तीन गोलियों ने कातिया सास्त्रे की जिंदगी बदल दी, एक पुलिस अधिकारी पहले ब्राजील की हिरोइन बनी और फिर आम चुनाव में सबसे सफल नेताओं में से एक।
ये तीन गोलियां कातिया सास्त्रे ने अपनी बेटी के स्कूल के बाहर एक हथियारबंद लुटेरे को मारने के लिए चलाई थी और इनसे उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई। साओ पाओलो के गवर्नर ने उनकी जम कर तारीफ की और आनन फानन में उनके लिए राजनीति में उतरने का रास्ता बन गया।
आम चुनाव में 2,64,000 वोट हासिल कर वह कांग्रेस में पहुंच गईं। स्थानीय स्तर पर "मदर पुलिस ऑफिसर" के नाम से मशहूर सास्त्रे उस नाटकीय गोलीकांड का वीडियो अपने चुनाव प्रचार में इस्तेमाल करने से नहीं हिचकिचातीं। एक प्रचार वीडियो में पुलिस की वर्दी पहने सास्त्रे कहती हैं, "मैंने गोली मारी और मैं दोबारा ऐसा करूंगी, मैं बहादुर हूं।"
घटना के वीडियो में देखा जा सकता है कि एक हथियारबंद लुटेरे ने एक महिला पर बंदूक तान रखी है, लेकिन वहां मौजूद दूसरे लोग जब चीखते चिल्लाते जल्दी से भागने में जुटे थे तभी वहां मौजूद सास्त्रे अपने हैंडबैग से हथियार निकाल कर फुर्ती से गोली चलाती हैं। उनकी चलाई दो गोलियां लुटेरे के सीने में लगीं और एक पैर में। सास्त्रे उस वक्त ड्यूटी पर भी नहीं थीं। 21 साल के लुटेरे की अस्पताल में मौत हो गई। 42 साल की सास्त्रे ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "मैं मौत से खुश नहीं थी, यह कोई भी नहीं चाहता, लेकिन मैं खुश थी कि मैंने अच्छे लोगों को बचा लिया।"
सास्त्रे ने अपने पिता, दादा और परदादा के पदचिन्हों पर चलते हुए कोई दो दशक पहले मिलिट्री पुलिस में काम करना शुरू किया। उनके पति भी सुरक्षा बलों के इसी विभाग में काम करते हैं। इसी साल मई में उनके मशहूर होने का दिन आया जब मदर्स डे के मौके पर उनका वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया। सास्त्रे याद करते हुए बताती हैं, "जब मैं बयान दे कर पुलिस स्टेशन से बाहर निकली तो लोगों ने मुझे फोन करके बधाई देना शुरू कर दिया क्योंकि लोगों ने अब वीडियो देख लिया था।"
उनके काम ने उन्हें इसलिए भी मशहूर कर दिया क्योंकि ब्राजील में लोगों की सुरक्षा चुनाव प्रचार के दौरान एक प्रमुख मुद्दा था। ब्राजील में केवल पिछले साल ही 63,800 लोगों की हत्या हुई है। सास्त्रे के फोन की घंटियां लगातार बजती रहीं। हरेक राजनीतिक दल उनकी लोकप्रियता को चुनाव में भुनाना चाहता था। सास्त्रे ने आखिरकार रूढ़िवादी पार्टी ऑफ द रिपब्लिक को चुना। चुनाव हुए तो वो उन 35 उम्मीदवारों में से एक थीं जो सशस्त्र सेना से संसद में पहुंचे। पिछले साल की तुलना में यह संख्या करीब दोगुनी है।
हालांकि ऐसा नहीं कि सास्त्रे को लेकर विवाद नहीं हुए। उन्हें अपने शूटिंग वाले वीडियो को कुछ दिनों के लिए प्रचार से हटाना पड़ा। दो वामपंथी पार्टियों ने आरोप लगाया कि यह हिंसा को उकसावा देता है। हालांकि कोर्ट आखिरकार सास्त्रे के पक्ष में ही रहा। मारे गए लुटेरे की मां ने इस वीडियो के लिए करीब 1,30,000 डॉलर का जुर्माना भी मांगा। उनकी दलील थी कि इससे उनकी मनस्थिति पर बुरा असर पड़ा है।
बहरहाल 21 साल सेना पुलिस में बिताने के बाद अब वो रिजर्व सैनिकों में शामिल हो गई हैं, एक नए करियर की ओर बढ़ने के लिए जो छह महीने पहले तक उनकी कल्पनाओं में भी नहीं था। हालांकि सास्त्रे यह भी कहती हैं कि एक बार आप सेना में आ गए तो जीवन भर सैनिक ही रहते हैं।