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क्या आप्रवासियों के लिए बुरे सपने जैसा है ट्रंप का आना

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अवैध आप्रवासियों के खिलाफ कई सख्त कार्यकारी आदेशों पर मुहर लगाई है जिससे आप्रवासियों के लिए आने वाला दौर मुश्किल हो सकता है।

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DW

, गुरुवार, 23 जनवरी 2025 (07:55 IST)
रितिका
शपथग्रहण समारोह के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप ने अवैध आप्रवासियों के लिए क्रिमिनल एलियन शब्द का इस्तेमाल किया। उन्होंने कई सख्त कार्यकारी आदेशों पर मुहर लगाई है जिससे आप्रवासियों के लिए आने वाला दौर मुश्किल साबित हो सकता है।
 
न्यू जर्सी में रहने वालीं प्रीति बहुत डरी हुई हैं। उन्होंने सुना है कि पुलिस और इमिग्रेशन विभाग के अधिकारी घर-घर जाकर विदेशियों की पूछताछ कर रहे हैं। डीडब्ल्यू हिंदी से बातचीत में उन्होंने बताया, "डर लगा रहता है कि कोई अभी आकर बोल देगा कि अब हमें अमेरिका से जाना होगा।"
 
प्रीति जैसे डर में इस वक्त अमेरिका के लाखों लोग जी रहे हैं। यह डर तभी से शुरू हो गया था जब नवंबर में डॉनल्ड ट्रंप ने अमेरिका के राष्ट्रपति पद का चुनाव जीता था। भारतीय विदेश मंत्री एस। जयशंकर और अमेरिकी सेक्रेटरी ऑफ स्टेट मार्को रूबियो की द्विपक्षीय बैठक के दौरान भी रूबियो ने आप्रवासन का मुद्दा उठाया है। 
 
20 जनवरी को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही डॉनल्ड ट्रंप ने कई आदेश जारी किए। इनमें से ज्यादातर आदेश वही हैं, जिन्हें पूरा करने के वादे ट्रंप ने किए थे। उनके कार्यकारी आदेशों में सबसे ऊपर है, आप्रवासन से जुड़े आदेश। इसमें आप्रवासन के लिए बनाए गए ऐप सीबीपी को बंद करना, जन्म के आधार पर मिलने वाली नागरिकता को रद्द करना, सीमा पर आपातकाल लगाना, जरूरत पड़ने पर सेना को सीमा पर भेजना जैसे फैसले शामिल हैं।
 
शपथग्रहण समारोह के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप ने अवैध आप्रवासियों के लिए क्रिमिनल एलियन शब्द का इस्तेमाल किया था। उनके चुनावी प्रचार के वादों में ही यह साफ झलक गया था कि उनका आने वाला कार्यकाल आप्रवासियों के लिए बेहद कठिन होने वाला है। खासकर उनके लिए जो अमेरिका आना चाहते हैं।
 
ट्रंप के शपथ लेते ही आप्रवासियों के लिए बना ऐप बंद
सैन डिएगो से सटी सीमा पर मेक्सिको की मारिया मारकाडो अपना फोन देखने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थीं। आखिरकार उन्होंने फोन चेक किया तो उनकी आंखों से आंसू बहने लगे। चार घंटे बाद मारिया की अपॉइंटमेंट, अमेरिका में कानूनी तौर पर प्रवेश करने की थी, लेकिन सीबीपी ऐप का नोटिफिकेशन बता रहा है कि आप्रवासियों की सारी अपॉइंटमेंट रद्द कर दी गई हैं।
 
मारिया के आस पास मौजूद दूसरे आप्रवासी भी एक दूसरे को गले लगाकर रो रहे थे या निराश थे। इनमें से ज्यादातर लोगों को नहीं पता कि अब उनके पास क्या विकल्प बचे हैं। इस ऐप के बंद होते ही अमेरिका जाने की उनकी सारी उम्मीदें फिलहाल खत्म होती दिख रही हैं।
 
दरअसल, ट्रंप के शपथ लेने के कुछ घंटों के अंदर ही आप्रवासियों के लिए बनाए गए "कस्टम एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन ऐप” ने काम करना बंद कर दिया। इस ऐप का मकसद था अमेरिकी सीमाओं पर अवैध आप्रवासियों के प्रवेश को रोकना। ऐप के जरिए आप्रवासी अमेरिकी प्रशासन के साथ अपॉइंटमेंट लेते थे ताकि वे वैध तरीके से अमेरिका आ सकें। इसके तहत उन्हें दो साल तक का वर्क परमिट मिलता था। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक महज 1,450 स्लॉट्स के लिए करीब 2,80,000 लोग लॉग इन करते थे। महीनों के लंबे इंतजार के बाद ही अपॉइंटमेंट मिलती थी।
 
