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बच्चों के यौन शोषण का अड्डा बने पाकिस्तान के मदरसे

हमें फॉलो करें बच्चों के यौन शोषण का अड्डा बने पाकिस्तान के मदरसे
, गुरुवार, 23 नवंबर 2017 (11:42 IST)
9 साल का बच्चा खून में लथपथ होकर घर लौटा। मौलवी उसके साथ कुकर्म कर चुका था। फिर उग्रवादी पीड़ित परिवार को ही डराने लगे और फिर हर बार की तरह, आरोपी फिर बच निकला। कौसर परवीन जब अपने बेटे की बात करती हैं, तो उनकी आंखें भर आती हैं। गला भर्राने लगता है। वह आंसू पोंछती हैं और कुछ कहने की कोशिश करती हैं। काफी बार ऐसा करने के बाद वह अपनी बात पूरी कर पाती हैं।

साल भर पहले कौसर ने अपने बेटे को केहरोर पक्का के मदरसे में भेजा। अप्रैल में एक रात बच्चा अचानक जागा तो मौलवी उसे बगल में लेटा मिला। मौलवी को देख बच्चा सहम गया। इसके बाद मौलवी ने बच्चे से बलात्कार किया। बच्चे के मुताबिक, "मैं रो रहा था। वह मुझे चोट पहुंचा रहा था। उसने मेरी कमीज मेरे मुंह में ठूंस दी।"
 
पाकिस्तान के मदरसों से यौन दुर्व्यवहार की शिकायतें लंबे वक्त से आती रही हैं। समाचार एजेंसी एपी ने जब इन मामलों की जांच शुरू की तो उसे कई चौंकाने वाली जानकारियां मिली। गांवों और दूर दराज के इलाकों में मौलवी इतने ताकतवर होते हैं कि बच्चों के यौन दुर्व्यवहार के मामले दब जाते हैं। अगर कोई शिकायत लेकर पुलिस के पास भी जाए तो भी कार्रवाई नहीं होती।
 
पीड़ित परिवार के मुताबिक पुलिस को अक्सर मौलवी को बचाने के लिए रिश्वत दी जाती है। पाकिस्तान के कानून के तहत पीड़ित परिवार अपराधी को माफ कर अदालती सजा से बच सकता है। आमतौर पर पैसे के लेनदेन से ऐसे मामलों को सुलझाने का दबाव बनाया जाता है।
 
समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक पाकिस्तान में मौलवियों द्वारा बलात्कार के सैकड़ों मामले सामने आ चुके हैं। पाकिस्तान के मदरसों में करीब 20 लाख बच्चे पढ़ते हैं। अपनी जांच में एपी ने पुलिस के दस्तावेज देखे, दर्जनों पीड़ितों से बात की। समाचार एजेंसी ने मौजूदा और पूर्व मंत्रियों के साथ साथ धार्मिक मामलों के अधिकारियों से भी बातचीत की।
 
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कई मौलवियों के उग्रवादी संगठनों से भी रिश्ते हैं। अधिकारी के मुताबिक वह खुद भी अपनी पहचान सार्वजनिक नहीं कर पा रहे हैं। उन्हें लगता है कि पहचान बाहर आते ही आत्मघाती हमलावर उन्हें निशाना बना सकते हैं। अधिकारी ने बताया कि आरोपी मौलवी ईशनिंदा के कानून को भी हथियार बनाते हैं।
 
ईशनिंदा के कानून के मुताबिक धर्म या पैगंबर मुहम्मद का अपमान करने के दोषी को मौत की सजा दी जाती है। अधिकारी ने कहा, "पाकिस्तान में यह कोई छोटी बात नहीं है, मुझे खुद उनसे डर लगता है। मुझे यकीन नहीं है कि इससे वो बेनकाब होंगे। लेकिन ऐसी कोशिश करना ही बहुत खतरनाक है।"
 
एक पूर्व मंत्री ने भी बिल्कुल ऐसी ही बात की। पूर्व मंत्री ने कहा कि मदरसों में हर वक्त यौन दुर्व्यवहार होता है। आत्मघाती हमलावर के डर से पूर्व मंत्री ने भी अपनी पहचान छुपाई। पूर्व मंत्री ने कहा, "यह बहुत ही खतरनाक विषय है।" पाकिस्तान के अखबारों में बीते 10 साल में मौलवियों या उलेमाओं के यौन दुर्व्यवहार के 359 मामलों की रिपोर्टिंग हुई।
 
