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कैसे धूम्रपान छोड़ते ही बदलने लगते हैं फेफड़े

हमें फॉलो करें कैसे धूम्रपान छोड़ते ही बदलने लगते हैं फेफड़े
, शनिवार, 1 फ़रवरी 2020 (22:31 IST)
शोधकर्ताओं ने बताया है कि धूम्रपान छोड़ चुके लोगों के क्षतिग्रस्त फेफड़े अभी भी धूम्रपान करने वाले लोगों से 40 प्रतिशत तक स्वस्थ हो जाते हैं, वह भी प्राकृतिक रूप से।
 
शोधकर्ताओं ने हाल ही में किए शोध में बताया है कि धूम्रपान की आदत छोड़ने वालों के फेफड़े अपने आप फिर से स्वस्थ हो सकते हैं। धूम्रपान करने से फेफड़ों का कैंसर हो सकता है लेकिन धूम्रपान की आदत छोड़ने से शरीर क्षतिग्रस्त हुई कोशिकाओं से खुद निपट सकता है।
 
दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित जर्नल 'नेचर' में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया है कि धूम्रपान छोड़ने से कैंसर का जोखिम कम हो जाता है। होता यह है कि शरीर में स्वस्थ कोशिकाओं का भंडार खराब हो चुकी कोशिकाओं की जगह ले लेती है।
 
संयुक्त रूप से किए गए इस अध्ययन में शामिल शोधकर्ता पीटर कैंपबेल के मुताबिक यह अध्ययन उन लोगों के लिए आशा की किरण लेकर आता है, जो धूम्रपान छोड़ना चाहते हैं। कैंपबेल कहते हैं कि जो लोग 30-40 या उससे ज्यादा सालों से स्मोकिंग करते रहे हैं, वे अकसर सोचते हैं कि धूम्रपान की आदत छोड़ने में देर हो चुकी है। जो नुकसान होना था वह हो चुका है, अब नुकसान को वापस नहीं किया जा सकता।
 
वहीं वेलकस सेंगर इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने संयुक्त बयान में कहा कि अध्ययन की सबसे खास बात है कि इस आदत को कभी भी छोड़ा जा सकता है। जिन लोगों को अध्ययन में अलग-अलग वर्ग को शामिल किया गया था, उनमें से कई अपने जीवन में करीब 15 हजार सिगरेट के पैकेट खत्म किए थे। ऐसे लोगों ने जब धूम्रपान छोड़ा तो कुछ सालों के भीतर ही उनके वायुमार्ग को अस्थिर करने वाली कोशिकाओं ने तंबाकू से हुए नुकसान का कोई सबूत नहीं दिखाया।
 
अध्ययन में 16 लोग शामिल हुए। इनमें कुछ ऐसे लोग थे, जो जीवनभर धूम्रपान करते रहे हैं। कुछ ने इस आदत से तौबा कर ली, ऐसे वयस्क जिन्होंने कभी स्मोकिंग नहीं की और कुछ बच्चों को शामिल किया गया। इन लोगों के फेफड़ों की बायोप्सी का लैब में विश्लेषण किया गया।
 
शरीर की कोशिकाओं में होने वाले आनुवांशिक परिवर्तन उम्र बढ़ने का एक सामान्य हिस्सा हैं। इनमें से कई उत्परिवर्तन हानिकारक नहीं होते हैं जिन्हें 'यात्री म्यूटेशन' भी कहते हैं।
 
कैंपबेल ने समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में बताया कि गलत सेल में गलत जीन का परिवर्तन कोशिकाओं के व्यवहार को नाटकीय रूप से बदल सकता है। यह कैंसर की तरह व्यवहार करने लगते हैं। जिनमें अगर किसी में कोई पर्याप्त 'चालक उत्परिवर्तन' जमा हो जाते हैं तो कोशिका पूर्ण विकसित कैंसर बन सकती हैं।
 
16 अलग-अलग वर्ग के लोगों पर शोध
 
धूम्रपान करने वालों में 10 के फेफड़ों की कोशिकाओं में से 9 में ऐसा म्यूटेशन पाया गया, जो कैंसर का कारण बन सकता है, वहीं धूम्रपान छोड़ने वालों की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को स्वस्थ कोशिकाओं ने हटाकर बदल दिया। उनके फेफड़े बिलकुल वैसे थे, जैसे कभी धूम्रपान नहीं करने वालों के थे।
 
पहले धूम्रपान करने वालों के फेफड़ों की 40 प्रतिशत तक कोशिकाएं स्वस्थ थीं यानी धूम्रपान करने वालों की तुलना में 4 गुना ज्यादा स्वस्थ। कैंपबेल ने कहा कि क्षतिग्रस्त कोशिकाएं जादुई रूप से खुद को दुरुस्त नहीं कर पाई हैं बल्कि स्वस्थ कोशिकाओं उनकी जगह ले लेती हैं। 
 
यह हुआ कैसे शोधकर्ताओं को स्पष्ट नहीं है। अध्ययन के लेखकों का मानना है कि शरीर में स्वस्थ कोशिकाओं का भंडार हो सकता है। कैम्पबेल बताते हैं कि एक बार जब व्यक्ति धूम्रपान छोड़ देता है, तो कोशिकाएं इस सुरक्षित बंदरगाह से धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को बदलने के लिए फैलती हैं।
 
वान एंडल इंस्टीट्यूट के सेंटर फॉर एपिजेनेटिक्स में प्रोफेसर गेरड फेफर ने शोध की तारीफ करते हुए कहा कि शोध ने मानव फेफड़ों के ऊतकों में आणविक स्तर पर धूम्रपान बंद करने का सुरक्षात्मक प्रभाव कैसे निकलता है, इस पर प्रकाश डाला है। लेकिन फेफड़ों की बायोप्सी प्राप्त करना नैतिक चिंताओं को बढ़ाता है। जिसका अर्थ है कि शोधकर्ताओं ने केवल उन 16 रोगियों के नमूने लिए जिन्हें चिकित्सा कारणों की वजह से बायोप्सी से गुजरना पड़ा था।
 
हालांकि फेफर को डर है कि अध्ययन के नमूने का छोटा आकार निष्कर्षों को मुश्किल में डाल सकता है, हालांकि यह आगे की जांच के लिए कई रास्ते खोलेगा। कैंपबेल कहते हैं कि इस अध्ययन से स्वस्थ कोशिकाओं के भंडार का पता लगा है। वो कैसे क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की जगह लेते हैं, यह अध्ययन करने का विषय है।
 
फेफर कहते हैं कि अगर हम यह पता लगा लें कि स्वस्थ कोशिकाओं का भंडार है कहां और धूम्रपान छोड़ने वाले लोगों की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं पर यह कैसे काम करता है, तो हम ऐसी कोशिकाओं का भविष्य में बेहतर इस्तेमाल कर सकते हैं।
 
एसबी/आरपी (एएफपी)

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