Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

जर्मन सेना की मुश्किल, भर्ती के लिए मिल नहीं रहे लोग

हमें फॉलो करें जर्मन सेना की मुश्किल, भर्ती के लिए मिल नहीं रहे लोग

DW

, गुरुवार, 3 अगस्त 2023 (10:42 IST)
-स्वाति मिश्रा
 
German Army Bundeswehr: जर्मनी रक्षा ढांचे में सुधार करना चाहता है। सामरिक क्षमताएं मजबूत करने के लिए ज्यादा सैनिकों की भर्ती का लक्ष्य रखा गया है। इसमें एक बड़ी दिक्कत यह है कि युवा सेना की नौकरी में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। जर्मन सेना (German army) को नई भर्तियां करने में दिक्कत हो रही है। आवेदकों की कमी है।
 
जर्मनी के रक्षामंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने यह जानकारी दी। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद जर्मनी अपने रक्षा ढांचे में सुधार करना चाहता है। इसी क्रम में जर्मन सेना बुंडेसवेयर 2031 तक विस्तार करना चाहती है। बुंडेसवेयर में अभी करीब 1,83,000 सैनिक हैं। 2031 तक इसे बढ़ाकर 2,03,000 करने का लक्ष्य है। लेकिन यह लक्ष्य पूरा कर पाना मुश्किल लग रहा है, क्योंकि सेना में आने के इच्छुक युवाओं की कमी है। ऐसे में आवेदकों की संख्या में गिरावट जारी है। 
 
यूक्रेन पर हमले के बाद नीति में बदलाव
 
बुंडेसवेयर लंबे समय से संसाधनों और फंड की कमी का सामना करता आया है। लेकिन यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद जर्मनी और यूरोप की रक्षा जरूरतें बदली हैं। 24 फरवरी, 2022 को यूक्रेन पर रूसी हमले के 3 दिन बाद ही जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने एलान किया कि जर्मनी अपना रक्षा खर्च बढ़ाएगा।
 
उन्होंने कहा कि हमें अपनी आजादी और लोकतंत्र की रक्षा के लिए अपने देश की सुरक्षा में ज्यादा निवेश करना होगा। जर्मनी की पारंपरिक शांतिवादी नीति में बदलाव की इस घोषणा पर सांसदों ने खड़े होकर तालियां बजाई थीं। 
 
जून 2023 में भी चांसलर ने संसद में कहा कि जर्मन सरकार 2024 में जीडीपी का 2 फीसदी रक्षा मद पर खर्च करने योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही हम उस बात को फिर से रेखांकित करते हैं, जो मैंने 27 फरवरी, 2022 को इस सदन में कही थी। नाटो में साझा सुरक्षा के लिए किया गया हमारा वादा वैध है, कोई अगर-मगर नहीं है। 
 
जर्मन सेना में नहीं जाना चाहते युवा
 
इन योजनाओं की दिशा में एक गंभीर चुनौती है, नए सैनिकों की भर्ती। 2 अगस्त को आर्म्ड फोर्सेज करियर सेंटर का दौरा करते हुए रक्षामंत्री पिस्टोरियस ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि हर कोई बुंडेसवेयर में लोगों की कमी के बारे में बात कर रहा है और इस चीज को मुझसे बेहतर कोई नहीं जानता है।
 
पिस्टोरियस ने बताया कि 2022 के मुकाबले इस साल 7 फीसदी कम आवेदन आए हैं। हालांकि उन्होंने यह कहते हुए चलन में बदलाव की उम्मीद जताई कि सेना में करियर से जुड़ी सलाह मांगने वालों की संख्या 16 फीसदी बढ़ी है।
 
रक्षामंत्री ने यह भी बताया कि सेना में प्रशिक्षण के दौरान सर्विस छोड़कर जाने वालों की दर करीब 30 फीसदी है। दूसरी ओर उसे रोजगार देने वाले दूसरे विभागों के साथ प्रतिस्पर्धा भी करनी होती है। पिस्टोरियस ने कहा कि पहले की पीढ़ियों के मुकाबले आज की युवा पीढ़ी वर्क-लाइफ बैलेंस को ज्यादा तवज्जो देती है। उन्हें काम और जीवन में संतुलन चाहिए जबकि सेना में काम करते हुए यह सामंजस्य बिठाना मुश्किल है।
 
महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की कोशिश
 
एक और बड़ी चुनौती बूढ़ी हो रही आबादी भी है। इसके कारण कई क्षेत्रों में कामगारों की कमी है। ऐसे में सैन्य भर्तियां खास मुश्किल साबित होती हैं। पिस्टोरियस ने कहा कि 2050 तक हमारे पास 15 से 24 के आयु वर्ग में 12 फीसदी कम लोग होंगे। उन्होंने बुंडेसवेयर के विज्ञापन अभियानों को ज्यादा यथार्थवादी बनाने की अपील करते हुए कहा कि इसे 'मिशन इम्पॉसिबल' फिल्म की तरह न पेश किया जाए।
 
फिलहाल सेना में महिलाओं की भागीदारी 10 फीसदी से भी कम है। माइग्रेशन की पृष्ठभूमि वाले लोगों का प्रतिनिधित्व भी कम है। पिस्टोरियस ने कहा कि महिलाओं और माइग्रेशन पृष्ठभूमि वाले लोगों को सेना की ओर आकर्षित करने के लिए कोशिशें बढ़ानी चाहिए।
 
बुंडेसवेयर की खराब हालत
 
इसी साल मार्च में जर्मनी की आर्म्ड फोर्सेज कमिश्नर एफा होएगल ने बुंडेसवेयर की स्थिति से जुड़ी सालाना रिपोर्ट में सैन्य निवेश की सुस्त रफ्तार की आलोचना करते हुए कहा था कि सेना के पास हर चीज 'काफी कम' है। होएगल ने 2031 तक 2,03,000 सैनिकों की नियुक्ति के लक्ष्य पर भी संशय जताया था।
 
आर्म्ड फोर्सेज कमिश्नर एफा होएगल ने इसके अलावा सैन्य अड्डों पर बैरकों की खराब हालत और सुविधाओं में कमी की ओर भी ध्यान दिलाया, मसलन सैनिकों के रहने वाले कुछ क्वार्टरों में वाई-फाई नहीं हैं और यहां तक कि शौचालय भी नहीं हैं।(फोटो सौजन्य : डॉयचे वैले)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

नवीन पटनायक अहम मौकों पर बीजेपी के साथ क्यों रहते हैं?