Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

जर्मनी में 'कट्टरपंथ फैलाते' सऊदी अरब, कुवैत और कतर

हमें फॉलो करें जर्मनी में 'कट्टरपंथ फैलाते' सऊदी अरब, कुवैत और कतर
, गुरुवार, 22 दिसंबर 2016 (14:48 IST)
एक खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि सऊदी अरब, कुवैत और कतर जर्मनी में कट्टरपंथ फैलाने में मदद कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक जर्मनी में मदरसे और मस्जिदें बना कर इस काम को अंजाम दिया जा रहा है।
ज्युड डॉयचे त्साइटुंग अखबार और जर्मन सरकारी टीवी ने इस रिपोर्ट को आधार बनाकर कहा है कि ये तीनों खाड़ी देश इस्लाम की अति कट्टरपंथी शाखा को जर्मनी में जड़ें जमाने में मदद दे रहे हैं। इसके तहत कई धार्मिक संगठन न सिर्फ जर्मनी में अपने उपदेशक भेज रहे हैं बल्कि देश में मदरसे और मस्जिदें भी बनाई जा रही हैं।
 
हालांकि सऊदी सरकार का कहना है कि ये संगठन अपने आप में स्वतंत्रत हैं और सरकार का उनसे कोई लेना देना नहीं है। लेकिन जर्मनी की विदेशी और घरेलू खुफिया एजेंसियां इस नतीजे पर पहुंची हैं कि ये लोग अपने देशों में सरकारी पदों पर बैठे लोगों के बहुत करीब हैं।
 
घरेलू खुफिया एजेंसी कुवैत स्थित एक एनजीओ रिवाइवल ऑफ इस्लामिक हेरिटेज सोसाइटी की मिसाल देती है। एजेंसी को इस संस्था के "मिशनरी काम" और जिहादी विचारधारा में कोई अंतर नजर नहीं आया। हालांकि ज्युड डॉएचे त्साइटुंग ने खुफिया एजेंसी के हवाले से यह भी कहा है कि उनके पास ऐसा कोई सबूत नहीं है कि इस सोसाइटी ने हिंसक सलाफी ढांचों और उनके नेटवर्क का स्पष्ट समर्थन किया है।
 
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक जर्मन खुफिया अधिकारियों ने ऐसे इस्लामी कार्यकर्ताओं और उपदेशकों की सूची बनाई है जिन्हें यूरोप की सीमा रहित शेंगेन इलाके में दाखिल नहीं होने देना चाहिए। जर्मनी की घरेलू खुफिया एजेंसी को आशंका है कि देश में इस्लामिक स्टेट के प्रति सहानुभूति रखने वाले बहुत से लोग हैं। कुछ महीने पहले जर्मन शहर लाइपजिग से इस्लामिक स्टेट के एक संदिग्ध आतंकी को गिरफ्तार भी किया गया। अभियोजन पक्ष के मुताबिक संदिग्ध धमाके करने की फिराक में था।
 
जर्मनी में इस्लाम की कट्टरपंथी सलाफी शाखा भी काफी सक्रिय बताई जाती है। खुद के धार्मिक तरीकों को "सच्चा धर्म" करार देने वाले सलाफी रुढ़िवादी तरीके से कुरान का अनुवाद कर बीते सालों में जर्मन शहरों में कुरान बांट चुके हैं। किताब के बाहर सिर्फ यही लिखा गया था कि, "इसे पढ़ें।" तब भी उनकी काफी आलोचना हुई। सलाफिज्म इस्लाम की किताबों की बेहद कड़े ढंग से व्याख्या करता है। सलाफी शरिया कानून लागू करने की वकालत करते हैं।
 
- एके/एमजे (डीपीए) 


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

शियाओं के खिलाफ आग उगलने वाले झंगवी पंजाब की असेंबली में