-विवेक कुमार (रॉयटर्स)
Malabar Military Exercise: शुक्रवार से भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाएं ऑस्ट्रेलिया के तट के पास मालाबार सैन्य अभ्यास कर रही हैं। 21 साल से जारी यह सैन्य अभ्यास पहली बार भारत से दूर कहीं हो रहा है। ऑस्ट्रेलिया के जहाजों के साथ जापान, अमेरिका और भारत के नौसैनिक जहाज शुक्रवार से सिडनी के पास अभ्यास कर रहे हैं।
1992 से जारी मालाबार युद्धाभ्यास इस बार ऑस्ट्रेलिया के समुद्र में हो रहा है, जो कि पहली बार है। ये चारों देश 'क्वॉड' नामक कूटनीतिक अंतरराष्ट्रीय संगठन में भी साझीदार हैं लेकिन मालाबार अभ्यास में ऑस्ट्रेलिया और जापान का आना-जाना लगा रहा है। इसी साल क्वॉड देशों के नेता जापान मेंमिले थे। चीन इस गठजोड़ की निंदा करता रहा है।
2008 में ऑस्ट्रेलिया ने खुद को मालाबार अभ्यास से अलग कर लिया था और 1 दशक से ज्यादा समय तक उससे बाहर रहा लेकिन 2020 में वह दोबारा इस अभ्यास में शामिल हुआ। इस बार यह अभ्यास उसकी समुद्री सीमा में आयोजित किया गया है। इसे ऑस्ट्रेलिया के रक्षामंत्री रिचर्ड मार्ल्स ने सम्मान की बात बताया।
मार्ल्स ने कहा कि मौजूदा रणनीतिक हालात में यह पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है कि हम अपने पड़ोसियों के साथ साझीदारी करें और अपने रक्षा सहयोग और ज्यादा मजबूत करें। सहयोग, आपसी समझ और जानकारी का प्रशिक्षण के साथ गठजोड़ हमारे क्षेत्र की साझी सुरक्षा और उन्नति के लिए जरूरी है।
आमतौर पर चीन क्वॉड देशों के इस गठजोड़ की निंदा यह कहते हुए करता रहा है कि इस तरह की साझेदारियां क्षेत्र की स्थिरता के लिए खतरा हैं। हालांकि क्वॉड देश चीन का नाम लिए बिना ही हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता की अहमियत पर बात करते हैं लेकिन अक्सर उनका इशारा इस क्षेत्र में चीन की अपना आधिपत्य बढ़ाने की कोशिशों की ओर होता है। ऐसे में चारों देशों के इसी क्षेत्र में युद्धाभ्यास करने को चीन के लिए एक इशारे के तौर पर देखा जा सकता है लेकिन ऑस्ट्रेलिया के सैन्य अधिकारी इस बात से इंकार करते हैं।
चीन के खिलाफ नहीं
ऑस्ट्रेलियाई नौसैनिक जाहज एचएमएएस ब्रिसबेन के कमांडिंग ऑफिसर कमांडर किंग्सले स्कार्स ने स्थानीय समाचार चैनल एबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि मालाबार अभ्यास चीन के इस इलाके में सैन्य प्रसार के खिलाफ नहीं है। कमांडर स्कार्स ने कहा कि हम किसी एक देश विशेष को ध्यान में रखकर कुछ नहीं करते हैं। हमारे लिए यह विभिन्न देशों के साथ जुड़ाव और संवाद का मामला है।
कमांडर स्कार्स कहते हैं कि इस अभ्यास में सबसे बड़ी चुनौतियां 4 अलग-अलग देशों की भाषा और सांस्कृतिक बाधाएं हैं। उन्होंने कहा कि अगर मैं अपने अमेरिकी साथियों से कहूं कि 'चलो ब्रू के लिए चलते हैं, तो मैं कॉफी की बात कर रहा हूं जबकि वे बीयर समझेंगे। मेरे लिए दोनों ही सही हैं। लेकिन यह बेहद जरूरी है कि हम जो भाषा इस्तेमाल कर रहे हैं उसे समझें और एक-दूसरे से बात करते हुए समझ पाएं कि जो कहा जा रहा है उसका अर्थ क्या है?'
अमेरिकी नौसेना के सेवंथ फ्लीट के कमांडर वाइस एडमिरल कार्ल्स थॉमस कहते हैं कि यह अभ्यास किसी एक देश के खिलाफ नहीं है। सिडनी में मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि इस अभ्यास से चारों सेनाओं की एक-दूसरे के साथ काम करने की क्षमता बढ़ेगी। कमांडर थॉमस ने कहा कि क्वॉड के रूप में हम 4 देश जो निवारण मुहैया कराते हैं, वो इस क्षेत्र के सभी देशों के लिए आधारभूत है। ऑस्ट्रेलिया के ठीक उत्तर-पूर्व में स्थित ओशेनिया देशों पर अब हम सभी देशों का ध्यान है।
मालाबार अभ्यास का इतिहास
मालाबार सैन्य अभ्यास ऑस्ट्रेलिया में 11 अगस्त से शुरू होकर 22 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान चारों देशों की सेनाएं हवाई युद्ध, पनडुब्बियों की गतिविधियों, नौसैनिक गन फायरिंग और एंटीशिप मिसाइल जैसी गतिविधियों का अभ्यास करेंगी।
भारतीय नौसेना के वाइस एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने कहा कि शीतयुद्ध के खत्म होने के बाद 1992 में जब भारत और अमेरिका ने पहली बार मालाबार युद्धाभ्यास किया था तब से दुनिया बहुत बदल चुकी है। उन्होंने कहा कि 2007 में जब ऑस्ट्रेलिया ने पहली बार इस अभ्यास में हिस्सा लिया था तो पूरी दुनिया को कुछ संकेत मिले थे।
चीन ने ऑस्ट्रेलिया के इस अभ्यास में हिस्सा लेने पर ऐतराज जताया था जिसके बाद 2008 में ऑस्ट्रेलिया ने अभ्यास से खुद को बाहर कर लिया। लेकिन हाल के सालों में अमेरिका ने क्वॉड संगठन को फिर सक्रिय किया जिसके बाद 2020 में ऑस्ट्रेलिया फिर से मालाबार अभ्यास में शामिल हो गया हालांकि चीन अब भी इसका आलोचक है।
लेकिन ऑस्ट्रेलिया और अभ्यास में शामिल अन्य देश इसे हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के अन्य देशों के लिए जरूरी बताते हैं। ऑस्ट्रेलियाई बेड़े के कमांडर रीयर एडमिरल क्रिस्टोफर स्मिथ ने कहा कि प्रशांत हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हम जानते हैं कि लोगों की बढ़ने और विकास करने की महत्वाकांक्षाएं होती हैं लेकिन यह मामला पारदर्शिता का है।
रायिर एडमिरल स्मिथ के मुताबिक यह अभ्यास इस बार हिन्द महासागर के बजाय ऑस्ट्रेलिया के पास इसलिए हो रहा है, क्योंकि सभी देशों के जहाज तालिस्मान साबरे अभ्यास के लिए इलाके में आए हुए थे। तालिस्मान साबरे अभ्यास में 13 देशों की सेनाओं ने हिस्सा लिया था और वह पिछले हफ्ते ही खत्म हुआ था।(फोटो सौजन्य : डॉयचे वैले)