कोरोना महामारी की शुरुआत से ही चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग जितना हो सके, पारंपरिक चीनी चिकित्सा को बढ़ावा देने पर जोर देते आए हैं। दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश चीन में कोविड-19 ने लाखों लोगों को संक्रमित किया है और इस बीमारी के कारण देश में दवाओं की कमी हो गई है।
अब कई लोग वायरस के कारण होने वाले दर्द और पीड़ा से लड़ने के लिए पारंपरिक दवाओं की ओर रुख कर रहे हैं।कोरोनावायरस के खिलाफ एक अभियान के रूप में जिनपिंग ने शुरू से ही 'पारंपरिक चीनी चिकित्सा' (टीसीएम) को बढ़ावा दिया है या पारंपरिक चीनी चिकित्सा को बढ़ावा देना शुरू किया है। वहीं स्वास्थ्य अधिकारियों ने कोरोनावायरस से लड़ने में इसकी 'महत्वपूर्ण भूमिका' की प्रशंसा की और इस पर प्रकाश डाला।
दूसरी ओर आलोचकों का कहना है कि यह 'छद्म-वैज्ञानिक' है और वास्तविक बीमारी के इलाज में अप्रभावी है। उनके मुताबिक इसके असर के दावों की पुष्टि नहीं की जा सकती है, क्योंकि इसका बहुत खराब मूल्यांकन किया गया है और इस पर बहुत कम डेटा है।
चीनी टीसीएम क्या है?
चीन दुनिया के कुछ सबसे पुराने समाजों में से एक है, जहां उपचार के पारंपरिक तरीकों, जड़ी-बूटियों और अन्य प्राकृतिक उत्पादों के उपयोग और मालिश से लेकर एक्यूपंक्चर और नपे-तुले आहार तक का अभ्यास किया जाता रहा है। प्रथाओं की एक विस्तृत श्रृंखला को मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद माना गया है।
टीसीएम या 'पारंपरिक चीनी चिकित्सा' का उपयोग हजारों वर्षों से विभिन्न प्रकार की बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता रहा है। आधुनिक समय में चीन में लाखों लोग इसका उपयोग विभिन्न रोगों के लक्षणों को कम करने के लिए करते हैं, लेकिन आधुनिक चिकित्सा के संयोजन में।
जब बीजिंग के एक 38 वर्षीय सलाहकार झू लेई को कोविड-19 हुआ तो उन्होंने हर्बल चाय का सेवन किया। इसके लिए उन्होंने 'कैसिया' का इस्तेमाल किया जिसे 'चीनी दालचीनी' के रूप में भी जाना जाता है। झू लेई के अनुसार हमारे परिवार में चीनी दवा का अधिक से अधिक उपयोग किया जाता है। ऊपर बताई गई जड़ी-बूटियों वाली चाय पीने से मेरा बुखार ठीक हो गया।
बीजिंग सरकार स्थानीय अधिकारियों से कोविड-19 के उपचार में पारंपरिक चीनी चिकित्सा की भूमिका को उजागर करने और बढ़ावा देने का आग्रह कर रही है। यही कारण है कि महामारी की शुरुआत से ही विशेषज्ञों ने मीडिया का उपयोग करके टीसीएम की प्रशंसा और प्रचार करने के लिए टेलीविजन की ओर रुख किया है।
पारंपरिक चीनी दवाओं पर सवाल
यूनिवर्सिटी ऑफ हांगकांग के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में महामारी विज्ञान विभाग के प्रमुख बेन काउलिंग ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि हमें नहीं पता कि ये उपचार प्रभावी हैं या नहीं, क्योंकि नैदानिक परीक्षणों में उनका अध्ययन नहीं किया गया है। मैं इस संभावना से इंकार नहीं करूंगा कि उनमें से कुछ प्रभावी हैं, लेकिन मैं इस संभावना से इंकार नहीं करता कि उनमें से कुछ हानिकारक हो सकते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन कोविड के लिए केवल रासायनिक-आधारित उपचारों की सिफारिश करता है। एएफपी द्वारा संपर्क किए जाने पर टीसीएम पर डब्ल्यूएचओ के अधिकारियों ने कहा कि सभी देशों को पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों और उत्पादों पर विश्वसनीय सबूत और डेटा प्रदान करने की सलाह दी जाती है।
-एए/वीके (एएफपी)
Edited by: Ravindra Gupta