ट्रंप के नए आदेश के मुताबिक अब ना सिर्फ इस ऐप के जरिए अपॉइंमेंट मिलनी बंद हो गई है बल्कि जिन्हें पहले से अपॉइंटमेंट मिली हुई थी उन्हें भी रद्द कर दिया गया। ऐप पर यह नोटिफिकेशन आते ही अमेरिकी सीमाओं पर हताश आप्रवासियों की भीड़ दिखी।
 
यह ऐप मेक्सिको, वेनेजुएला, क्यूबा, ​​​​कोलंबिया जैसे देशों के लोग ज्यादा इस्तेमाल करते थे। पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक करीब 10 लाख आप्रवासियों ने इस ऐप के जरिये दो सालों में अपॉइंटमेंट ली। साथ ही इस ऐप की मदद से अवैध तरीके से अमेरिका आने वाले आप्रवासियों की संख्या में भी कमी देखी गई।
 
अमेरिकी बॉर्डर पेट्रोल के डिप्टी चीफ मैथ्यू हूडाक के मुताबिक अब जब यह ऐप बंद हो गया है तो शायद सीमाओं पर अब लोग अवैध तरीके से घुसने की ज्यादा कोशिश करेंगे। इस ऐप का बंद होना आप्रवासन पर ट्रंप के सबसे कठोर फैसलों में से एक है।
 
जन्म के आधार पर नहीं मिलेगी नागरिकता
ट्रंप प्रशासन के नए आदेश के मुताबिक अब अमेरिका में अवैध तरीकों से रह रहे आप्रवासियों और अस्थायी तौर पर रह रहे आप्रवासियों के जो बच्चे अब वहां पैदा होंगे, उन्हें जन्म के आधार पर नागरिकता नहीं मिलेगी। आदेश जारी करने से पहले ट्रंप ने कहा था कि पूरी दुनिया में अमेरिका ही इकलौता देश है जहां ऐसा प्रावधान है और ये बिलकुल बेतुका है।
 
अमेरिकी कानून के मुताबिक वहां पैदा होने वाले बच्चों को अपने आप ही अमेरिकी नागरिकता मिल जाती है। इससे फर्क नहीं पड़ता कि उनके माता पिता अमेरिका के नागरिक हैं या नहीं। अमेरिकी संविधान के चौदहवें संशोधन के तहत यह अधिकार दिया गया है। इसलिए ट्रंप के इस आदेश को कानूनी बाधाओं से भी गुजरना पड़ सकता है।
 
ट्रंप के इस आदेश के बाद लगभग 24 डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रभाव वाले राज्यों और शहरों ने उनके खिलाफ संविधान की अवहेलना का मामला दर्ज करवाया है।मानवाधिकार और आप्रवासियों के लिए बने संगठन उनके इस आदेश को चुनौती देने की तैयारी भी करने लगे हैं।
 
ट्रंप के आदेश के तुरंत बाद ही "अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन” ने इस फैसले के खिलाफ केस भी दर्ज कर दिया है। फैसले को असंवैधानिक बताते हुए यूनियन के वकील एंथनी रोमेरो ने कहा कि ये ना सिर्फ संविधान के खिलाफ है बल्कि यह अमेरिकी मूल्यों को लापरवाही और निर्ममता के साथ नकारना है।
 
फिर से चर्चा में ट्रंप वॉल
अपने पहले कार्यकाल के दौरान डॉनल्ड ट्रंप ने अवैध आप्रवासन पर रोक लगाने के लिए अमेरिका और मेक्सिको की सीमा पर दीवार बनाने का आदेश जारी किया था। तब यह ट्रंप वॉल के नाम से जाना गया। ट्रंप के नए कार्यकारी आदेशों की फेहरिस्त में अमेरिकी सीमा पर दीवार बनाने को पूरा समर्थन देना भी शामिल है। खासकर मेक्सिको और अमेरिकी की सीमा से आने वाले आप्रवासियों पर ट्रंप प्रशासन की खास नजर होगी।
 
