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मध्य पूर्व में शांति के लिए जो बाइडेन पर बढ़ता दबाव

हमें फॉलो करें मध्य पूर्व में शांति के लिए जो बाइडेन पर बढ़ता दबाव

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, गुरुवार, 20 मई 2021 (08:17 IST)
इसराइल और हमास  के बीच हिंसक संघर्ष को अब 2 हफ्ते होने वाले हैं लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की प्रतिक्रिया बहुत संभली सी रही है जिसे जानकार अमेरिका की पुरानी नीति का ही एक रूप मान रहे हैं।
   
इसराइल ने जब गाजा पर बम बरसाने शुरू किए तो अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इसराइल के आत्मरक्षा के अधिकार का बचाव किया। फिर उन्होंने इसराइली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतनयाहू से युद्धविराम की अपील की। असल में ये दोनों ही बातें इसराइल को अपनी कार्रवाई जारी रखने के लिए और समय देने में सहायक सिद्ध हुई हैं। इस मामले के जानकार कहते हैं अमेरिकी नेताओं को उम्मीद है कि एक समय पर दोनों ही पक्ष युद्धविराम के लिए राजी हो जाएंगे।
 
और मिस्र जैसे पक्षों के जरिए अंदरखाने चल रही कूटनीति इसमें सहायक साबित होगी। लेकिन ऐसा ना हुआ, और संघर्ष बढ़ने से ज्यादा जानें गईं तो बाइडेन के संभलकर चलने की नीति मुश्किल में पड़ सकती है। मध्य पूर्व में शांति वार्ता के लिए रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स दोनों ही सरकारों में मध्यस्थ रह चुके ऐरन डेविड मिलर कहते हैं कि मौजूदा सरकार भी पुराने ढर्रे पर ही चल रही है लेकिन कुछ अप्रत्याशित की गुंजाइश हमेशा रहती है।
 
जनवरी में सत्ता संभालने के बाद से बाइडेन ने स्पष्ट कर दिया था कि उनका ध्यान महामारी और अर्थव्यवस्था पर रहेगा। विदेशी नीति में चीन, रूस और ईरान ही उनकी प्राथमिकता थे। अमेरिकी राष्ट्रपतियों को दशकों से परेशान करता आया इसराइल-फिलीस्तीन विवाद उनकी प्राथमिकताओं में ही नहीं था। हालांकि उन्होंने अपने पूर्ववर्ती डॉनल्ड ट्रंप की कुछ नीतियों में फेरबदल का वादा किया था जो कि बहुत ज्यादा ही इसराइल के पक्ष में मानी जाती थीं।
 
दक्षिणपंथी नेता नेतनयाहू ने ट्रंप के साथ अच्छी समझ कायम कर ली थी और बाइडेन ने तो उनसे शुरुआती कई हफ्तों तक बात भी नहीं की थी। इसलिए हाल में जब गाजा में बम बरसने लगे तो नई अमेरिकी सरकार सोते से जगी। बाइडेन लंबे समय से इसराइल के समर्थक रहे हैं। सेनेटर के तौर पर भी और ओबामा प्रशासन में उप राष्ट्रपति रहते हुए भी। इस बार भी उन्होंने शुरुआत इसराइल के आत्मरक्षा के अधिकार की वकालत के साथ की। यही बात उनके पहले भी अमेरिकी राष्ट्रपति कहते रहे हैं।
 
लेकिन यह तब हो रहा है जबकि अमेरिका ईरान के साथ परमाणु समझौते पर वापसी कर रहा है और इसराइल अपने हितों के मुताबिक उसे लेकर चिंतित है। इसराइल ने जब गाजा में एसोसिएटेड प्रेस और अलजज़ीरा के दफ्तरों पर हमला किया, तब जाकर बाइडेन ने युद्धविराम की बात कही। लेकिन जाहिर हो गया था कि वह इसराइल को नाराज नहीं करना चाहते थे क्योंकि उन्होंने इसराइल से युद्धविराम की मांग नहीं की थी।
 