नाबालिगों के साथ होने वाले यौन दुर्व्यवहार के खिलाफ लड़ने वाली संस्था साहिल की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर मुनीजे बानो के मुताबिक, "यह तो सिर्फ हिमखंड का सिरा है।" वहीं आधिकारिक डाटा के मुताबिक सिर्फ 2004 में पाकिस्तान के मदरसों में नाबालिगों के यौन शोषण के 500 से ज्यादा मामले आए। लेकिन इनमें से ज्यादातर मामलों में न तो कोई गिरफ्तारी हुई और न ही किसी को सजा मिली।
 
पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के मंत्री सरदार मुहम्मद यूसुफ मदरसों में यौन दुर्व्यवहार की रिपोर्टों को खारिज करते हैं। यूसुफ ऐसी रिपोर्टों को धर्म और मौलवियों को बदनाम करने की साजिश कहते हैं। मंत्री कहते हैं कि आज तक उन्होंने अखबारों में शायद ही ऐसी कोई रिपोर्ट देखी है। जब कुछ मामलों की बात बहुत साफ ढंग से सामने रखी गई तो मंत्री ने कहा कि "अपराधी तो हर जगह होते हैं।" यूसुफ मानते हैं कि मदरसों का सुधार करना उनकी नहीं बल्कि आंतरिक मंत्रालय की जिम्मेदारी है।
 
मदरसों के लिए जिम्मेदार आंतरिक मंत्रालय से जब एपी ने संपर्क करने की कोशिश की तो लिखित या टेलिफोन इंटरव्यू के लिए भी मना कर दिया गया। परवीन के बेटे बलात्कार के कुछ समय बाद पंजाब के मदरसों में ऐसे कुछ और मामले आए। एक में, मदरसे की छत में 12 साल के बच्चे के साथ पूर्व छात्रों ने सामूहिक बलात्कार किया। दूसरे में 10 साल के बच्चे से मदरसे के प्रिंसिपल ने कुकर्म किया। उलेमा ने बच्चे को जान से मारने की धमकी भी दी।
 
तमाम धमकियों के बावजूद परवीन अपने बेटे के लिए अदालत तक गईं लेकिन केहरोर पक्का की कचहरी में भी मौलवी का आतंक साफ नजर आया। सुनवाई के दौरान सुन्नी उग्रवादी संगठन सिपाह ए साहबाह के मौलवी के समर्थन में वहां पहुंचे।
 
सुनवाई के दौरान एपी के पत्रकार भी कचहरी में मौजूद थे। पुलिस के मुताबिक जांच के दौरान मौलवी ने अपना अपराध स्वीकार किया था, लेकिन कोर्ट में वह पलट गया। गवाही के दौरान मौलवी ने कहा, "मैं शादीशुदा हूं। मेरी बीवी खूबसूरत है, ऐसे में मैं इस बच्चे के साथ ऐसा क्यों करूंगा?" मामले की सुनवाई के दौरान परवीन के रिश्तेदार राजीनामे का दबाव बनाने लगे। रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने बताया कि उग्रवादी डराने लगे हैं। आखिरकार बेटे के हक के लिए लड़ रही मां को झुकना पड़ा। पुलिस के मुताबिक करीब 31,000 पाकिस्तानी रुपये में परवीन ने मौलवी को माफ कर दिया।
 
मानवाधिकार मामलों के वकील सैफ उल मुल्क के मुताबिक, "मुल्लाओं से आज हर कोई घबराता है।" उन पर यौन दुर्व्यवहार का आरोप लगाने का मतलब है कि न्याय दुर्लभ बन जाएगा। केहरोर पक्का के यूनियन काउंसलर आजम हुसैन कहते हैं, "गरीब डर जाते हैं, वे कुछ नहीं कहते। पुलिस मुल्लाओं की मदद करती है। पुलिस गरीबों की मदद नहीं करती और गरीब भी इस बात को जानते हैं, इसीलिए वो पुलिस के पास जाते ही नहीं हैं।"
 
और ऐसे एक या दो दर्जन मामले नहीं हैं। सैकड़ों हैं। धर्म की राजनीति में पाकिस्तान के ज्यादातर आरोपी मौलवियों के सारे कुकर्म धुल जाते हैं।
 
- ओएसजे/एनआर (एपी)

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