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क्या दूध भी नॉन वेज होता है?

भारत में आजकल 'नॉन वेज दूध' की काफी चर्चा हो रही है और ये चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि माना जा रहा है कि इसी की वजह से भारत और अमेरिका के बीच एक बड़ी ट्रेड डील रुकी हुई है।

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, रविवार, 20 जुलाई 2025 (07:54 IST)
समीरात्मज मिश्र
आमतौर पर हम यही जानते हैं कि दूध तो शाकाहारी होता है क्योंकि ये गाय, भैंस, बकरी जैसे उन जानवरों से मिलता है जो खुद शाकाहारी होते हैं। लेकिन आजकल एक ऐसे दूध की चर्चा हो रही है जिसे ‘नॉन वेज' या गैर शाकाहारी कहा जा रहा है। इस दूध की चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि यही ‘नॉन-वेज दूध'भारत और अमेरिका के बीच होने वाले बड़े व्यापारिक समझौते में सबसे बड़ा रोड़ा बना हुआ है।
 
दरअसल, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप की ओर से भारतीय उत्पादों पर टैरिफ लगाने की अंतिम तारीख नौ जुलाई से बढ़ाकर एक अगस्त कर दी गई थी। इस बीच, दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता भी जारी है। डॉनल्ड ट्रंप कई बार दावा कर चुके हैं कि यह डील जल्द ही अंतिम रूप लेने वाली है।
 
लेकिन इस डील में एक सबसे बड़ा रोड़ा यह है कि अमेरिका, अपने कृषि और डेयरी प्रोडक्ट के लिए भारतीय बाजार को खोलने की मांग कर रहा है, लेकिन भारत इसके लिए तैयार नहीं है। भारत सरकार 'नॉन-वेज दूध' पर सांस्कृतिक चिंताओं का हवाला देते हुए अमेरिकी डेयरी उत्पादों के आयात की इजाजत नहीं देना चाहती है।
 
क्या है ‘नॉन-वेज दूध'
भारत में जिन पशुओं का दूध इस्तेमाल किया जाता है उन्हें आमतौर पर घास, भूसा, चोकर, खली जैसी चीजें खिलाई जाती हैं जो वनस्पतियों के उत्पाद से तैयार होती हैं। लेकिन अमेरिका और कई पश्चिमी देशों में दुधारू पशुओं को जो चारा दिया जाता है उसे जानवरों का मांस, हड्डियों के चूरे और खून से तैयार किया जाता है। इसे 'ब्लड मील' कहते हैं। ऐसे जानवरों के दूध को भारत में 'नॉन-वेज दूध' कहा जा रहा है।
 
ब्लड मील वास्तव में मीट पैकिंग व्यवसाय का बाई-प्रोडक्ट होता है जिसे जानवरों को मारने के बाद उनके खून को सुखाकर बनाया जाता है और दुधारू पशुओं के चारे के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
 
वरिष्ठ पशु चिकित्सक और इंडियन वेटरनरी एसोसिएशन के जोनल सेक्रेटरी डॉक्टर राकेश कुमार शुक्ल कहते हैं कि ऐसे पशुओं के दूध को नॉन-वेज दूध कहे जाने के पीछे कारण यही है कि वो मांसाहारी आहार ले रहे हैं जबकि प्राकृतिक रूप से दुधारू पशु शाकाहारी होते हैं।
 
डीडब्ल्यू से बातचीत में डॉक्टर राकेश कुमार शुक्ल कहते हैं, "यूरोप और अमेरिका में खासतौर पर दुधारू पशुओं को मीट और रेड मीट खिलाया जाता है। उनका जो चारा तैयार किया जाता है वो अनेक पशुओं के मांस और खून की प्रोसेसिंग से बनता है। प्रोसेसिंग के जरिए इन्हें पाउडर फॉर्म में तैयार किया जाता है और फिर पशुओं के चारे में वही पाउडर मिलाकर खिलाया जाता है।”
 
भारत अमेरिकी डेयरी प्रोडक्ट के बारे में यह सुनिश्चित करना चाहता है कि वो ऐसे पशुओं का हो जिन्हें मांसाहारी चारा न खिलाया जाता हो। लेकिन अमेरिका के लिए ऐसा करना संभव नहीं है।
 
इसके पीछे एक बड़ा कारण यह भी है कि इन देशों में दुधारू पशुओं को सिर्फ दूध के लिए नहीं बल्कि मांस के लिए पाला जाता है। डॉक्टर राकेश कुमार शुक्ल कहते हैं, "मांसाहारी चारा दुधारू पशुओं को उन देशों में दिया जाता है जहां मीट बेस्ड इंडस्ट्री है। यानी जहां ये पशु मुख्य रूप से मांस के लिए पाले जाते हैं, न कि दूध के लिए। मांसाहारी चारे से पशुओं में मांस बढ़ जाता है। दूध उनके लिए इतने काम का नहीं है। पशुओं को मांस खिलाते भी इसीलिए हैं क्योंकि इससे दूध की गुणवत्ता पर असर नहीं पड़ता, लेकिन मांस की मात्रा बढ़ जाती है। इसीलिए ये अतिरिक्त दूध वो भारत में बेचना चाह रहे हैं।”
 
धार्मिक आस्था और संस्कृति
भारत में हालांकि मांसाहारी लोगों की संख्या शाकाहारी लोगों की तुलना में काफी ज्यादा है लेकिन यहां गाय जैसे दुधारू पशु सिर्फ दूध के लिए नहीं पाले जाते बल्कि उनके साथ धार्मिक आस्था और संस्कृति भी जुड़ी है। करोड़ों लोगों के लिए गाय जानवर नहीं बल्कि गौमाता हैं। गाय के दूध और घी का इस्तेमाल खाने-पीने के अलावा धार्मिक अनुष्ठानों में भी होता है। अब वही दूध यदि किसी मांसाहारी पशु से आएगा तो लोग उसे कैसे स्वीकार करेंगे, यह एक बड़ा सवाल है।
 
इसके अलावा डेयरी को लेकर भारत सरकार इसलिए भी इतनी सतर्क है क्योंकि इस क्षेत्र में करोड़ों लोग रोजगार में लगे हैं और यह कृषि क्षेत्र से जुड़ा हुआ भी है। ज्यादातर छोटे किसान पशुओं को पालते हैं और उनके दूध से अपनी आजीविका चलाते हैं।
 
नॉन-वेज दूध से नुकसान
डॉक्टर राकेश कुमार शुक्ल कहते हैं कि यह दूध स्वास्थ्य की दृष्टि से भी हानिकारक होता है। उनके मुताबिक, "मांसाहारी चारा खाने वाले पशुओं का दूध इस्तेमाल करने वालों की पोषण क्षमता पर भी असर डालता है। मांसाहार के कारण ही गायों में बीएसई (Bovine Spongiform Encephalopathy) नाम की बीमारी हो गई थी और ये बीमारी मनुष्य में भी गायों से पहुंचती है।”
 
विशेषज्ञों को आशंका है कि यदि यह समझौता हो गया तो इसका असर भारत के डेयरी सेक्टर पर पड़ेगा। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भारत के डेयरी सेक्टर का अहम योगदान माना जाता है। दुनिया भर में कुल दूध उत्पादन में भारत का पहला स्थान है और वैश्विक दूध उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 22 फीसद है। भारत से दूध का निर्यात सबसे ज्यादा यूएई, सऊदी अरब, अमेरिका, भूटान और सिंगापुर को होता है।

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