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क्यों संगीत पर नाचने का मन करता है?

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, शनिवार, 1 सितम्बर 2018 (12:14 IST)
संगीत पर हमारे पैर क्यों थिरकने लगते हैं? कुछ लोगों को ऐसी चीजों की गंध क्यों आती है जो होती ही नहीं हैं? और क्या रिश्तों में तनाव हमें बीमार करता है? चलिए खोजते हैं कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब।
 
 
संगीत सुन कर क्यों थिरकते हैं पैर?
संगीत किसी न किसी रूप में हर समाज और हर संस्कृति में नजर आता है। कई बार तो संगीत कान में पड़ते ही आपके पैर थिरकने लगते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि संगीत में ऐसा क्या होता है जो आपके अंदर इतना जोश भर देता है? कैसे आप अचानक नाचने लगते हैं?
 
 
ऑस्ट्रेलिया में वैज्ञानिकों ने इस पर शोध किया। उन्हें पता चला कि इन सवालों के सारे जवाब छिपे हैं म्यूजिक के बास पर। स्टडी में उन्होंने निम्न और उच्च आवृत्ति वाली आवाजों यानी लो़-फ्रीक्वेंसी और हाई-फ्रीक्वेंसी साउंड पर मस्तिष्क के भीतर होने वाले परिवर्तनों का अध्यन किया। इन्हीं आवाजों से संगीत की रिदम तैयार होती है।
 
 
मस्तिष्क की हरकत को समझने के लिए इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी का इस्तेमाल किया गया। वैज्ञानिकों ने देखा कि मस्तिष्क की हर हरकत धुन की आवृत्ति पर निर्भर करती है। अगर किसी गाने में बास ऊंचा है तो पैर थिरकने के लिए ज्यादा मचलेंगे, और लोग ज्यादा नाचेंगे। शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि उनकी रिसर्च कई तरह की मेडिकल कंडीशन को समझने और इलाज करने में इस्तेमाल हो सकती है।
 
 
कहां से आती है बदबू?
कुछ लोग हमेशा शिकायत करते हैं कि उन्हें बदबू आ रही है। कोई गंध है जो परेशान कर रही है, पर किसी को कारण समझ नहीं आता। इस तरह की शिकायत करने वालों में अकसर फेनम ओडर पर्सेप्शन (पीओपी) पाया जाता है। जिन्हें पोओपी की शिकायत होती है, उन्हें कई बार ऐसी चीजों की भी गंध आती है जो हकीकत में वहां मौजूद नहीं होतीं। पोओपी लोगों के खाने-पीने को भी प्रभावित करता है। कई बार ऐसे लोग आग, सड़े हुए खाने की गंध और खतरनाक खतरों की भी पहचान नहीं कर पाते।
 
 
अमेरिकी शोधकर्ताओं ने 7,000 लोगों पर किए गए अध्ययन के बाद पाया कि पीओपी अब सामान्य हो रहा है। रिसर्च नतीजे बताते हैं कि 40 साल से अधिक उम्र के हर 15 में से 1 व्यक्ति को पीओपी का अनुभव होता है। पुरुषों की तुलना में इससे प्रभावित महिलाओं की संख्या लगभग दोगुनी है। हालांकि पीओपी के वास्तिवक कारणों का अब तक पता नहीं चला है, लेकिन रिसर्चर मानते हैं कि नाक में मौजूद अधिक संवेदनशील गंध कोशिकाएं इसके लिए जिम्मेदार हो सकती हैं।
 
 
रिश्तों में तनाव करता बीमार!
अगर पति-पत्नी या कपल्स के बीच रिश्ते तनाव से गुजर हो रहे हों तो इसका असर स्वास्थ्य पर पड़ता है। ओहियो यूनिवर्सिटी की रिसर्च ऐसे कपल्स में "लीकी गट सिंड्रोम" का खतरा बढ़ने की बात कहती है। इस सिंड्रोम के तहत आंतों में छेद हो जाते हैं, जिसके चलते बैक्टीरिया और विषाक्त पदार्थ खून के प्रवाह में पहुंचने लगते हैं और पेट में जलन, सूजन की समस्या होने लगती है। इसे ही बीमारी की शुरुआत माना जाता है।
 
 
स्टडी के दौरान शोधकर्ताओं ने कपल्स के पूछा कि किन मुद्दों पर उनके बीच सबसे ज्यादा झगड़े होते हैं। जो मुद्दे निकले वह थे पैसा और ससुराल के सदस्य। इसके बाद इन्हीं मुद्दों पर चर्चा करने के लिए कपल्स को 20 मिनट का समय और दिया गया। रिसर्च नतीजों से पता चला कि जिस व्यक्ति के मन में अपने पार्टनर को लेकर बैर का भाव अधिक है, उनके खून में प्रोटीन का स्तर ज्यादा है, जो लीकी गट सिंड्रोम की ओर इशारा करता है।
 
 
जिन मरीजों में प्रोटीन का स्तर अधिक होता है उन्हें सूजन, जलन की शिकायत अधिक होती है। रिसर्चरों ने यह भी देखा कि जो लोग कभी डिप्रेशन से पीड़ित रहे हैं उन्हें भी शादीशुदा जिंदगी का तनाव इस सिंड्रोम तक ले जाता है। कुल मिलाकर तनाव भरे रिश्ते आपके स्वास्थ्य पर असर डालते हैं। 
 
 
एक्सरसाइज के पहले खाएं या बाद में!
एक्सरसाइज करने से पहले नाश्ता करना अच्छा होता है। ब्रिटेन में हुई एक स्टडी के नतीजे बताते हैं कि अगर नाश्ता कसरत करने के पहले किया जाए तो शरीर से ज्यादा कार्बोहाइड्रेट जलता है। स्टडी में शामिल लोगों को नाश्ते में खाने के लिए दलिया और दूध दिया गया। इसके बाद उन्हें एक घंटा साइकिल चलाने के लिए कहा गया।
 
 
इसके बाद इनके खून में शुगर लेवल की जांच की गई और मांसपेशियों में जमा खास तरह के कार्बोहाइड्रेट के स्तर को भी नापा गया। रिसर्चरों ने पाया कि खाली पेट व्यायाम करने से बेहतर है कि नाश्ता करके व्यायाम किया जाए। इस प्रक्रिया में शरीर के ज्यादा कार्बोहाइड्रेड जलते हैं, खासकर वो भी जो शरीर में पहले से स्टोर होते है।
 
 
लेरिसा वेर्नेक/ एए
 

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