Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

संयुक्त राष्ट्र : महामारी एक मानवाधिकार संकट बनती जा रही है

हमें फॉलो करें संयुक्त राष्ट्र : महामारी एक मानवाधिकार संकट बनती जा रही है
, शनिवार, 25 अप्रैल 2020 (08:58 IST)
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी तेजी से एक मानव संकट से मानवाधिकार संकट में बदल रही है। एक वीडियो संदेश में गुटेरेश ने कहा कि कोविड-19 से लड़ने में जन सुविधाओं को लोगों तक पहुंचाने में भेदभाव किया जा रहा है और कुछ ढांचागत असमानताएं हैं, जो इन सेवाओं को सब तक पहुंचने नहीं दे रही हैं।
उनका कहना है कि इस महामारी में जो देखा गया है, उसमें 'कुछ समुदायों पर कुछ ज्यादा असर, हेट स्पीच का उदय, कमजोर समूहों को निशाना बनाया जाना और कड़ाई से लागू किए गए सुरक्षा के कदम शामिल हैं जिनसे स्वास्थ्य प्रणाली का काम प्रभावित होता है'।
 
गुटेरेश ने चेतावनी दी कि कि कुछ देशों में बढ़ते नस्ली-राष्ट्रवाद, लोकवाद और तानाशाही और मानवाधिकारों को दबाने की कोशिश की वजह से इस संकट में महामारी से अलग उद्देश्यों के लिए दमनकारी कदम उठाने का बहाना मिल सकता है। फरवरी में गुटेरेश ने देशों, उद्योगों और आम लोगों से कहा था कि वे पूरी दुनिया में मानवाधिकारों के पुनरुत्थान करने में मदद करें। जलवायु परिवर्तन, संघर्ष और दमन को लेकर चिंताओं के बीच उन्होंने एक 7 सूत्री योजना दी थी।
अब उन्होंने कहा है कि जैसा कि मैंने तब कहा था, संकट के समय में मानवाधिकार सभी काम कर लेने के बाद का विचार नहीं बन सकते और आज हमारे सामने कई पीढ़ियों में सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय संकट है। उन्होंने कहा कि वे एक रिपोर्ट जारी कर रहे हैं, जो यह बताएगी कि कैसे वायरस के प्रति प्रतिक्रिया और महामारी से निकलने के प्रयासों का संचालन मानवाधिकारों को केंद्र में रखकर हो। मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार किसी भी देश या व्यक्ति का नाम न गुटेरेश ने लिया और न रिपोर्ट में होगा।
 
गुटेरेश ने कहा कि सरकारों को 'पारदर्शी, प्रतिक्रियाशील और जवाबदेह' होना चाहिए और उन्होंने जोर दिया कि मीडिया की आजादी, सिविल सोसाइटी संगठन, निजी क्षेत्र और 'सिविक स्पेस' जरूरी हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारों को नौकरियों, आजीविका, मूल सुविधाओं तक पहुंच और पारिवारिक जीवन पर कोविड-19 के बुरे असर को कम करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है।
webdunia
गुटेरेश ने यह भी कहा कि कोई भी आपातकालीन कदम 'कानूनी रूप से वैध, यथोचित, आवश्यक और भेदभाव से मुक्त चाहिए, उनका एक विशेष फोकस और अवधि होनी चाहिए और जनता के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए उनके जीवन में सबसे कम दखल देने वाला रास्ता लेना चाहिए'।
 
रिपोर्ट ने चेतावनी दी कि आपातकाल की शक्तियों की जरूरत पड़ सकती है लेकिन ज्यादा शासनात्मक शक्ति अगर कम निगरानी के साथ दे दी जाए तो उसमें जोखिम होता है। कड़े सुरक्षा संबंधी कदम स्वास्थ्य प्रतिक्रिया को कमजोर करते हैं और वे शांति और सुरक्षा के मौजूदा खतरों को और बढ़ा सकते हैं या नए खतरे पैदा कर सकते हैं।
 
रिपोर्ट के अनुसार सबसे अच्छी प्रतिक्रिया वही होती है, जो तात्कालिक खतरे के अनुपात में हो और मानवाधिकारों की रक्षा करे। गुटेरेश ने कहा कि संदेश साफ है। लोग और उनके अधिकार सामने और केंद्र में होने चाहिए।
 
सीके/एए (एपी)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कोविड 19: डब्ल्यूएचओ ने दी गलती ना करने की चेतावनी