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नवाज शरीफ को कुछ कहने से पहले रणबीर कपूर की बात याद रखना

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, शनिवार, 3 दिसंबर 2016 (11:56 IST)
ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीतने के तुरंत बाद दुनिया भर के छत्तीसों नेताओं से बात की लेकिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से बात नहीं की। लेकिन अब बात हुई है तो तबियत से हुई। लंगोटिया यारों जैसी।
भले ही लंगोट एक साथ न बांधा हो, लेकिन अमेरिका और पाकिस्तान की यारी तो है। आप ही बताओ, इंस्टैंट नूडल के इस जमाने में अगर अमेरिका किसी को सालोसाल अपना 'फ्रंट अलाइ' कहता है तो कुछ बात तो है ना। अब जलने वाले जलते रहें। मोदी होंगे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता, सवा अरब लोगों के रखवाले और जो कुछ भी वो अपने आपको कहलवाना चाहें। लेकिन "टैरेफिक गाई" तो नवाज शरीफ ही हैं। और इस बात पर ट्रंप ने ठप्पा लगा दिया है।
 
अब कहने वालों का मुंह थोड़े रोका जाता है। कहते रहो कि पाकिस्तान आतंकवाद की जड़ है, आतंकवाद का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर करता है, आतंक की नर्सरी है, फेल्ड स्टेट है। ट्रंप ने खुद अपने मुंह से कह दिया है कि पाकिस्तान "फैन्टेस्टिक कंट्री" है और पाकिस्तानी लोग दुनिया के सबसे अक्लमंद लोगों में से हैं। कमाल के लोग हैं। यार, कुछ तो बात होगी जो ट्रंप ने यहां तक कह दिया। वरना पहले ही झटके में मंगल पर पहुंच जाने वाले भारत को तो बस "आई लव यू इंडिया" कह कर चलता कर दिया।
 
कौन सी आफत आ गई जो ट्रंप नवाज शरीफ को फोन करने के लिए वक्त नहीं निकाल पाए। नवाज शरीफ ने फोन कर लिया। अपनेपन की अब इससे बड़ी मिसाल क्या होगी कि ट्रंप ने नवाज शरीफ से कहा कि वो उनसे बात कर रहे हैं तो ऐसा लगता है कि मानो कब से जानते हैं। बस हो गई दोस्ती। अब बिना दोस्ती के थोड़े ही कोई किसी से कह देता है कि मुझे जब चाहो फोन कर लेना। हां जी, ट्रंप ने नवाज शरीफ से ऐसा ही कहा है। यहां तक छूट दी है कि नवाज शरीफ जनवरी में ट्रंप के गद्दी पर बैठने से पहले भी उन्हें फोन कर सकते हैं।
 
और भारत में जो लोग ट्रंप की जीत के लिए यज्ञ कर रहे थे, उनके तो मानो तोते क्या, तीतर, बटेर, गौरैय्या, चील, कव्वै सब उड़ जाएंगे। ट्रंप ने बात ही ऐसी कर दी है। बोले हैं कि जैसा नवाज शरीफ बोलेंगे, वह वैसा वैसा करने को तैयार है। सब मामले जो लटके पडे हैं, वो सब हल कर देंगे। मामला तो कश्मीर का भी है, और अगर वो नवाज शरीफ  की मर्जी से हल होने लगा तो फिर ट्रंप की भक्ति का भला क्या फायदा हुआ। मतलब ट्रंप तो बंटाधार ही करके छोड़ेंगे। और लगाओ लगाओ "ट्रंप ट्रंप" के नारे।
 
लेकिन कुछ लोग कभी हार नहीं मानते। कह रहे हैं कि जितना लाड़ प्यार नवाज शरीफ सरकार की तरफ से दिए गए ब्यौरे से टपक रहा है, ट्रंप की टीम की तरफ से आए बयान में तो उसका रत्ती भर भी नजर नहीं आ रहा है। वे तो बस इतना कह रहे हैं कि हां, बातचीत हुई है और रचनात्मक बातचीत रही। अब कलम घिसते-घिसते इतनी अकल तो हमें भी आ गई है कि दो देशों के नेताओं की बातचीत में जब कुछ खास नहीं होता है, तो वो रचनात्मक हो जाती है। अब बॉर्डर के झगड़े को लेकर चीन से भारत की बीसियों बार बात हुई है, लेकिन हर बार बात रचनात्मक रहती है। कुछ होता ही नहीं।
 
ट्रंप की टीम के बयान को आधार बनाकर लोग ये साबित करने पर तुले हैं कि ट्रंप से नवाज शरीफ दोस्ती ठीक एकतरफा प्यार है। ठीक है। मान लिया। लेकिन इन लोगों ने शायद पाकिस्तानी कलाकारों के चक्कर में "ऐ दिल है मुश्किल" नहीं देखी है। देखी होती तो ऐसी बात न करते। एकतरफा प्यार की तरह नवाज शरीफ और ट्रंप की एकतरफा दोस्ती पर यूं खुश न होते। रणबीर कपूर की बात याद रखिए, "एकतरफा प्यार की ताकत ही कुछ और होती है, औरों के रिश्तों की तरह ये दो लोगो में नहीं बंटती।"
 
एकतरफा हो या दोतरफा, प्यार तो प्यार है, दोस्ती तो दोस्ती है। इसीलिए तो ट्रंप से इंतजार नहीं हो रहा है। बोल रहे है कि "कब राष्ट्रपति बनूं और कब फैन्टेस्टिक कंट्री पाकिस्तान जाऊं। पाकिस्तान कमाल के लोगों का देश है।" अब हूबहू यही बात कही है या नहीं। हम कैसे जानें? या तो ट्रंप जाने, या नवाज शरीफ। या फिर खुदा...हां यह अच्छा है। सब खुदा पर ही छोड़ देते हैं...अरे मेरा मतलब भगवान पर ही।
 
रिपोर्ट:- अशोक कुमार

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