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नशीली चीजों की लत क्यों लगती है

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, बुधवार, 10 मई 2017 (12:50 IST)
आनंद, फिर ललक, और फिर उसके बिना ना रह पाने की हालत- विज्ञान की नजर से देखिए कि किसी भी नशीली चीज की लत क्यों लग जाती है।
 
किसी भी तरह का नशा हो, उसकी लत लग ही जाती है। ऐसा सोचने वाले हमेशा गलत साबित होते हैं जो पहले तो अपनी मर्जी से कोई नशीला पदार्थ लेना शुरु करते हैं, लेकिन बाद में वो नशा उन्हें नहीं छोड़ता। विज्ञान की नजर से जानने की कोशिश करते हैं कि किसी नशे की लत कैसे लगती है।
 
असल में इन चीजों का सीधा असर दिमाग पर होता है। इनके कारण दिमाग के कुछ हिस्से प्रभावित होते हैं, जो बिल्कुल वैसी ही भावनाएं पैदा करते हैं जैसी लोगों को दूसरी खुशी देने वाले कामों से मिलती है जैसे कि कुछ अच्छा खाने से। लेकिन अंतर ये है कि नशीले पदार्थों से पैदा होने वाली आनंद की ये भावना उसकी तुलना में कहीं ज्यादा प्रबल होती हैं।
 
इनके कारण मस्तिष्क की कुछ कोशिकाओं से डोपामीन हॉर्मोन के रूप में कुछ रासायनिक संदेश भी निकलते हैं। यही वह चीज है जो और ज्यादा ड्रग्स लेने के लिए प्रेरित करता है। समय के साथ साथ यही डोपामीन का स्राव दिमाग में ऐसी उत्कट इच्छा पैदा करता है, जो कि कई बार नशा छोड़ने की कोशिश कर रहे लोगों को दुबारा अपनी चपेट में ले लेता है।
 
ब्रेन सर्किट्स में कई नशीले पदार्थ ऐसे असर करते हैं कि सांसें धीमी चलने लगती हैं और उनींदापन सा महसूस होता है। बार बार नशा करने से दिमाग के यह सर्किट इस तरह के ढल जाते हैं कि ड्रग्स लेते समय इंसान काफी सामान्य महसूस करने लगता है। उस हाल में ऐसा होता है कि जब वो इंसान नशा नहीं करता है तो वह चिड़चिड़ा और परेशान सा हो जाता है- जहां से विड्रॉवल के लक्षणों की शुरुआत होती है। इससे लोगों का खुद पर से नियंत्रण धीरे धीरे कम होने लगता है। ऐसे में अगर वे कभी ना भी चाहें, तो उन्हें नशा करना पड़ता है।
 
- आरपी/एमजे (एएफपी)


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