मनीष कुमार, पटना
पुलिस की एक रिपोर्ट के अनुसार बिहार में प्रेम संबंध में इस साल पहले छह माह में शादी के लिए भागने वाले ऐसे 1870 मामले सामने आए है। ज्यादातर मामलों में लड़की, लड़के को लेकर भागी।
चार साल से उसके साथ मेरा प्रेम संबंध है, मैंने अपनी मर्जी से उससे शादी की है। वो मुझे भगाकर नहीं लाया, मैं खुद उसको लेकर भागी हूं।'' सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जारी एक वीडियो में ये अल्फाज हैं उस लड़की के, जिसके पिता ने एक लड़के के खिलाफ अपनी बिटिया के अपहरण की एफआइआर की है।
बिहार में हाल के महीनों में ऐसी घटनाएं तेजी से बढ़ीं हैं, जिसमें लड़की के घरवाले उसके गायब होने पर अपहरण की प्राथमिकी दर्ज करवाते हैं। लेकिन, मामला जब सुलझता है तो वह प्रेम प्रसंग से जुड़ा होता है जिसमें लड़की खुद ही अपने प्रेमी के साथ फरार हुई होती है। ऐसे प्रकरणों से पुलिस तंग-तबाह है। इन्हीं मामलों को हनीमून किडनैपिंग यानि शादी के लिए अपहरण की संज्ञा दी गई है। यह शब्द पुलिस द्वारा गढ़ा गया है जिसका उपयोग वे शादी के लिए घर से लड़के-लड़कियों के भागने वाले मामले के लिए करते थे।
समय के साथ परिदृश्य बदल रहा है, पहले लड़की को लेकर लड़का फरार होता था, अब प्रेमिका ही प्रेमी को लेकर भाग रही है। वे खुलेआम इसका एलान कर पुलिस से हड़बड़ी में लड़के के परिवार वालों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं करने का अनुरोध भी कर रही हैं। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर वायरल ऐसे मामलों से समाज विज्ञानी हतप्रभ हैं।
"मैं लड़के को भगाकर लाई हूं"
दरभंगा की रूपांजलि ने अपने ही गांव के लड़के राजकुमार से भागकर शादी कर ली। लोकलाज के भय से परिजनों ने अपहरण का मुकदमा दर्ज करा दिया। लेकिन लड़की ने एक वीडियो जारी कर पूरे मामले को ही उलट दिया। उसने मुकदमे को झूठा बताते हुए अपनी मर्जी से भागने की नहीं, लड़के को भगाकर शादी करने का एलान कर दिया। उसने यहां तक कह दिया कि मेरे घरवालों के डर से ही राजकुमार को घर छोड़ना पड़ा। इसी तरह वैशाली की बंधन कुमारी ने पिछले माह भागकर पास के ही गांव के विशाल से शादी कर ली। उसके दो दिन बाद परिवार वालों ने थाने में लड़के और उसके परिजनों पर एफआइआर कर दी।
इसका पता चलते ही बंधन ने एक वीडियो जारी कर साफ कह दिया कि मैंने अपनी मर्जी से शादी की है, कृपया हमें डिस्टर्ब न करें। मुजफ्फरपुर की युवती सुधा ने अपनी मर्जी की शादी में जाति को बाधक देखा तो उसने भागकर अपने ही गांव के विजय से विवाह कर लिया। पिता ने जब केस किया तो एक वीडियो जारी कर भागने की वजह को साफ कर दिया।
मुजफ्फरपुर की ही शाजिया ने घरवालों द्वारा तय की गई शादी के हफ्ताभर पहले भाग कर निकाह कर लिया। वीडियो जारी कर उसने पुलिस से ससुराल वालों को परेशान नहीं करने का आग्रह करते हुए कहा कि घरवाले जबरन उसकी शादी करवा रहे थे। ऐसा ही एक मामला सारण (छपरा) जिले में देखने को मिला जहां दो विभिन्न संप्रदायों के प्रेमी जोड़े ने विवाह कर लिया था। मुकदमा होने के बाद वीडियो जारी कर अपने प्यार का इकरार किया और पिता पर आरोप लगाया कि वे जबरिया उसकी शादी किसी और से करा रहे थे जबकि वह अपनी मर्जी से शादी करना चाह रही थी।