पहले कार्यकाल में ही ट्रंप ने "रिमेन इन मेक्सिको” नाम की नीति शुरू की थी जिसके तहत अमेरिका में आने वाले शरणार्थियों को मेक्सिको में ही इंतजार करना पड़ता था। हजारों की तादाद में लोग कैंपों में अपनी बारी का इंतजार करते। मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्ट के मुताबिक इन कैंपों में लोगों के साथ बलात्कार, अपहरण और लूटपाट जैसी घटनाएं भी हुईं। बाइडेन प्रशासन ने इस नीति को अमानवीय बताते हुए हटा दिया था। अब ट्रंप का दावा है कि वह फिर से इस नीति को लागू करेंगे।
 
अवैध आप्रवासियों को वापस भेजने की तैयारी
मौजूदा अमेरिकी सरकार के वादों में वहां पहले से ही रह रहे अवैध आप्रवासियों को वापस भेजने की योजना भी शामिल है। अमेरिकी सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 2022 तक अमेरिका में एक करोड़ से अधिक लोग अवैध तरीके से रह रहे थे। रिपब्लिकन पार्टी के मुताबिक इतनी बड़ी संख्या में लोगों ने अवैध तरीके से अमेरिकी सीमा में प्रवेश किया है इसलिए बड़ी संख्या में उन लोगों को वापस भेजना भी जरूरी है।
 
हालांकि, ट्रंप के आलोचकों का कहना है कि ऐसा करना अमेरिका के लिए नुकसानदायक होगा। इससे कारोबार, परिवार प्रभावित होंगे। साथ ही इसका बोझ टैक्स भरने वालों पर पड़ेगा। हालांकि प्रशासन डिपोर्टेशन की तैयारी शुरू कर चुका है। भारत के भी लगभग 18 हजार अवैध आप्रवासी वापस भेजे जाएंगे। प्रीति, जो अपना पूरा नाम नहीं बताना चाहतीं, अवैध रूप से ही अमेरिका में दाखिल हुई थीं। उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "पहले मेरे पति आए थे और उसके बाद मैं अपने दो बच्चों के साथ मेक्सिको के रास्ते दाखिल हुई थी। हम अपराधी नहीं हैं, बस एक बेहतर जिंदगी चाहते हैं।"
 
नया साल आने से पहले ही मिशेल बेरियोस ने हमेशा के लिए अमेरिका छोड़ दिया। निकारगुआ की मिशेल, बाइडेन के कार्यकाल के दौरान वैध रूप से अमेरिका आई थीं। इसके बावजूद उन्होंने अमेरिका से वापस जाना ही बेहतर समझा। खुद से ही वापस जाने वाले लोगों को लेकर कोई आधारिकारिक डेटा नहीं है। हालांकि, यह एक तरीके से अमेरिकी सरकार के लिए फायदे का ही सौदा है क्योंकि उनके बिना कुछ किए ही बहुत सारे लोग खुद ही वापस जा रहे हैं।
 
ट्रंप प्रशासन ने पूर्व आप्रवासन अधिकारी टॉम होमन को बॉर्डर जार के पद पर नियुक्त किया है। शपथग्रहण से पहले ही उन्होंने कहा था कि जिन्हें खुद अमेरिका से वापस जाना है वे चले जाएं वरना वे खुद अवैध रूप से रह रहे लोगों को खोजकर वापस भेजेंगे।
 
मिशेल कहती हैं कि उन्होंने सिर्फ अनिश्चितताओं के डर में अमेरिका नहीं छोड़ा बल्कि वहां का माहौल भी आप्रवासियों के प्रति बदलता नजर आया। वह कहती हैं कि अमेरिका ऐसा देश है जहां लोगों के अंदर मानवता की कमी दिखती है।
 
हालांकि, अवैध आप्रवासियों को खोजकर वापस भेजना प्रशासन के लिए इतना आसान नहीं है, जैसे दावे वे करते आए हैं। अमेरिकी इमिग्रेशन और कस्टम इनफोर्समेंट के पास पहले से ही अवैध आप्रवासियों के ऐसे 6,60,000 केस लंबित पड़े हैं जिन पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। साथी ही उनके पास आप्रवासियों के 70 लाख से भी अधिक केस मौजूद हैं।
 
फिर भी प्रीति अब दरवाजे पर होने वाली हर आहट पर घबरा जाती हैं। उनके वीजा का मामला अदालत में लंबित है लेकिन अब उन्हें उसका भी भरोसा नहीं रहा है। भरी हुई आंखों के साथ प्रीति कहती हैं, "सपना टूटने का अहसास हो रहा है।"

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