पाकिस्तान के एक आतंकवादी संगठन के मुखिया मौलाना मसूद मजहर को संयुक्त राष्ट्र से प्रतिबंधित कराने की कोशिश एक बार फिर चीन ने नाकाम कर दी है। भारत ने चीन के इस फैसले पर "निराशा" जतायी है।
अमेरिका के समर्थन से भारत मौलाना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधित आतंकवादियों की सूची में डलवाना चाहता है। इस सूची में अल कायदा जैसे आतंकवादी संगठनों के नाम हैं। इस गुट पर भारत में हमले करने के आरोप हैं। इन हमलों में 2001 में भारत की संसद पर हमला और 2016 में पठानकोट में वायु सेना के अड्डे पर हुआ हमला भी शामिल है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों में शामिल चीन भारत की इस कोशिश को वीटो का इस्तेमाल कर उसे नाकाम कर दे रहा है। चीन का दावा है कि इस मुद्दे पर आम सहमति नहीं है, जिसे भारत खारिज करता है। भारत के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है, "हमें एक बार फिर बड़ी निराशा हुई है। एक अकेले देश ने एक आतंकवादी मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय सहमति से संयुक्त राष्ट्र के घोषित आतंकवादी संगठन के मुखिया के रूप में चिन्हित करने की कोशिश रोक दी है।"
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने पिछले महीने कहा था कि किसी व्यक्ति या संगठन को आतंकवादी के रूप में चिन्हित करने के साफ नियम हैं और चीन का हमेशा से मानना रहा है कि संयुक्त राष्ट्र की संबंधित समितियों को निष्पक्षता के सिद्धांत पर काम करना चाहिए।
मसूद अजहर को लेकर भारत और चीन के बीच तनातनी काफी दिनों से है और यह लगातार बढ़ती जा रही है। यह पहला मौका नहीं है जब चीन ने भारत की कोशिश नाकाम की है। चौथी बार भारत की कोशिश को नाकाम करने के बाद चीन ने यह भी कहा है कि वह भारत के साथ द्वीपक्षीय मामलों में सहयोग बढ़ाने के लिए काम करना चाहता है। चीन के उप विदेश मंत्री चेन जियाओडोंग ने मीडिया से कहा कि चीन भारत के साथ अपने रिश्तों को काफी अहमियत देता है।
चेन ने कहा है, "हम भारत के साथ चीन के नये युग की नीति पर द्वीपक्षीय सहयोग को निरंतर बेहतर बनाने के लिए काम करने पर तैयार हैं।" हाल ही में चीन के सत्ताधारी दल कम्युनिस्ट पार्टी के सम्मेलन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पड़ोसियों के साथ सहयोग बढ़ाने की कूटनीति को चीन की नये युग की नीति का नाम दिया था।
भारत इस बात से चिंता में है कि चीन अपने मित्र देश पाकिस्तान के साथ सहयोग बढ़ा रहा है और मसूद अजहर के मामले में भारतीय रुख का विरोध भी इसी की एक कड़ी है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा है, "भारत का यह पक्के तौर पर मानना है कि दोहरा रवैया और चुनिंदा व्यवहार अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आतंकवाद से लड़ाई को कमजोर करेगा। "