ऑस्ट्रिया सरकार तुर्की समर्थित मस्जिदों के 60 इमामों को जल्द ही बाहर का रास्ता दिखा सकती है। इस कदम के बाद तुर्की के साथ उसका तनाव और भी बढ़ सकता है। देश में सात मस्जिदों को बंद करने का फैसला भी लिया गया है।
खूबसूरती के लिए दुनिया भर में मशहूर ऑस्ट्रिया इन दिनों राजनीतिक इस्लाम और कट्टरवाद जैसे मुद्दों पर काफी सख्त नजर आ रहा है। हाल में देश में सात मस्जिदों को बंद करने का फैसला लिया गया है। यह फैसला उन तस्वीरों के बाद सामने आया, जिनमें तुर्की समर्थित मस्जिदों में बच्चों को पहले विश्वयुद्ध के समय हुए गलीपोली कैंपेन के बारे में बताया जा रहा था। अब खबरें आ रही हैं कि देश से 60 इमाम और उनके परिवारों को बाहर निकाला जा सकता है।
देश के गृह मंत्री हेरबेर्ट किकल ने कहा, "राजनीतिक इस्लाम के खिलाफ कदम उठाते हुए ऑस्ट्रिया तुर्की समर्थित इमामों और उनके परिवारों को बाहर कर सकती है।" एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर 150 लोगों पर ऑस्ट्रिया में रहने का अधिकार खोने का खतरा मंडरा रहा है।
इसके पहले देश के चांसलर सेबास्टियान कुर्त्स भी साफ कर चुके हैं, "देश में राजनीतिक इस्लाम और कट्टरवाद के लिए कोई जगह नहीं है।" किकल ने बताया कि कई मामलों में ये इमाम तुर्किश-इस्लामिक कल्चरल एसोसिएशन (एटीआईबी) के साथ जुड़े पाए गए है। उन्होंने कहा कि सरकार को संदेह हैं कि धार्मिक कामकाजों से जुड़े ये व्यक्ति धार्मिक संस्थानों की विदेशों से होने वाली फंडिंग के नियम-कायदों की अवहेलना कर रहे हैं। एटीआईबी, तुर्की की धार्मिक संस्था दियानेत की एक शाखा है।
इसके पहले जो तस्वीरें सामने आईं थीं उसमें युवा लड़के मार्चिंग, सेल्यूट, तुर्की के झंडे लहराते और मार-काट वाले खेल खेलते नजर आ रहे थे। ऐसी तस्वीरों के आने के बाद एटीआईबी ने भी खेद व्यक्त करते हुए इसकी काफी निंदा की थी। तुर्की और ऑस्ट्रिया के आपसी संबंधों में लंबे समय से तनाव नजर आ रहा है।
तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयब एर्दोवान के प्रवक्ता की ओर से कहा गया है, "ऑस्ट्रिया का यह रुख इसके इस्लामोफोबिया, नस्लवादी और भेदभाव से भरे रुख को दिखाता है।"