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ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन की दर घटाने में भारत को कामयाबी

हमें फॉलो करें ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन की दर घटाने में भारत को कामयाबी

DW

, गुरुवार, 10 अगस्त 2023 (09:12 IST)
-एचवी/एनआर (रॉयटर्स)
 
greenhouse gas: भारत में ग्रीनहाउस उत्सर्जन की दर में पिछले 14 सालों में उम्मीद से कहीं ज्यादा तेज गिरावट आई है यानी 2005 से 2019 तक के दौर में उत्सर्जन की दर में 33 प्रतिशत की गिरावट आई। मूल्यांकन करने वाले 2 अधिकारियों के हिसाब से इस गिरावट के लिए नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में बढ़ोतरी और वन क्षेत्र में वृद्धि को जिम्मेदार माना जा सकता है।
 
थर्ड नेशनल कम्युनिकेशन (टीएनसी) नाम की ये रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र में पेश की गई है। इसमें यह भी पता चला है कि भारत उत्सर्जन को कम करने की सही राह पर है। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि भारत ने उत्सर्जन कम करने के लिए जलवायु पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) को जो प्रतिबद्धता दी थी, उसे वह सही समय से पूरा कर पाएगा।
 
उत्सर्जन में सालाना 3 फीसदी की कमी
 
इसके तहत 2030 तक उत्सर्जन की तीव्रता को 2005 के स्तर से 45 प्रतिशत तक कम करना होगा। इसी तरह कई देश अपनी टीएनसी रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। इसके जरिए यह देश यूएनएफसीसीसी को उत्सर्जन को काम करने के अपने प्रयासों पर अपडेट करेंगे।
 
भारत की उत्सर्जन में कमी की औसत दर में 2016-2019 में 3 प्रतिशत सालाना की वृद्धि हुई। यह 2014-2016 की अवधि में केवल लगभग 1.5 प्रतिशत थी। यह अब तक की सबसे अधिक कमी है जिसकी वजह नवीकरणीय ऊर्जा के मामले में सरकार के दबाव को माना जा सकता है। हालांकि ऊर्जा मिश्रण में जीवाश्म ईंधन का दबदबा अभी भी कायम है।
 
भारत पर उत्सर्जन घटाने का दबाव
 
उत्सर्जन की तीव्रता को कम करने में जो प्रगति हुई है, वह विकसित देशों की ओर से आ रहे कोयले के इस्तेमाल को बंद करने को लेकर दबाव को काम करने में भारत की मदद करेगा। एक अधिकारी ने कहा कि भारत की उत्सर्जन तीव्रता में भारी कमी के कई कारण हैं। इनमें वन क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि और गैर-जीवाश्म उत्पादन को बढ़ावा देने वाली योजनाएं शामिल हैं। साथ ही औद्योगिक, ऑटोमोटिव और ऊर्जा क्षेत्रों में उत्सर्जन को निशाना बनाना भी एक वजह है।
 
2019 तक भारत में जंगलों और पेड़ों का क्षेत्रफल 24.56 प्रतिशत या 80.73 मिलियन हैक्टेयर था। हाल ही में भारत भी ग्रीन हाइड्रोजन को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है। यह हाइड्रोजन नवीकरणीय ऊर्जा को इस्तेमाल कर पानी के अणुओं को विभाजित करके बनाया जाता है। एक अन्य अधिकारी के हिसाब से रिपोर्ट को अभी तक संघीय कैबिनेट ने अनुमोदित नहीं किया गया है।

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