अमेरिका ने पाकिस्तान को उन देशों की ब्लैकलिस्ट में डाल दिया है जहां धार्मिक आाजादी का उल्लंघन होता। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले सुलूक के कारण उसे इस लिस्ट में डाला गया है।
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉमपेयो ने कहा है कि पाकिस्तान को 'खास चिंता वाले देशों' में रखा गया है। इसका मतलब है कि अमेरिका पाकिस्तान पर धार्मिक आजादी के उल्लंघन को रोकने के लिए दबाव डालेगा और जरूरत पड़ी तो इसके लिए प्रतिबंध भी लगाए जा सकते हैं।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय इससे पहले पाकिस्तान की निंदा करने से बचता रहा है क्योंकि वह अफगानिस्तान में अमेरिकी बलों के पहुंचने के लिए अहम मार्ग है। पिछले साल अमेरिका ने पाकिस्तान को विशेष निगरानी सूची में डाल दिया, जो ब्लैकलिस्ट करने की तरफ एक कदम था। इसके अलावा अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य मदद को भी रोक दिया।
मानवाधिकार संस्थाएं लंबे समय से पाकिस्तान में शिया, ईसाई और अहमदिया समेत अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले भेदभाव को लेकर आवाज उठाती रही हैं। पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट में डालने की सबसे बड़ी वजह शायद ईशनिंदा के आरोप में मौत की सजा पाने वाली ईसाई महिला आसिया बीबी का मामला है, जिसे सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बरी किए जाने के बाद रिहा नहीं किया गया है।
आसिया बीबी को बरी किए जाने के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों का नेतृत्व करने वाले एक कट्टरपंथी मौलवी खादिम हुसैन रिजवी पर हाल में आतंकवाद और देशद्रोह के आरोप तय किए गए हैं।
अमेरिका के राजदूत सैम ब्राउनबैक ने प्रधानमंत्री इमरान खान के शासन में धार्मिक आजादी को लेकर उम्मीद जताई लेकिन उनके मुताबिक पाकिस्तान का अब तक रिकॉर्ड बहुत खराब रहा है। उन्होंने कहा, "दुनिया में जितने भी लोग ईशनिंदा के आरोप में सजा काट रहे हैं, उनमें से आधे पाकिस्तान में हैं।"
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सरकार अकसर उन लोगों को पकड़ने में नाकाम रहती है जो धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति हिंसा करते हैं या उनकी हत्या तक कर देते हैं। उन्होंने कहा, "मुझे उम्मीद है कि पाकिस्तान का नया नेतृत्व स्थिति को सुधारने के लिए काम करेगा। हाल में इस तरह के कुछ उत्साहवर्धक संकेत मिले भी हैं।"
धार्मिक आजादी का उल्लंघन करने वाले देशों की इस अमेरिकी ब्लैकलिस्ट में पाकिस्तान के अलावा नौ देश और हैं जिनमें चीन, इरिट्रिया, ईरान, म्यांमार, उत्तर कोरिया, सऊदी अरब, ताजिकिस्तान और तुर्मेनिस्तान शामिल हैं। अमेरिका ने उज्बेकिस्तान को इस लिस्ट से हटा दिया है लेकिन उसे निगरानी लिस्ट में रखा गया है। ब्लाउनबैक कहते हैं कि इस मध्य एशियाई देश में धार्मिक आजादी को लेकर खासी प्रगति हुई है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के लिए धार्मिक आजादी एक अहम प्राथमकिता है, खासकर इसलिए भी कि उन्हें चुनाव में इवांगेलिकल ईसाईयों का भारी समर्थन मिला था। हालांकि सऊदी अरब जैसे सहयोगी देशों के मामले में ट्रंप मानवाधिकारों को ज्यादा तवज्जो नहीं देते हैं।
धार्मिक आजादी के मामले में रूस को निगरानी वाले देशों की सूची में रखा गया है। इसके अलावा चीन में उइगुर लोगों के साथ भेदभाव को लेकर ब्राउनबैक ने खास तौर से चिंता जताई। उन्होंने इसे दुनिया भर में मानवाधिकारों के उल्लंघनों की सबसे खराब मिसालों में से एक करार दिया।