मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में 1984 में हुए गैस हादसे के दुष्प्रभाव अभी भी लोगों पर नजर आ रहे हैं। इन पीड़ितों में मोटापा और थायरॉयड बड़ी समस्या बनते जा रहे हैं।
भोपाल में यूनियन कार्बाइड हादसे की 36वीं बरसी के मौके पर संभावना ट्रस्ट क्लिनिक के सदस्यों ने आंकड़ों के अध्ययन में पाया है कि हादसे के पीड़ितों में सामान्य से अधिक मोटापा और थायरॉयड की समस्या है। इस अध्ययन का ब्योरा देते हुए चिकित्सक डॉक्टर संजय श्रीवास्तव ने बताया कि हमारे क्लिनिक में पिछले 15 वर्षों से इलाज ले रहे 27,155 गैस पीड़ितों व अन्य लोगों के आंकड़ों के विश्लेषण से यह पता चला है कि यूनियन कार्बाइड की जहरीली गैसों से पीड़ित लोगों में अधिक वजन व मोटापा होने की संभावना सामान्य लोगों से 2.75 गुणा ज्यादा है, वहीं थायरॉइड संबंधित बीमारियों की दर 1.92 गुना ज्यादा है।
संभावना ट्रस्ट के प्रबंधक न्यासी सतीनाथ षडंगी ने कहा कि गैस पीड़ितों में मोटापा ज्यादा होने से उनमें डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, दिल की बीमारी, जोड़ों का दर्द और जिगर, गुर्दे, स्तन और गर्भाशय के कैंसर व अन्य बीमारियों का खतरा ज्यादा होने की आशंका है। गैस पीड़ितों में थायरॉयड बीमारियों की दर लगभग दो गुनी पाई जाना दर्शाता है कि गैस कांड की वजह से पीड़ितों के शरीर के अन्य तंत्रों के साथ-साथ अंत:स्रावी तंत्र को भी स्थायी नुकसान पहुंचा है।
क्लिनिक की सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता तबस्सुम आरा ने बताया कि संभावना ट्रस्ट क्लिनिक और चिंगारी पुनर्वास केंद्र के कार्यकर्ताओं ने पिछले 8 महीनों में कोरोना महामारी से जूझने के लिए 42 हजार की कुल आबादी वाले 15 मोहल्लों में जागरूकता फैलाने, समुदाय से वॉलंटियर बनाने, जरूरतमंदों का विशेष ख्याल रखने और कोरोना की जांच और इलाज में मदद पहुंचाने का काम किया है।
1996 में यूनियन कार्बाइड के पीड़ितों के मुफ्त इलाज के लिए स्थापित संभावना ट्रस्ट क्लिनिक ने अभी तक 25,348 गैस पीड़ितों और यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे से प्रदूषित भूजल से पीड़ित 7,449 लोगों का इलाज किया है। इस ट्रस्ट का काम 30 हजार से अधिक दानदाताओं के चंदे से चलता है। (फ़ाइल चित्र)