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अरब जगत का पहला परमाणु संयंत्र

हमें फॉलो करें अरब जगत का पहला परमाणु संयंत्र
, मंगलवार, 18 फ़रवरी 2020 (10:36 IST)
बीते 100 सालों से दुनिया में ऊर्जा और राजनीति का केंद्र तेल रहा है। अब तेल से लबालब अरब जगत परमाणु उर्जा की तरफ बढ़ चला है। संयुक्त अरब अमीरात में पहला परमाणु बिजली घर शुरू हो रहा है।
 
सोमवार को संयुक्त अरब अमीरात ने बताया कि उसने बाराकाह न्यूक्लियर पॉवर प्लांट के 4 रिएक्टरों में से 1 के लिए लाइसेंस जारी कर दिया है। यह परमाणु संयंत्र देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में योगदान करेगा। हालांकि देश के पास तेल का विशाल भंडार है लेकिन वह दोबारा इस्तेमाल होने वाली ऊर्जा के स्रोतों में भारी निवेश कर रहा है।
करीब 22.4 अरब डॉलर की लागत से बना बाराकाह प्लांट अबू धाबी के पश्चिम में खाड़ी के तट पर है। इसे कोरिया इलेक्ट्रिक पॉवर कॉर्पोरेशन के नेतृत्व में एक कंसोर्टियम बना रहा है। पूरी तरह चालू होने के बाद संयंत्र के 4 रिएक्टरों से 5,600 मेगावॉट बिजली पैदा होगी। यह संयुक्त अरब अमीरात की एक चौथाई बिजली की जरूरत पूरी कर सकता है।
 
अबू धाबी के अधिकारियों ने जनवरी में बताया कि अगले कुछ महीनों में प्लांट चालू हो जाएगा। सोमवार को इसकी तारीखों के बारे में तो कुछ नहीं कहा गया लेकिन अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा आयोग के यूएई प्रतिनिधि का कहना है कि यह जल्दी ही शुरू हो जाएगा। यह परमाणु संयंत्र पूरे अरब जगत में पहला है। पड़ोसी देश सऊदी अरब ने भी घोषणा की है कि वह 16 परमाणु रिएक्टर बनवाएगा लेकिन अभी इस पर काम शुरू नहीं हुआ है।
 
यूएई के 7 अमीरातों में करीब 1 करोड़ की आबादी है। इनमें ज्यादातर लोग विदेशी हैं। कांच की दीवारों वाली गगनचुंबी इमारतों का यह देश ऊर्जा का भूखा है। खासतौर से गर्मियों में यहां के एयर कंडीशंड संयंत्रों के लिए बिजली की भारी जरूरत होती है।
 
तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक में चौथा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश तेल के एक विशाल भंडार पर बैठा है और हाल ही में यहां गैस के भी एक बहुत बड़े भंडार की खोज हुई है। तेल से भरा-पूरा होने के बावजूद यूएई ने हाल के वर्षों में दोबारा इस्तेमाल होने वाले उर्जा के संसाधनों पर काफी निवेश किया है। कोशिश इस बात की है कि 2050 तक यह अपनी ऊर्जा जरूरतों का आधा इन्हीं संसाधनों से पूरा कर ले।
 
यूएई को उम्मीद है कि सस्ती बिजली पैदा करने से उसका दर्जा क्षेत्रीय स्तर पर ऊंचा हो जाएगा और उसका प्रभाव यमन, अफ्रीका के इलाकों और लीबिया तक बढ़ जाएगा। खाड़ी देशों पर नजर रखने वाले एक विश्लेषक ने कहा कि यह यूएई की ऊर्जा अर्थव्यवस्था को विविध रूपों में बांटने की कोशिश का हिस्सा है। इससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटेगी और यह विज्ञान और तकनीक के मामले में खुद को एक क्षेत्रीय नेता की तरह पेश कर सकेगा।
 
यूएई की दूसरी बड़ी परियोजनाओं में एक अंतरिक्ष कार्यक्रम भी है। इसके तहत पहले अमीराती अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में भेजने और साथ ही मंगल ग्रह के लिए एक खोजी रोबोट भेजने की योजना है। बाराकाह संयंत्र का पहला रिएक्टर 2017 में ही चालू हो जाना था लेकिन नियम-कायदों का पालन करने के लिए इसे कई बार टालना पड़ा। दिसंबर में एमिरेट्स न्यूक्लियर इनर्जी कॉर्प ने घोषणा की कि रिएक्टर में पहला ईंधन 2020 की पहली तिमाही में लोड किया जाएगा।
 
यूएई का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है और उसने लोगों की सुरक्षा चिंताओं को भी दूर करने की कोशिश की है। परमाणु संयंत्र के 50 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों को यह बताया गया है कि हादसे की स्थिति में क्या करना है।
 
बाराकाह संयंत्र सऊदी अरब की सीमा पर है और यह अबू धाबी की तुलना में कतर की राजधानी के ज्यादा करीब है। संयंत्र वाला इलाका अमीरात के तट पर है, जो ईरान से भी लगता है। ईरान और संयुक्त अरब अमीरात के बीच फिलहाल तनाव बढ़ा हुआ है। खासतौर पर ईरान पर अमेरिका के दबाव बढ़ाने के बाद।
 
सऊदी अरब के तेल संयंत्र पर मिसाइल से हमला भी हुआ था जिसकी जिम्मेदारी यमन के हूथी विद्रोहियों ने ली लेकिन अमेरिका ईरान की ओर उंगली उठाता है। अमेरिका और ईरान के बढ़ते तनाव के बीच इलाके के ऊर्जा संयंत्रो पर ईरान के हमले की आशंका मंडरा रही है, हालांकि यूएई ने संयंत्र के कारण किसी भी तरह की सुरक्षा चिंता को खारिज किया है।
 
7 अमीरातों से बना देश
 
'अमीरात' अरबी भाषा का शब्द है। इसका मतलब रियासत या राज्य होता है। अमीरात के राजा को 'अमीर' कहा जाता है। इन अमीरातों में अरबी भाषा बोली जाती है। संयुक्त अरब अमीरात में 7 अमीरात हैं। इन अमीरातों में अलग-अलग अमीर होते हैं। सब अमीरात को मिलाकर एक राष्ट्रपति होता है।  (फ़ाइल चित्र)

एनआर/आईबी (एएफपी)

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