जापान के पूर्व प्रधानंमत्री शिंजो आबे की हत्या के तार एक धार्मिक समूह से जुड़े होने का संदेह है। जापानी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार संदिग्ध हत्यारे का मानना था कि आबे एक ऐसे धार्मिक समूह का समर्थन करते थे जिससे वो नफरत करता था।
जापान में यूनीफिकेशन चर्च के प्रमुख ने कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की मां इस चर्च की सदस्य हैं। जापान के कई मीडिया संस्थानों ने दावा किया है कि 41 साल का तेत्सुया यामागामी इस चर्च से नाराज था और उसका मानना था कि आबे इसका समर्थन करते थे।
क्योदो समाचार एजेंसी के अनुसार यामागामी की मां ने इस चर्च को चंदे में एक बड़ी रकम दी थी। योमिउरी अखबार और दूसरे मीडिया संस्थानों के मुताबिक यामागामी ने पुलिस को बताया कि उस चंदे के बाद उसकी मां दिवालिया हो गईं।
यूनिफिकेशन चर्च का पूरा नाम है फॅमिली फेडेरशन फॉर वर्ल्ड पीस एंड यूनिफिकेशन। चर्च की जापान शाखा के प्रमुख तोमिहिरो तनाका ने टोकियो में पत्रकारों को बताया कि यामागामी की मां चर्च की सदस्य थीं। तनाका ने उनका नाम नहीं बताया और उनके चंदे के बारे में भी पुलिस की जांच का हवाला देते हुए कोई टिप्पणी नहीं की। उन्होंने यह भी कहा कि न तो आबे और न यामागामी चर्च के सदस्य थे। उन्होंने यह भी बताया कि आबे चर्च के सलाहकार भी नहीं थे।
आबे के यूनीफिकेशन चर्च के साथ संबंध
चर्च की वेबसाइट के मुताबिक आबे पिछले साल सितंबर में चर्च से जुड़े एक संगठन के एक कार्यक्रम में गए थे। वहां आबे ने एक भाषण दिया था जिसमें उन्होंने कोरियाई प्रायद्वीप पर शांति के लिए संगठन के प्रयासों की सराहना की थी।
पुलिस ने इस बात की पुष्टि तो की है कि यामागामी को एक संगठन से शिकायत थी लेकिन संगठन का नाम नहीं बताया है। तनाका ने बताया कि यामागामी की मां चर्च से 1998 में जुड़ीं थी लेकिन 2009 से 2017 तक उन्होंने चर्च की किसी सभा में हिस्सा नहीं लिया।
2 या 3 साल पहले उन्होंने फिर से चर्च के सदस्यों के साथ संपर्क स्थापित किया और पिछले करीब 6 महीनों से वो हर महीने में एकाध बार चर्च के कार्यक्रमों में हिस्सा ले रही हैं।
इस चर्च की स्थापना सून म्युंग मून नाम के व्यक्ति ने 1954 में दक्षिण कोरिया में की थी। मून खुद को पक्का वामपंथ-विरोधी और एक मसीहा बताते थे। चर्च अपने सामूहिक विवाह कार्यक्रमों की वजह से सुर्खियों में रहता है, जहां एकसाथ हजारों शादियां कराई जाती हैं।
बाइबल की नई विवेचना पर आधारित
चर्च द्वारा प्रकाशित साहित्य के अनुसार जापानी भाषा सहज रूप से बोल लेने वाले मून ने 1960 के दशक में जापान से ही एक वामपंथ विरोधी राजनीतिक अभियान शुरू किया और जापान के राजनेताओं के साथ संबंध स्थापित किए। 2012 में उनका निधन हो गया।
तनाका ने बताया कि आज पूरी दुनिया में चर्च के 1 करोड़ सदस्य हैं जिनमें से करीब 6 लाख जापान में हैं। माना जाता है कि चर्च की शिक्षा बाइबल की शिक्षाओं की नई विवेचना पर आधारित है। तनाका ने बताया, आबे ने हमारे नेता के विश्व शांति आंदोलन के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया था लेकिन वो न कभी हमारे सदस्य रहे और न सलाहकार।
जांचकर्ताओं ने स्थानीय मीडिया को बताया है कि यामागामी पहले इस समूह के नेता को ही मारना चाहता था, लेकिन उसने बाद में आबे को मारने का फैसला किया, क्योंकि उसका मानना था कि वो संगठन से जुड़े हुए हैं।