Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

क्यों डरती हैं जर्मन महिलाएं अस्पताल जाने से?

हमें फॉलो करें क्यों डरती हैं जर्मन महिलाएं अस्पताल जाने से?
, रविवार, 15 सितम्बर 2019 (11:05 IST)
जर्मनी में हर तीसरी महिला अस्पताल जाने से डरती है। पुरुषों की हालत महिलाओं से बेहतर है लेकिन बहुत बेहतर नहीं। हर चौथा पुरुष भी अस्पताल जाने से डरता है।
 
जर्मनी की चिकित्सा व्यवस्था बहुत अच्छी मानी जाती है। लगभग सभी लोगों के पास स्वास्थ्य बीमा है जिसकी वजह से उन्हें डॉक्टरों या अस्पतालों पर होने वाले खर्च की बहुत चिंता नहीं होती। लेकिन फिर भी बहुत से लोग अस्पताल जाने से डरते हैं। डरने वालों में महिलाओं का अनुपात ज्यादा है।
 
एक सर्वे के अनुसार 32 प्रतिशत महिलाएं क्लिनिक में इलाज कराने से डरती हैं। अस्पताल से डरने के मामले में पुरुषों की हालत महिलाओं से थोड़ी बेहतर है। फिर भी हर चौथे यानी करीब 25 प्रतिशत पुरुषों को क्लिनिक में रहकर इलाज कराने से डर लगता है।
 
यह सर्वे स्वास्थ्य बीमा कंपनी केकेएच के लिए प्रसिद्ध संस्था फोरसा ने किया है। फोरसा के सर्वे के अनुसार अस्पतालों से लोगों के डर की कई वजहें हैं। लेकिन हर तीसरा मरीज डर की वजह अस्पतालों में हुए अपने पुराने अनुभव को बताता है।
 
बहुत से मरीज अस्पताल में भर्ती होने से पहले बीमारी के बारे में विस्तृत जानकारी चाहते हैं। बीमारी, इलाज के तरीके और अस्पताल के बारे में भी वे जानकारी चाहते हैं। सर्वे में भाग लेने वाले तीन-चौथाई लोग इंटरनेट से जानकारी जुटाते हैं, तो दो तिहाई इसके लिए अपने जानने वालों के अनुभवों पर भरोसा करते हैं।
 
सर्वे के अनुसार जिन लोगों को अस्पताल जाने में डर लगता है, उनमें से 81 फीसदी को अस्पताल में इंफेक्शन हो जाने का डर लगता है। जर्मनी के अस्पतालों में मल्टी रेसिस्टेंट रोगाणुओं की समस्या है। एक तो नियमित सफाई के बावजूद वहां रोगाणु पूरी तरह से दूर नहीं होते, तो दूसरी ओर एंटीबायोटिक का असर नहीं होने के कारण वे पूरी तरह से खत्म नहीं होते। मल्टी रेसिस्टेंट रोगाणु इंसान से इंसान में आसानी से संक्रमण फैलाते हैं। हर दूसरे मरीज को फिर से ऑपरेशन किए जाने या एनेस्थीशिया के दौरान जटिलता पैदा होने का डर लगता है।
 
बहुत से मरीजों की चिंता और भी होती है। उन्हें जख्म के जल्दी नहीं भरने या दवाओं और चिकित्सीय सामानों के अच्छी क्वॉलिटी के न होने का डर भी सताता है। ऑपरेशन के बाद कभी-कभी यहां भी पुर्जे शरीर के अंदर छूट जाते हैं। इसलिए अस्पताल से डरने का तीसरा बड़ा कारण ऑपरेशन के पुर्जों का शरीर में छूटना और दवाओं को बर्दाश्त न करना होता है। इस सर्वे के लिए पिछली जुलाई में 18 से 70 साल की उम्र के करीब 1,000 जर्मन नागरिकों से सवाल पूछे गए थे। एमजे/आईबी (एएफपी)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

जर्मनी और भारत से अब तक कोई महिला अंतरिक्ष में क्यों नहीं पहुंची?