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हर तीसरा जर्मन मानता है, दोस्तों के बीच सेक्स मुमकिन

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, शनिवार, 28 जुलाई 2018 (12:03 IST)
क्या दोस्तों के बीच भी शारीरिक संबंध बन सकते हैं? या फिर एक दूसरे के इतना करीब आने के बाद दोस्ती खत्म हो जाती है? जर्मनी में हुए एक सर्वे के अनुसार एक तिहाई लोग इसे गलत नहीं मानते।
 
 
30 जुलाई को दुनिया भर में फ्रेंडशिप डे के रूप में मनाया जाता है। फिल्म 'कुछ कुछ होता है' में शाहरुख खान ने फ्रेंडशिप बैंड क्या बांधा, भारत में वैलेंटाइंस डे के साथ साथ फ्रेंडशिप डे का भी चलन चल पड़ा। जर्मनी में ये दोनों ही दिन इतने लोक्रपिय नहीं हैं लेकिन फ्रेंडशिप डे के मौके पर जर्मनी में एक ऑनलाइन सर्वे किया गया और इसके कुछ नतीजे हैरान करते हैं।
 
 
इस सर्वे में हिस्सा लेने वालों में हर तीसरे व्यक्ति ने माना कि उन्हें दोस्तों के बीच शारीरिक संबंध बनाने से कोई परहेज नहीं है। यूगोव नाम की संस्था ने यह सर्वे किया है और इसके बारे में कासेल यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्री यानोश शोबिन का कहना है, "लगता है कि अब ज्यादातर लोग फ्रेंड्स विद बेनिफिट्स के सिद्धांत को अपनाने लगे हैं।"
 
 
यानोश बताते हैं कि अस्सी के दशक में फ्रेंड्स विद बेनिफिट्स को समलैंगिकों के साथ जोड़ कर देखा जाता था और ऐसा माना जाता था कि दो ऐसे लोग जिनके बीच कोई रिश्ता नहीं है और वे फिर भी आपस में शारीरिक संबंध बनाने को तैयार हों, ऐसा सिर्फ समलैंगिक ही कर सकते हैं।
 
 
सर्वे के अनुसार 60 फीसदी लोगों ने माना कि अगर कोई महिला और पुरुष आपस में दोस्त हैं तो इस बात की संभावना बनी रहती है कि उनके आपस में संबंध भी बनेंगे। वहीं 20 फीसदी का तो ये भी कहना था कि मर्द और औरत के बीच दोस्ती मुमकिन ही नहीं है, यानी अगर वे साथ हैं, तो वे सेक्स के लिए स्वीकृति दे रहे हैं। इसके अलावा हर दूसरे व्यक्ति ने माना कि एक्स यानी पूर्व प्रेमी के साथ भी अच्छी दोस्ती मुमकिन है।
 
 
अधिकतर जर्मन लोगों की दोस्ती नौकरी के दौरान होती है। सर्वे के अनुसार 45 फीसदी लोगों ने काम के दौरान ही दोस्त बनाए। 20 फीसदी आज भी स्कूल के दोस्तों के करीब हैं। इसके अलावा कॉलेज, ट्रेनिंग या हॉबी क्लासेस में भी लोगों से दोस्ती होती है।
 
 
समाजशास्त्री शोबिन के अनुसार पहला बच्चा होने के बाद दोस्तों की संख्या में कमी आती है क्योंकि तब लोग परिवार पर ज्यादा ध्यान देने लगते हैं। और फिर जब तक बच्चे घर से निकल नहीं जाते, तब तक दोस्तों की संख्या बढ़ती भी नहीं है। जर्मनी में आम तौर पर स्कूल पूरा करने के बाद बच्चे माता पिता से अलग रहने लगते हैं। जिन्हें दूसरे शहरों के कॉलेजों में दाखिला मिलता है, उन्हें तो यूं भी घर छोड़ना ही होता है।
 
 
इस बीच सोशल मीडिया पर भी लोगों की दोस्ती होने लगी है। हर पांच में से एक व्यक्ति ने माना कि उनके पास ऐसे ऑनलाइन दोस्त हैं जिनसे वे कभी मिले भी नहीं हैं। लेकिन साथ ही 75 फीसदी ने यह भी कहा कि असली दोस्ती तो ऑफलाइन दुनिया में ही मुमकिन है।
 
 
ऑनलाइन दोस्तियां करने वाले ज्यादातर युवा पुरुष हैं जो ऑनलाइन गेम के दौरान एक दूसरे से मिले। इस बारे में शोबिन का कहना है, "गेम के दौरान आपको एक दूसरे का सामना करना ही होगा, नहीं तो आप मारे जाएंगे।" शोबिन के अनुसार यहां से पक्की दोस्तियां शुरू होती हैं और कई बार तो लोग हर रोज एक दूसरे को फोन भी करने लगते हैं और फिर उपहार भी भेजने लगते हैं।
 
 
औसतन हर जर्मन के पास 3.7 अच्छे दोस्त हैं। इसके बाद 11 ऐसे लोग हैं, जिन्हें वे अपने करीबी की सूची में रखते हैं।
 
 
इसके अलावा सर्वे में लोगों से ये भी पूछा गया कि वे किस पड़ोसी देश के साथ जर्मनी की दोस्ती को अच्छा मानते हैं। 42 प्रतिशत के साथ सबसे ज्यादा वोट फ्रांस को गए। 26 प्रतिशत के साथ ऑस्ट्रिया दूसरे नंबर पर रहा। इसके बाद 23 प्रतिशत के साथ नीदरलैंड्स और 19 फीसदी के साथ स्विट्जरलैंड और डेनमार्क का स्थान रहा।
 
 
अमेरिका को इसमें सिर्फ नौ फीसदी ही वोट मिले। शोबिन मानते हैं कि डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से जर्मनी के लोगों की सोच में अमेरिका को ले कर बदलाव आया है। उनके अनुसार अगर यही सवाल ओबामा के समय में किया गया होता, तो ज्यादा लोग अमेरिका में भरोसा दिखाते।
 
 
आईबी/एनआर (डीपीए)
 

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