसे नायाब और कीमती चीज है। वह पत्थर डायनासोर का अंडा है। बाबी बताती हैं, 'उस महिला को नहीं पता था कि उसके हाथ में डायनासोर का अंडा है। मैं इसे प्यार से मसाला अंडा कहती हूं।'
 
बालासिनोर को भारत का जुरासिक पार्क भी कहा जाता है क्योंकि यहां डायनासोर के काफी अवशेष मिले हैं। 42 साल की राजुकमारी बाबी के संग्रह में दर्जनों अवशेष हैं। इसलिए लोग उन्हें डायनासोर प्रिंसेस भी कहते हैं। जो अंडा बाबी के पास है उसकी आयु साढ़े छह करोड़ साल से साढ़े नौ करोड़ साल के बीच कुछ हो सकती है। यह टिटैनोसोरस प्रजाति का अवशेष है। अब यह एक लाल जूलरी बॉक्स में सफेद सिल्क में लिपटा हुआ रखा है।
 
1980 के दशक में शोधकर्ताओं को बालासिनोर के इस खजाने का पता चला। खुदाई में पता चला कि 72 एकड़ में फैली शाही परिवार की संपत्ति डायनासोर के अवशेषों से पटी पड़ी है। यहां एक नई प्रजाति भी मिली जो 6.7 करोड़ साल पुरानी थी। वैज्ञानिकों ने इस प्रजाति का नाम राजासोरस नर्मदेनसिस रखा जो नर्मदा नदी और राजपरिवार का प्रतीक है। राजासोरस 30 फुट लंबा एक प्राणी थी जिसके सिर पर ताज जैसे सींग थे। उसकी लंबी घुमावदार गर्दन उसे बेहद खूबसूरत बना देती थी।
 
स्थानीय विशेषज्ञ मानते हैं कि इस इलाके में डायनासोरों की कम से कम सात प्रजातियां रहती थीं। इनके जितने भी अवशेष अब तक मिले हैं उन्हें संभालकर रखा गया है। इसके अलावा फाइबरग्लास के मॉडल्स भी तैयार किए गए हैं जिन्हें दर्शक बालासिनोर डायनासोर फॉसिल पार्क में देख सकते हैं। एक अनुमान है यहां डायनासोरों के 10 हजार अंडे मिल चुके हैं जिन्हें दुनियाभर के विभिन्न संग्रहालयों में जगह मिली है।
 
लेकिन राजकुमारी बाबी को एक अफसोस है। उन्हें लगता है कि इस पार्क में जितनी क्षमता है उसका पूरा दोहन नहीं किया गया है। बल्कि जो मिल चुका है उसकी देखभाल तक नहीं हो रही है। अवशेष मिलते रहते हैं लेकिन लोग उन्हें पहचान नहीं सकते और बेशकीमती चीजों को भी पत्थर समझ लेते हैं। सुरक्षित पार्क बस एक गार्ड के भरोसे है।
 
अधिकारियों ने एक म्यूजियम भी बना रखा है लेकिन वहां बस पोस्टर और कुछ मॉडल्स रखे हैं। काम चल रहा है लेकिन इतना धीमा है कि सब परेशान हैं। गांव वालों को उम्मीद थी कि इस जगह का विकास होगा तो उन्हें भी रोजगार मिलेगा लेकिन अब तक कोई काम ही नहीं हुआ है। 26 साल के राजेश चौहान कहते हैं, 'बालासिनोर की ओर लोगों का ध्यान जा रहा है तो अच्छी बात है लेकिन हमारे लिए यह किसी काम का नहीं है। हम चाहते हैं कि सरकार हमारे बारे में भी कुछ सोचे। मरे हुए जानवरों की तो उसे चिंता है लेकिन जो लोग जिंदा हैं उनकी कोई चिंता नहीं है।'
 
- वीके/एके (एएफपी) 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

सरकार का काम रिटायर्ड कर्नल के कंधों पर