पाकिस्तान के सिंध प्रांत में किशोर एचआईवी से तेजी से प्रभावित हो रहे हैं। इस बात का खुलासा होने के बाद स्थानीय सरकार हरकत में आई है कि आखिर ऐसा कैसे हो रहा है?
पाकिस्तानी डॉक्टरों के एक समूह ने कहा कि देश के पश्चिमी शहर रत्तोडेरो में खराब स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण बच्चे बड़ी तेजी से एचआईवी की चपेट में आ रहे हैं। डॉक्टरों ने कहा कि ऐसा गंदी सुई और दूषित खून के इस्तेमाल वजह से हो रहा है। समूह ने शुक्रवार को यह बयान जारी किया।
डॉक्टरों ने पाकिस्तान सरकार से आग्रह किया है कि वे इस बात को समझने के लिए ज्यादा काम करें कि आखिर यह वायरस ड्रग यूजर्स और यौनकर्मियों जैसे ज्यादा जोखिम वाले लोगों से सामान्य आबादी तक कैसे पहुंचा? उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि दक्षिणी सिंध प्रांत के रत्तोडेरो शहर में 591 बच्चों को इलाज की जरूरत है लेकिन इसके लिए पर्याप्त सुविधा उपलब्ध नहीं है।
डॉक्टरों का कहना है कि यह सच्चाई वाकई चिंताजनक है। उन्होंने रत्तोडेरो में 31,239 लोगों के मेडिकल डाटा का अध्ययन किया। यहां काफी संख्या में लोग एचआईवी से प्रभावित हुए हैं। ये वो लोग हैं, जो रिसर्च के दौरान बीमारी के बारे में जानकारी देने के लिए रजामंद हो गए।
इंटरनेशनल लांसेट इंफेक्शियस डिजिज जर्नल में प्रकाशित रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार उस समूह में 930 लोग एचआईवी पॉजिटिव थे। इसमें 5 साल से ज्यादा उम्र वालों की संख्या 604 और 16 साल से ज्यादा उम्र वालों की संख्या 763 थी।
बयान में कहा गया है कि इस साल जुलाई महीने के अंत तक यह अध्ययन समाप्त हुआ। उस समय तक 3 में से सिर्फ 1 बच्चे का ही एंटीरेट्रोवाइरल ट्रीटमेंट शुरू हुआ, क्योंकि दवाओं और प्रशिक्षित कर्मचारियों का काफी अभाव था। रिसर्च में यह बात भी सामने आई है कि जिन बच्चों की जांच किए हुई उनमें से 50 में 'गंभीर इम्युनो डेफीसिएन्सी' के लक्षण दिख रहे हैं लेकिन वे पूरी तरह एड्स की चपेट में आ गए हैं या नहीं, यह साफ नहीं हो पाया है।
बयान के अनुसार जो नतीजे सामने आए हैं, उसमें यह पता चला कि इलाज कराने वालों ज्यादातर बच्चों के लिए दूषित सुइयों और खून का इस्तेमाल किया गया। सिंध प्रांत के कराची में मौजूद आगा खां विश्वविद्यालय की डॉ. फातिमा मीर कहती हैं, 'पिछले 2 दशकों में पाकिस्तान में कई बार एचआईवी का प्रकोप सामने आया है। लेकिन इससे पहले हमने ये नहीं देखा कि इतने सारे किशोर प्रभावित हुए हैं या इसके पीछे की वजह स्वास्थ्य सुविधा है।' फातिमा इस अध्ययन में शामिल रही हैं।
पाकिस्तान की कुल आबादी करीब 22 करोड़ है। इसमें से 70 प्रतिशत स्वास्थ्य सेवा के लिए निजी क्षेत्र का रुख करते हैं। इन निजी क्षेत्रों में ज्यादातर पर किसी संस्था का नियंत्रण नहीं है और शायद ही कभी सफाई और सुरक्षा को लेकर इसकी निगरानी की जाती है।
कई पाकिस्तानियों के बीच यह धारणा यह है कि इंट्रावेनस या इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन खाने वाली दवा से ज्यादा प्रभावी होता है। इस धारणा की वजह से देश में सीरिंज का उपयोग बढ़ा है और गंदी सुई के इस्तेमाल की संभावना भी बढ़ जाती है।
बयान में कहा गया है कि रत्तोडेरो में एचआईवी का प्रकोप सामने आने के बाद सरकार ने तत्काल कई कदम उठाए। 3 ब्लड बैंकों को बंद कर दिया गया और अप्रशिक्षित कर्मचारियों की सहायता से चलाए जा रहे 300 क्लिनिक को बंद किया गया।
- आरआर/एनआर (एपी)