प्रगतिशील धड़े का दबाव
 
फिलीस्तीनी उग्रवादी संगठनों और इसराइल के बीच मौजूदा संघर्ष हाल के वर्षों में सबसे ज्यादा हिंसक और तीव्र है। और इस बार तो संघर्ष गाजा से बाहर इसराइल के शहरों तक पहुंच गया है जहां अरब और यहूदी संघर्षरत हैं। गाजा के स्वास्थ्य अधिकारी बताते हैं कि फिलीस्तीन में 63 बच्चों समेत 217 लोग मारे गए हैं और 14,00 से ज्यादा घायल हैं। उधर इसराइल में 2 बच्चों समेत 12 लोगों की जान गई है।
 
दोनों पक्षों के हताहतों की संख्या में फर्क ने अमेरिका में डेमोक्रेट पार्टी के उस प्रगतिशील धड़े को सक्रिय किया है जिसने पहले पार्टी नामांकन और फिर चुनाव जीतने में बाइडेन की मदद की थी। यह धड़ा चाहता है कि बाइडेन इसराइल पर सख्ती दिखाएं। अमेरिकी सांसद रो खन्ना कहते हैं कि फौरन युद्धविराम की जरूरत है। राष्ट्रपति इसे जोर देकर कहना होगा। सिर्फ इतना कहना काफी नहीं कि हम इसका समर्थन करते हैं।
 
वैसे अब तक तो बाइडेन ने ऐसे कोई संकेत नहीं दिए हैं कि वह इस मांग के सामने झुकने वाले हैं। और वामपंथी झुकाव वाले डेमोक्रेट्स भी इस मुद्दे पर भिड़ने के मूड में नहीं दिखते। हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स की विदेश मामलों की समिति की सोमवार को बैठक हुई जिसके बाद कुछ सदस्यों ने कहा कि समिति के अध्यक्ष सांसद ग्रेगरी मीक्स बाइडेन को एक पत्र भेजकर इसराइल को 735 मिलियन डॉलर के स्मार्ट बम की बिक्री रोकने को कहेंगे। लेकिन मीक्स ने बाद में अपना मन बदल लिया।
 
बाइडेन सरकार पर हमले
 
उधर रिपब्लिकन पार्टी गाजा विवाद को बाइडेन सरकार पर हमले के लिए हथियार बना रही है। इसराइल समर्थक वोटर रिपब्लिकन पार्टी के लिए मजबूत आधार हैं लेकिन वे कई डेमोक्रेट्स और निर्दलीय सांसदों को भी वोट देते हैं। सेनेट में अल्पमत के नेता मिच मैकॉनल ने कहा है कि जो भी युद्धविराम की वकालत करता है वह दरअसल दोनों पक्षों को नैतिक रूप से बराबर रख रहा है, यानी इसराइली और हमास  की बराबरी जबकि हमास  को अमेरिका एक आतंकी संगठन मानता है।
 
मैकॉनल कहते हैं कि ऐसे डेमोक्रेट्स बड़ी संख्या में हैं जो इसराइल की बलि चढ़ाना चाहते हैं। बाइडेन सरकार इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में भी अलग-थलग पड़ गई है। अमेरिका ने सुरक्षा परिषद को किसी भी तरह की कार्रवाई से रोक दिया और कूटनीति तेज करने की बात कही। लेकिन बाइडेन ने अब तक भी इसराइल में अपने राजदूत के नाम का ऐलान नहीं किया है और मध्यम दर्जे के नेता डेप्युटी असिस्टेंट विदेश मंत्री हाएडी अम्र को ही भेजा है।
 
सूत्र बताते हैं कि बाइडेन सरकार आने वाले दिनों में गाजा में राहत सामग्री भेजने और राहत अभियान चलाने की तैयारी कर रही है। लेकिन मंगलवार को जब बाइडेन एक दौरे पर मिशिगन पहुंचे तो उन्हें फिलीस्तीनी मूल की पहली अमेरिकी महिला सांसद राशिदा तालिब का सामना करना पड़ा, जो एक प्रगतिशील डेमोक्रेट हैं। उनके एक नजीदीकी के मुताबिक उन्होंने राष्ट्रपति से कहा कि फिलीस्तीनियों के मानवाधिकारों की सुरक्षा होनी चाहिए, मोलभाव नहीं।
 
वीके/सीके (रॉयटर्स)

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