ये अलग बात है कि पुलिस कानून के दायरे में अपना काम कर रही है और इन प्रेमी जोड़ों की तलाश में जुटी है। हाल के ही दिनों में घर से भाग कर शादी करने वाली पश्चिम चंपारण जिले की एक लड़की नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर कहती है, मैं खुद लड़के को लेकर भागी हूं। चार साल से मैं उसके प्यार में हूं। कहने के बावजूद घर के लोग मेरी बात नहीं मान रहे थे। दूसरी जगह शादी करने की बात चल रही थी। कोई चारा नहीं था घर से भागने के अलावा। और इंतजार संभव भी नहीं था। जब पुलिस उसके निर्दोष घरवालों को तंग करने लगी तो मुझे वीडियो जारी कर पुलिस से सच्ची बात कहनी पड़ी।''
औसतन हर रोज भाग रहीं दस लड़कियां
पुलिस की एक रिपोर्ट के अनुसार बिहार में प्रेम संबंध में इस साल पहले छह माह में शादी के लिए भागने वाले ऐसे 1870 मामले सामने आए। अगर प्रतिदिन के हिसाब से देखें तो औसतन ऐसे दस मामले रोजाना सामने आ रहे हैं। इस प्रकार औसतन हर ढाई घंटे में एक प्रेमी युगल घर से फरार हो रहा है। इस साल अब तक हनीमून किडनैपिंग के 2778 मामले दर्ज हो चुके हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार इस मामले में बिहार दूसरे नंबर पर है। जहां 2020 में 5308 ऐसी घटनाएं हुईं थी, वहीं 2021 में 6589 मामले सामने आए।
पुलिस अधिकारी एमपी सिंह कहते हैं, ऐसे मामले काफी परेशान करते हैं। कभी-कभी तो विधि व्यवस्था के लिए चुनौती बन जाते हैं। दूसरे राज्यों का चक्कर भी काटना पड़ता है, लेकिन जब केस सुलझता है तो मामला कुछ और ही निकलता है।''
प्रेम विवाह को सामाजिक मान्यता नहीं
समाजशास्त्र के जानकार इसे नारी सशक्तिकरण के परिणाम के तौर पर देखते हैं। प्रोफेसर एससी महतो कहते हैं, इस स्थिति को आप एक तरह की सामाजिक क्रांति कह सकते हैं, जो तकनीक के बढ़ते प्रयोग तथा महिलाओं की बढ़ती साक्षरता दर की वजह से देखने को मिल रही है। गांव-गांव की महिलाएं कम पढ़े-लिखे होने के बावजूद स्मार्टफोन व इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहीं हैं, यह क्या है। पीछे झांक कर देखें, महिलाएं तो अपनी वाजिब बात भी नहीं कह पाती थीं।''
पत्रकार सुधीर के सिंह इसे पाश्चात्य शैली के कुप्रभाव के रूप में देखते हैं। उनका मानना है कि स्मार्टफोन व इंटरनेट के प्रसार के कारण युवा अब 15-16 साल में ही सब कुछ जानने लगे हैं, क्योंकि इंटरनेट पर हर अच्छी-बुरी चीज उपलब्ध है। वे इसी से दिग्भ्रमित हो रहे हैं। इसलिए गायब होने वाली अधिकतर लड़कियां 15 से 20 साल की होती हैं। वे कहते हैं, प्रेम विवाह को अभी हमारा समाज मान्यता नहीं देता है। लोकलाज के भय से लड़की के माता-पिता उसे समझाने की बजाय डांटते हैं, धमकाते हैं। इससे स्थिति और बिगड़ती है और अंतत: वे घर से भागकर प्रेमी के पास पहुंच जाती है।''
मनोचिकित्सक डॉ अनामिका कहती हैं, जिंदगी की भागदौड़ के कारण माता-पिता व बच्चों के बीच संवादहीनता की स्थिति बन जाती है। किशोरावस्था में वैसे ही शारीरिक परिवर्तन की वजह से लड़के-लड़कियां तनाव में होते हैं, वे ज्यादा एग्रेसिव रहते हैं। डांट-फटकार के बाद माता-पिता की हर बात बुरी लगती है और धीरे-धीरे वे विद्रोही हो जाते हैं।''
ऐसी स्थिति में इमोशनल होने के कारण बाहरी व्यक्ति जो उनकी बात सुनता है, प्यार जताता है वह उन्हें अच्छा लगने लगता है। उन पर उनका भरोसा बना जाता है और फिर इमोशनल अटैचमेंट के कारण वह फीलिंग्स के आधार पर निर्णय लेने लगता है। उसे सही-गलत का एहसास नहीं हो पाता है। जिसकी परिणति ऐसी ही घटनाओं के रूप में होती है।