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बढ़ रही है राजनीतिक पार्टियों की कमाई

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, गुरुवार, 16 जनवरी 2020 (10:46 IST)
चुनाव आयोग को दी गई जानकारी के विश्लेषण से पता चला है कि बीते 1 साल में 6 राष्ट्रीय पार्टियों की कुल कमाई में 2,300 करोड़ रुपए यानी 166 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इसमें आधी से ज्यादा कमाई चुनावी बॉण्ड के जरिए आई।
 
भारत में आर्थिक तरक्की की रफ्तार भले ही सुस्त हो, लेकिन राजनीतिक दलों की आमदनी पर इसका कोई असर नजर नहीं आता। बीते एक साल में 6 राष्ट्रीय पार्टियों की कुल आमदनी में 2,300 करोड़ रुपए की बढ़त दर्ज की गई है।
 
चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाले गैरसरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने यह जानकारी दी है। एडीआर ने यह जानकारी पार्टियों के आयकर रिटर्न से हासिल की है जिसकी जानकारी सभी पार्टियों को चुनाव आयोग को देनी होती है।
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राष्ट्रीय पार्टियों में बीजेपी, कांग्रेस, बीएसपी, एनसीपी, सीपीआई, सीपीएम और तृणमूल कांग्रेस शामिल हैं। इनमें से एनसीपी ने अभी तक अपने आय और व्यय की जानकारी सार्वजनिक नहीं की है। बाकी 6 पार्टियों ने वित्त वर्ष 2018-19 में कुल 3,698.66 रुपए की आय घोषित की।
 
इनमें सबसे ज्यादा आय बीजेपी ने घोषित की। पार्टी को 2410.08 करोड़ रुपए की आमदनी हुई, जो सभी पार्टियों की कुल आय का 65.16 प्रतिशत है। ये पिछले वित्त वर्ष में पार्टी द्वारा कमाई गई धनराशि में 1382.74 करोड़ यानी 134.59 प्रतिशत का इजाफा है।
 
आमदनी के मामले में 918.03 करोड़ रुपए के साथ दूसरे नंबर पर कांग्रेस रही। ये सभी पार्टियों की कुल आय का 24.82 प्रतिशत है। ये पिछले वित्त वर्ष की कमाई के मुकाबले 718.88 करोड़ यानी 360.97 प्रतिशत की बढ़ोतरी है।
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प्रतिशत के लिहाज से देखें तो आय में सबसे ज्यादा वृद्धि तृणमूल कांग्रेस ने दर्ज की। पार्टी ने पिछले वित्त वर्ष में महज 5.167 करोड़ रुपए कमाए थे लेकिन वित्त वर्ष 2018-19 में पार्टी ने 192.65 करोड़ रुपए कमाए, जो 3628.47 प्रतिशत की वृद्धि है।
 
पार्टियों के खर्च की तरफ ध्यान दें तो नजर आता है कि बीजेपी ने अपनी 2410.08 करोड़ रुपए की आय में से सिर्फ 41.71 प्रतिशत यानी 1005.33 करोड़ रुपए खर्च किए, वहीं कांग्रेस ने अपनी कुल आय में से 51.19 प्रतिशत, तृणमूल कांग्रेस ने महज 5.97 प्रतिशत और सीपीएम ने अपनी कुल आय का 75.43 प्रतिशत खर्च किया।
 
चुनावी बॉण्ड की तमाम आलोचनाओं के बावजूद पार्टियों की कमाई में चुनावी बॉण्ड का बड़ा हाथ रहा है। 6 राष्ट्रीय पार्टियों की कुल आय में से 52 प्रतिशत से भी ज्यादा चुनावी बॉण्ड से आई। 6 राष्ट्रीय पार्टियों में से अकेले बीजेपी, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने चुनावी बॉण्ड से कुल 1931.43 करोड़ रुपए हासिल किए। इनमें से बीजेपी ने 1450.89 करोड़ रुपए, कांग्रेस ने 383.26 करोड़ और तृणमूल कांग्रेस ने 97.28 करोड़ रुपए कमाए।
 
एडीआर का कहना है कि चुनावी बॉण्ड राष्ट्रीय पार्टियों को चंदा देने का सबसे लोकप्रिय जरिया बन गया है, क्योंकि उसके तहत चंदा देने वाले का नाम गुप्त रहता है। क्षेत्रीय पार्टियों ने भी चुनावी बॉण्ड से 490.59 करोड़ रुपए कमाए।
 
एडीआर ने यह भी कहा है कि कुछ राष्ट्रीय पार्टियों ने चुनावी बॉण्ड योजना की कड़ी आलोचना की है और उस पर काफी चिंता जताई है। लेकिन विडंबना यह है कि इन पार्टियों ने भी चुनावी बॉण्ड के जरिए चंदा लिया है। एक राष्ट्रीय पार्टी ने तो योजना के खिलाफ एक जनहित याचिका भी दायर की है।
 
मोदी सरकार वित्त वर्ष 2017-18 में चुनावी बॉण्ड योजना को लेकर आई थी। सरकार की दलील थी कि इससे चुनावी फंडिंग में कालेधन का इस्तेमाल खत्म होगा और चुनाव लड़ने वाली पार्टी साफ धन का इस्तेमाल कर पाएगी।
 
हालांकि राजनीतिक विश्लेषक इस बात से सहमत नहीं हैं कि बॉण्ड से राजनीति स्वच्छ होगी। उनका मानना है कि जो भी दल सत्ता में रहेगा, उसके खाते में ही अधिक राशि जाने की संभावना बनी रहेगी। कई छोटे दलों का कहना है कि आमतौर पर लोग छोटे दलों को नकद में ही चंदा देते हैं और बॉण्ड की योजना की वजह से उन्हें चंदा मिलना कम हो जाएगा या बंद हो जाएगा।
 
-रिपोर्ट चारु कार्तिकेय

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