सांकेतिक चित्र
सफर के लिए ट्रेन का इस्तेमाल तो आपने बहुत बार किया होगा। लेकिन क्या ट्रेन में अपना इलाज कराया है। देश में चलने वाली इस लाइफलाइन एक्सप्रेस में मरीजों का न सिर्फ प्राथमिक इलाज होता है बल्कि यह ट्रेन ऑपरेशन भी करती है।
लाइफलाइन एक्सप्रेस
लाइफलाइन एक्सप्रेस भारतीय रेलवे में साल 1991 में शामिल हुई थीं। मकसद था दूर-दराज के इलाकों में मोतियाबिंद, पोलियो, जैसे रोगों के मरीजों की सर्जरी और इलाज में मदद करना। साल 2016 से इसकी सेवाओं में विस्तार में हुआ। अब इस ट्रेन में स्तन और गर्भाशय के कैंसरों की सर्जरी भी होने लगी है।
दस लाख से अधिक मरीज
लाइफलाइन एक्सप्रेस पिछले तीन दशकों से दूर-दराज के इलाकों में मुफ्त चिकित्सा सेवाएं दे रही है। अब तक यह ट्रेन दस लाख से अधिक लोगों की मदद कर चुकी है। अपने इस सफर में यह ट्रेन एक जिले में करीब महीने भर तक रुकती है। कोशिश है सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को बेहतर करना।
डॉक्टर और स्टाफ
इस ट्रेन अस्पताल में दो ऑपरेशन थियेटर और 20 लोगों का स्टाफ है। अधिकतर डॉक्टर यहां मुफ्त में काम करते हैं। इसमें काम करने वाली महक सिक्का कहती हैं कि उन्होंने हेल्थ सेंटर्स की खराब हालत को देखने के बाद इस ट्रेन अस्पताल को ज्वाइन किया।
जागरुक बनाना है उद्देश्य
महक कहती हैं कि ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सेवाएं नहीं है। यहां तक कि महिलाओं कि किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञ तक पहुंच ही नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश न सिर्फ मरीज का इलाज करना है बल्कि स्थानीय डॉक्टरों और लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में जागरुक बनाना भी है।
स्थानीय डॉक्टर की भूमिका
ट्रेन में ऑपरेशन थियेटर की साफ-सफाई का भी खासा ध्यान रखा जाता है। जब इस ट्रेन के ऑपरेशन थियेटर में कोई ऑपरेशन हो रहा होता है तो एक स्थानीय डॉक्टर को भी अपने साथ रख जाता है। ताकि मरीज को आगे के इलाज में समस्या न आए।
लोगों को भरोसा
ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी स्वास्थ्य केंद्र ही सबसे अहम हैं। लेकिन देश की एक बड़ी आबादी स्वास्थ्य क्षेत्र में बुनियादी ढांचे और डॉक्टरों की कमी से जूझ रही है। ट्रेन के कर्मचारी बताते हैं कि पहले लोग ट्रेन में होने वाले ऑपरेशन को लेकर काफी चिंतित होते थे। लेकिन सब सुविधाओं को देखने के बाद अब उनका विश्वास बढ़ा है।
ट्रेन में 1.30 लाख ऑपरेशन
ट्रेन अस्पताल के डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर अनिल दारसे के मुताबिक लॉन्च के बाद से ट्रेन में करीब 1.30 लाख ऑपरेशन हो चुके हैं। और यह देश के करीब 191 जगहों को पार कर चुकी है।
ये चलाते हैं
इस लाइफलाइन एक्सप्रेस को एक गैर सरकारी संस्था इम्पैक्ट इंडिया फाउंडेशन, सरकार के साथ मिलकर चला रही है। इस पहल को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) समेत संयुक्त राष्ट्र की बाल कल्याण संस्था यूनिसेफ का भी सहयोग मिल रहा है। अब दूसरी लाइफलाइन एक्सप्रेस चलाने की भी तैयारी की जा रही है।