जर्मनी में एक टेलिग्राम चैट ग्रुप के सदस्यों को 'आतंकवादी गतिविधियों' की तैयारी के संदेह में हिरासत में लिया गया है। अधिकारियों का कहना है कि ये लोग जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री के अपहरण की योजना बना रहे थे।
कोविड को नकारने वाले गुट स्वास्थ्य मंत्री के अपहरण तक की योजना बनाने में जुट गए थे। अधिकारियों ने बुधवार को 9 राज्यों में कई ठिकानों पर छापे मारे हैं। ये ठिकाने चैट ग्रुप में शामिल लोगों से जुड़े हैं। अभियोजकों ने बताया है कि इस चैट ग्रुप में धमाके और "सार्वजनिक रूप से चर्चित लोगों" के अपहरण करने की योजना बनाई जा रही थी।
"फेराइंटे पैट्रियोटेन" यानी संयुक्त देशभक्त नाम के चैट ग्रुप में शामिल लोगों के संबंध उनसे हैं जो कोरोना वायरस से जुड़ी पाबंदियों का विरोध कर रहे हैं। इनका संबंध कथित "राइषबुर्गर" मूवमेंट से भी बताया जा रहा है जो सरकार के अधिकार की मुखालफत करता है। इसी गुट के लोगों ने जर्मन संसद पर दो साल पहले हमला भी किया था।
जर्मनी की गृह मंत्री नैंसी फेजर ने ट्वीटर पर लिखा है, "स्वास्थ्य मंत्री कार्ल लाउटरबाख और हम सब डेमोक्रैट के रूप में डरना स्वीकार नहीं करेंगे।"
छापे में मिले हथियार और धन
पश्चिमी जर्मनी के कोब्लेंज शहर के अभियोजकों का कहना है कि कुल 20 ठिकानों पर छापे मारे गए हैं। इसमें स्पेशल पुलिस दस्ता समेत कुल 270 अधिकारी शामिल हुए। चैट ग्रुप में शामिल 12 लोगों से पूछताछ की जा रही है। तलाशी के दौरान पुलिस को 22 पिस्टल, एक कलाश्निकोव राइफल, गोलियां, सोने के बिस्किट और चांदी के सिक्के भी मिले हैं।
चार संदिग्ध लोगों को गिरफ्तार किया गया है। अभियोजकों का कहना है कि इन लोगों ने अब तक चुप रहने का फैसला किया था। इन लोगों को राइनलैंड पलैटिनेट राज्य के अलग अलग प्रीट्रायल सेंटरों में रखा गया है। संदिग्धों में एक की उम्र 55 और दूसरे की 54 साल है और दोनों पुरुष हैं। इनके साथ दो और संदिग्ध हिरासत में हैं इन लोगों पर गंभीर हिंसा की तैयारी करने, राज्य के लिए खतरा बनने और हथियारों पर नियंत्रण के कानून के उल्लंघन से जुड़े मामले में मुकदमा चल सकता है।
क्या करने की योजना बनी थी
इन लोगों पर आरोप है कि ये पहले बिजली संयंत्रों को नुकसान पहुंचाना चाहते थे ताकि पूरे देश में ब्लैकआउट हो जाए। इसके बाद इनका अगला कदम स्वास्थ्य मंत्री का अपहरण करना था। इसके बाद इनकी मंशा देश में "गृहयुद्ध जैसी परिस्थितियां" पैदा करने की थीं। राइनलैंड पलैटिनेट राज्य के अटॉर्नी जनरल के दफ्तर का कहना है कि ये लोग सरकार पर नियंत्रण करना चाहते थे।
अभियोजक युर्गेन ब्राउर का कहना है कि इनकी योजना ऑनलाइन चैट से आगे बढ़ गई थी। ब्राउर ने कहा, "हमारे लिए यह साफ है कि यह सिर्फ कुछ भटके हुए लोगों से जुड़ी हरकत नहीं बल्कि खतरनाक अपराधियों से जुड़ी है जो अपनी योजना पर काम करना चाहते थे।"
इस गुट के खिलाफ जांच पिछले साल अक्टूबर में शुरू हुई। गृहमंत्री का कहना है कि संदिग्धों ने एक "गंभीर आतंकवादी खतरा" पैदा किया है। उन्होंने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि यह पहली बार नहीं है जब कोरोना वायरस को खारिज करने वालों और चरमपंथियों ने नेटवर्क बनाया है और टेलिग्राम पर कट्टरता दिखाई है।
फेजर ने ट्वीटर पर लिखा है, "यह दिखाता है कि चरमपंथियों और आतंकवादी खतरों के खिलाफ इस प्लेटफॉर्म पर निर्णायक रूप से काम करना करना कितना जरूरी है।"
लोकतंत्र का विरोध
स्वास्थ्य मंत्री लाउटरबाख का कहना है कि इस तरह के कथित खतरों से वो "विचलित" नहीं होंगे। जर्मन अखबार बिल्ड से बातचीत में लाउटरबाख ने कहा है, "कोविज को खारिज करने वाले कुछ लोग टीकाकरण या वायरस से बचने के उपायों से नहीं लड़ रहे हैं। वे लोग हमारे बुनियादी लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ लड़ रहे हैं।"
बीते साल दिसंबर में स्वास्थ्य मंत्री बने लाउटरबाख खुद भी डॉक्टर हैं और कोरोना वायरस के खिलाफ सरकार की रणनीति का प्रमुख चेहरा रहे हैं। हाल के महीनों में हालांकि इसका मोटे तौर पर मतलब पाबंदियों को हटाना और लोगों से सावधानी बरतने का अनुरोध ही है।
बिल्ड अखबार ने खबर दी है कि टेलिग्राम चैट ग्रुप ने हजारों यूरो की रकम जुटाई थी ताकि वो अपनी योजना के लिए और ज्यादा हथियार खरीद सकें।