नाई का उस्तरा कैसे कर सकता है आपके लिवर को खराब?
						
		
						
				
हेपेटाइटिस का संक्रमण हर बार घातक नहीं होता लेकिन कुछ तो लिवर को इतना नुकसान करते हैं कि ट्रांसप्लांट की नौबत आ जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि खानपान को नियमित रखने के साथ साफ-सफाई से लिवर सुरक्षित रखा जा सकता है।
			
		          
	  
	
		
										
								
																	रामांशी मिश्रा
	यूपी के सीतापुर जिले के सोनसरी गांव में जुलाई के आखिरी हफ्ते में एक साथ 96 लोगों में हेपेटाइटिस B और C संक्रमण सामने आया। स्वास्थ्य विभाग के सघन स्क्रीनिंग अभियान में 56 और नए संक्रमित लोग सामने आए। कुल 152 संक्रमितों का मिलना एक छोटे से गांव के लिए न केवल डराने वाला बल्कि बेहद चिंताजनक भी है।
	 
	इस संक्रमण के फैलने के पीछे का कारण जानने के लिए नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) की टीम ने ग्रामीणों से बातचीत कर संक्रमण का स्रोत जानने की कोशिश की। इसमें संक्रमण के संभावित कारणों में सैलून में बिना सैनिटाइज किए उपकरणों का इस्तेमाल प्रमुख तौर पर सामने आया।
	 
	लिवर में इन्फ्लेशन या इन्फेक्शन
	लिवर हमारे शरीर का बहुत जरूरी अंग है। यह खून को साफ करता है, खाना पचाने में मदद करता है और शरीर से टॉक्सिक पदार्थ बाहर निकालता है। हेपेटाइटिस एक प्रकार का यकृत (लिवर) संक्रमण है जो विभिन्न वायरसों के कारण होता है। लिवर में सूजन (इन्फ्लेमेशन) और संक्रमण (इन्फेक्शन) तब होता है जब लिवर पर कोई बाहरी या अंदरूनी असर पड़ता है। जब लिवर को कोई नुकसान पहुंचता है, तो वह खुद को बचाने के लिए प्रतिक्रिया देता है और इसी प्रक्रिया में सूजन आ जाती है।
	 
	सूजन कई वजहों से हो सकती है- जैसे अगर किसी को हेपेटाइटिस वायरस लग जाए जैसे A, B, C, या कोई बहुत ज्यादा शराब पीता हो या लिवर में चर्बी जमा हो जाए तो इससे फैटी लिवर हो सकता है। कुछ दवाएं जैसे पेनिसिलिन, स्टेरॉयड्स या कोई अन्य केमिकल लिवर को नुकसान पहुंचाकर इन्फ्लेमेशन पैदा कर सकते हैं। संक्रमण तब होता है जब कोई वायरस, बैक्टीरिया या परजीवी लिवर में घुसकर उसे बीमार कर देता है। हेपेटाइटिस वायरस इसका सबसे आम कारण है।
	 
	क्या है हेपेटाइटिस का संक्रमण 
	लिवर संक्रमण के कई पहलुओं पर एम्स नई दिल्ली के डॉ. एन. आर. दास ने डीडब्ल्यू से बात की। डॉक्टर दास एम्स के गैस्ट्रोसर्जरी विभाग के प्रोफेसर हैं। उन्होंने बताया कि हेपेटाइटिस को "साइलेंट किलर" यानी चुपचाप मारने वाली बीमारी इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह शुरुआती दौर में कोई खास लक्षण नहीं दिखाती, लेकिन अंदर ही अंदर लिवर को गंभीर नुकसान पहुंचाती रहती है।
	 
	डॉ. दास कहते हैं कि हेपेटाइटिस B और C वायरस बहुत छोटे घावों या कट्स से भी शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। सीतापुर के मामले में सैलून से संक्रमण फैलना संभव है। नाई एक ही रेज़र या कैंची का कई लोगों पर प्रयोग करते हैं, जिससे वायरस फैल सकता है। इसलिए लोगों को सलाह दी जाती है कि वे डिस्पोजेबल ब्लेड का इस्तेमाल करें और संभव हो तो अपनी शेविंग किट साथ लाएं।
	 
	हेपेटाइटिस B और C के अलावा भी इसके कई प्रकार होते हैं। इसमें हेपेटाइटिस A, B, C, D और E शामिल हैं। हेपेटाइटिस C को इन सबमें सबसे घातक माना जाता है क्योंकि यह अक्सर क्रॉनिक होता है। ये लंबे समय तक शरीर में रह सकता है, इसलिए इससे लिवर को गंभीर नुकसान पहुंचता है।
	 
