उत्तर कोरिया के विदेश मंत्री ने कहा है कि उनका देश प्रशांत महासागर के ऊपर जल्द ही हाइड्रोजन बम का परीक्षण कर सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की उत्तर कोरिया को "तबाह करने" की धमकी का किम शासन ऐसे देगा जवाब।
पिछले कई हफ्तों से एक दूसरे पर बयानों के बाण चला रहे उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के बीच तनातनी लगातार जारी है। अब तक किम ने साफ नहीं किया है कि वह अमेरिका या ट्रंप के खिलाफ कैसे कदम उठाने वाले हैं। लेकिन उत्तर कोरिया के विदेश मंत्री री योंग हो ने टेलीविजन पर दिये एक बयान में कहा कि उत्तर कोरिया प्रशांत महासागर के ऊपर अब तक के सबसे बड़े हाइड्रोजन बम का परीक्षण करने पर विचार कर रहा है।
परमाणु बम का हमला झेल चुके विश्व के एकलौते देश जापान ने उत्तर कोरिया के ऐसे इरादों को "बिल्कुल अस्वीकार्य" बताया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिये अपने पहले भाषण में ट्रंप ने ढाई करोड़ से अधिक आबादी वाले उत्तर कोरिया को "पूरी तरह तबाह" करने की धमकी दी थी। जवाब में किम ने कहा है कि उत्तर कोरिया अमेरिका के खिलाफ "आज तक के इतिहास में सबसे कड़ा कदम" उठा सकता है। किम ने यह भी कहा कि ट्रंप के बयानों से साबित होता है कि उनका परमाणु कार्यक्रम "बिल्कुल सही पथ" पर बढ़ा रहा है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने उत्तर कोरिया के साथ व्यापारिक संबंध रखने वाली कंपनियों और व्यक्तियों पर नये प्रतिबंध लगाने का अध्यादेश पास किया है। फिलहाल ट्रंप ने उत्तर कोरिया के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार चीन की भूमिका की तारीफ की है और उस पर कोई सीधे प्रतिबंध नहीं लगाये हैं। इसी के साथ, भले ही भाषणों में ट्रंप उत्तर कोरिया के विरुद्ध सैन्य बल इस्तेमाल करने की बात करते हों, लेकिन असल में अब भी आर्थिक मोर्चे पर उसे मजबूर करने की कोशिश कर रहे हैं।
उत्तर कोरिया ने सितंबर में अपना छठा और सबसे बड़ा परमाणु परीक्षण किया। इसके अलावा इस साल वह दर्जनों ऐसे मिसाइल लॉन्च करता रहा है, जो अमेरिकी मुख्य भूमि तक मार कर सकें। उत्तर कोरिया की सरकारी समाचार एजेंसी केसीएनए ने किम के हवाले से यह बयान छापा है कि "मैं आग का इस्तेमाल कर मानसिक संतुलन खो चुके अमेरिका के सठियाए बूढ़े को निश्चित तौर पर वश में कर लूंगा।"
केसीएनए में छपी एक और रिपोर्ट में चीनी मीडिया की आलोचना करते हुए लिखा है कि उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम पर चीन के बयानों से दोनों देशों के संबंधों को नुकसान पहुंचा है। उत्तर कोरिया का इशारा है कि उनका प्रमुख व्यावसायिक सहयोगी देश चीन अमेरिकी का पक्ष लेता दिख रहा है।
उत्तर कोरिया को लेकर लगातार गहराते जा रहे संकट पर चेतावनी देते हुए संयुक्त राष्ट्र के महासचिव गुटेरेश ने सभी पक्षों से अपील की है कि वे अनजाने में युद्ध की ओर बढ़ने से बचें। दक्षिण कोरिया, रूस और चीन सभी ने शांति बनाये रखने का संदेश दिया है। लेकिन जिस तरह विवाद में फंसे दोनों मुख्य पक्ष अमेरिका और उत्तर कोरिया बढ़ा चढ़ा कर बातें कर रहे हैं, उससे पूरा अंतरराष्ट्रीय समुदाय फिलहाल गंभीर चिंता में डूबा है।
अमेरिका और दक्षिण कोरिया बनाम उत्तर कोरिया के बीच सन 1950 से 1953 तक चला युद्ध तकनीकी रूप से अब भी जारी है। उस युद्ध का समापन सुलह नहीं बल्कि एक शांति समझौते के रूप में हुआ था। अब भी दक्षिण कोरिया में अमेरिका के 28,500 सैनिक तैनात हैं, जिन्हें लेकर उत्तर कोरिया हमेशा आतंकित रहता है।