	क्यों होता है संक्रमण
	हेपेटाइटिस का संक्रमण कई कारणों से हो सकता है और इसकी प्रकृति इस बात पर निर्भर करती है कि कौन-सा प्रकार है। हर प्रकार का वायरस अलग तरीके से फैलता है और उसके जोखिम भी अलग होते हैं। हेपेटाइटिस A और E आमतौर पर दूषित भोजन और पानी के माध्यम से फैलते हैं। गंदे हाथों से बने और खुले में बिकने वाले अस्वच्छ भोजन और बिना उबाले पानी का सेवन करने वाला व्यक्ति इससे संक्रमित हो सकता है अगर हेपेटाइटिस का वायरस इसमें मौजूद हो।
	 
	हेपेटाइटिस B, C और D मुख्य रूप से संक्रमित रक्त के संपर्क में आने से फैलते हैं। यदि किसी व्यक्ति को बिना जांचे हुए रक्त चढ़ाया जाए या दूषित सुई का उपयोग किया जाए, तो संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, असुरक्षित टैटू या पियर्सिंग उपकरण, संक्रमित रेजर या ब्लेड का साझा उपयोग और ड्रग्स के लिए सुई साझा करने से भी संक्रमण हो सकता है। डॉ. दास बताते हैं, "हेपेटाइटिस C का संक्रमण अक्सर बिना किसी लक्षण के दिखे शरीर में कई वर्षों तक बना रहता है। ऐसे में व्यक्ति को पता ही नहीं चलता कि वह संक्रमित है। धीरे-धीरे यह संक्रमण लिवर में सूजन, फाइब्रोसिस और सिरोसिस का कारण बनता है, जो आगे चलकर लिवर फेल होने या लिवर कैंसर में बदल सकता है।”
	 
	डॉ. दास कहते हैं कि कभी-कभी यौन संबंधों के माध्यम से भी हेपेटाइटिस B और C का संक्रमण हो सकता है। यदि किसी व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाए जाएं और वह व्यक्ति संक्रमित हो, तो वायरस स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर सकता है। इसके अलावा कई लोगों के साथ यौन संबंध बनाना या सुरक्षा के उपाय न अपनाना इस संक्रमण को बढ़ावा देता है।
	 
	भारत में हेपेटाइटिस संक्रमण कितनी बड़ी समस्या
	विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ग्लोबल हेपेटाइटिस रिपोर्ट-2024 के अनुसार, भारत में लगभग 2।9 करोड़ लोग हेपेटाइटिस B और 55 लाख लोग हेपेटाइटिस C से संक्रमित हैं। इसका मतलब है कि कुल मिलाकर 3.4 करोड़ से अधिक भारतीय इन दो प्रकार के वायरल हेपेटाइटिस से ग्रस्त हैं। असल में ये संख्या वैश्विक मामलों का लगभग 11.6 फीसदी है, जो भारत को चीन के बाद दूसरा सबसे अधिक प्रभावित देश बनाती है।
	 
	साल 2022 में भारत में हेपेटाइटिस B और C के कारण 1.23 लाख लोगों की मौत हुई। यह आंकड़ा बताता है कि हेपेटाइटिस व्यापक होने के साथ जानलेवा भी है। यही कारण है कि इसे साइलेंट किलर' कहा जाता है। हेपेटाइटिस के इलाज की स्थिति और भी चिंताजनक है। हेपेटाइटिस B के महज 2।4 फीसदी मामलों और हेपेटाइटिस C के 28 फीसदी मामलों का ही भारत में निदान हो पाता है।
	 
	अब तक कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं
	इस संक्रमण की एक और गंभीर बात यह है कि हेपेटाइटिस C के लिए कोई वैक्सीन अब तक उपलब्ध नहीं है। जबकि हेपेटाइटिस A और B के लिए टीके मौजूद हैं। डॉ। दास बताते हैं कि हेपेटाइटिस C से बचाव के लिए केवल सावधानी ही एकमात्र उपाय है। हालांकि अब इसके इलाज के लिए कुछ प्रभावी दवाएं उपलब्ध हैं, लेकिन यदि संक्रमण का पता देर से चले तो नुकसान की भरपाई संभव नहीं है।
	 
	हेपेटाइटिस A और E  आमतौर पर हल्के होते हैं और अपने आप ठीक हो जाते हैं। डॉ. एन. आर. दास बताते हैं कि हेपेटाइटिस D भी गंभीर हो सकता है, लेकिन यह केवल उन्हीं लोगों में गंभीर हो सकता है जो पहले से हेपेटाइटिस B से संक्रमित रहे हों। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं में हेपेटाइटिस E जानलेवा साबित हो सकता है।
	 
	हेपेटाइटिस के संक्रमण में साफ-सफाई की भूमिका
	लखनऊ के संजय गांधी स्नाकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) की सीनियर डायटीशियन रमा त्रिपाठी का कहना है कि गर्भवती महिलाओं के मामले में, पेटाइटिस B और C मां से बच्चे को प्रसव के दौरान या स्तनपान के समय संक्रमित कर सकते हैं। इसलिए यदि महिला संक्रमित हो, तो नवजात को जन्म के तुरंत बाद वैक्सीन देना आवश्यक होता है ताकि उसे संक्रमण से बचाया जा सके।
	 
	कई अन्य मामलों में व्यक्तिगत स्वच्छता की कमी भी संक्रमण का एक बड़ा कारण पाया गया है। रमा त्रिपाठी बताती हैं, "संक्रमित व्यक्ति के साथ तौलिया, ब्रश, रेजर आदि साझा करना, हाथ न धोना, या सार्वजनिक शौचालयों का अस्वच्छ उपयोग वायरस के फैलाव को बढ़ा सकता है। इसलिए साफ-सफाई और व्यक्तिगत हाइजीन का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।”
	 
	हेपेटाइटिस के लक्षण
	बदलती खानपान की आदतों के कारण ही लिवर का संक्रमण शरीर में घर करता है। रमा बताती हैं कि जब लिवर में वसा जमा हो जाता है तो वह कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाकर सूजन पैदा करता है। यह स्थिति मोटापे, डायबिटीज और अस्वस्थ जीवनशैली से जुड़ी होती है।
	 
	ऐसे संक्रमण में तेज बुखार, पेट में दर्द, कमजोरी और कभी-कभी पीलिया जैसे लक्षण दिखते हैं। अगर लिवर में सूजन या संक्रमण लंबे समय तक बना रहे, तो यह लिवर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए अगर किसी को थकान, पेट दर्द, भूख न लगना, या आंखों में पीलापन दिखे, तो डॉक्टर से जांच कराना जरूरी होता है। डॉ। दास कहते हैं कि कुछ लक्षण पहचान में मदद कर सकते हैं जैसे कि लगातार थकान और कमजोरी रहना, पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में दर्द होना, त्वचा और आंखों का पीला पड़ना (पीलिया), भूख में कमी, उल्टी या मिचली आना या बुखार आना (खासकर इन्फेक्शन में)।
	 
	किन बातों का रखना चाहिए ध्यान
	डायटीशियन रमा त्रिपाठी कहती हैं कि हेपेटाइटिस के संक्रमण में खानपान की बड़ी अहम भूमिका है। उनके अनुसार, "जब किसी को हेपेटाइटिस हो जाता है, तो उसका लिवर कमजोर हो जाता है। ऐसे में तला-भुना खाना, ज्यादा तेल-मसाले वाला भोजन, मिठाई, कोल्ड ड्रिंक और शराब जैसी चीजें लिवर पर और दबाव डालती हैं। इनसे लिवर की सूजन बढ़ सकती है और बीमारी ठीक होने में समय लग सकता है। संक्रमण के दौरान इन चीजों से परहेज करना जरूरी है।"
	 
	रमा बताती हैं कि हेपेटाइटिस में हल्का और पौष्टिक खाना लेना चाहिए। जैसे उबली सब्जियां, दाल, चावल, फल (जैसे पपीता, सेब), और खूब पानी। नारियल पानी और नींबू पानी भी फायदेमंद होते हैं। प्रोटीन के लिए पनीर या उबला अंडा लिया जा सकता है। ये चीजें लिवर को आराम देती हैं और शरीर को ताकत देती हैं। विशेषज्ञ ध्यान दिलाते हैं कि खाने से पहले और बाद में हाथ धोना बहुत जरूरी है और खाना हमेशा साफ बर्तन में और अच्छी तरह पकाया हुआ होना चाहिए। इसके अलावा बाहर का खाना, खासकर सड़क किनारे का, जितना हो सके उतना टालना चाहिए। दूध और पानी को उबालकर ही पीना चाहिए ताकि उसमें कोई वायरस न रहे।
	 
	इसके अलावा लिवर को मजबूत रखने के लिए ये उपाय भी किए जा सकते हैं। जिसमें शराब और सिगरेट से दूरी बनाए रखने, तला-भुना, वसायुक्त और प्रोसेस्ड फूड से परहेज करने, विटामिन A, C और E युक्त आहार लेने और नियमित व्यायाम और टहलने से भी लिवर एक्टिव रहता है।