-रिपोर्ट : पाउल क्रात्स
electric vehicles: ई वाहनों की बिक्री बढ़ी है, टायर उद्योग ने अपेक्षाकृत भारी, प्रभावशाली और बिना शोर करने वाली कारों की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने प्रॉडक्ट को नया रूप दिया है। इसके बावजूद यह उद्योग एक बड़ी समस्या से जूझ रहा है। किसी भी कार के लिए टायर काफी मायने रखता है। टायर पर ही कार का पूरा वजन होता है और यह कार को सड़क के साथ संपर्क बनाए रखने में मदद करता है।
कार बिना फिसलन के तेजी से सड़कों पर दौड़ सके, मुड़ सके और जरूरत के वक्त ब्रेक लगाने पर रुक जाए, इसके लिए जरूरी है कि सड़क पर टायर की पकड़ मजबूत हो। हालांकि कार चलाने के दौरान ऊर्जा की खपत कम हो, इसके लिए जरूरी है कि टायर कम रोलिंग प्रतिरोधी हो। सामान्य शब्दों में कहें, तो टायर आसानी से सड़क पर घूम सके।
टायर निर्माताओं के लिए सही टायर बनाना एक अंतहीन कार्य है। सही टायर का मतलब है कि जो लंबे समय तक चले और कार को बेहतर तरीके से संतुलित भी रखे। हाल के वर्षों में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) का इस्तेमाल बढ़ने से उनका काम और भी जटिल हो गया है।
इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए अलग टायरों की जरूरत क्यों?
ईवी में काफी बड़ी-बड़ी बैटरियां होती हैं। इस वजह से अन्य ईंधन से चलने वाले कारों की तुलना में ईवी काफी भारी होते हैं। उदाहरण के लिए, फोल्क्सवागेन का ई-गोल्फ (ईवी), पेट्रोल से चलने वाले गोल्फ वीआईआई की तुलना में 400 किलोग्राम ज्यादा भारी है। यह अतिरिक्त भार कार के टायरों पर पड़ता है। इसलिए, ईवी के लिए ऐसे टायरों की जरूरत होती है जो ज्यादा मजबूत हों।
जीवाश्म ईंधन वाले इंजन की तुलना में ईवी में अधिक टॉर्क होता है। इसलिए, ये गाड़ियां तुरंत रफ्तार पकड़ लेती हैं। ऐसे में इनमें इस्तेमाल किए जाने वाले टायर भी इस तरह के होने चाहिए जो तुरंत रफ्तार पकड़ने में मदद कर सकें।
टायर बनाने वाली प्रमुख कंपनियां ईवी की जरूरतों को पूरा करने के लिए, टायर के डिजाइन में सुधार करने और नए रासायनिक फॉर्मूले खोजने पर काम कर रही हैं। कुछ ब्रांड ने बैटरी से चलने वाले वाहनों के लिए खास प्रॉडक्ट तैयार किए हैं। वहीं अन्य का कहना है कि उन्होंने अपने टायरों को इस तरह बनाया है कि वे सभी तरह की गाड़ियों में बेहतर तरीके से काम कर सकें।
टायर निर्माता कंपनी कॉन्टिनेंटल के एक प्रवक्ता ने अपने बयान में डीडब्ल्यू को बताया कि हम लंबे समय से अपने प्रॉडक्ट को बेहतर बनाने के लिए काम कर रहे हैं, ताकि वे ज्यादा समय तक इस्तेमाल किए जा सकें, सड़कों पर उनकी पकड़ मजबूत हो, बेहतर तरीके से काम कर सकें और उनके घूमने पर ज्यादा शोर न हो। ये ऐसे कारक हैं जो इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए विशेष तौर पर लाभकारी हैं।
टायर से प्रदूषण कैसे फैलता है?
कारों से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों को ध्यान में रखते हुए मुख्य रूप से यह देखा जाता है कि उनसे होने वाला उत्सर्जन वायु को कितना प्रदूषित कर रहा है। कार के पिछले हिस्से में मौजूद टेलपाइप से यह पता लगाया जाता है। जबकि, टायर भी काफी ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं, जिस पर शायद ही लोगों का ध्यान जाता है।
समय के साथ टायर खराब हो जाते हैं। टायर जब भी घूमते हैं, तो उनसे छोटे-छोटे कण निकलते हैं। इनमें से सबसे छोटे टुकड़े हवा में मिल जाते हैं, जहां से वे सांस के जरिए शरीर के अंदर जा सकते हैं या सड़क से बहकर पास की मिट्टी पर जमा हो सकते हैं।
एमिशन एनालिटिक्स कंपनी के संस्थापक और सीईओ निक मोल्डन ने डीडब्ल्यू को बताया कि गाड़ियों के लिए टायर का इस्तेमाल शायद सबसे गंभीर समस्या है। आप किसी तरह के फिल्टर या उत्प्रेरक का इस्तेमाल करके कई अन्य तरह के प्रदूषण को प्रभावी ढंग से रोक सकते हैं, लेकिन टायर मूल रूप से खुला हुआ सिस्टम है। आप टायर को घेर नहीं सकते।
एमिशन एनालिटिक्स कंपनी स्वतंत्र रूप से कार की जांच करती है। वह कार के टेलपाइप से होने वाले उत्सर्जन के साथ-साथ टायर से होने वाले प्रदूषण की भी जांच करती है। इस कंपनी ने जो डाटा इकट्ठा किया है उससे यह पुष्टि होती है कि कार के टेलपाइप से होने वाले उत्सर्जन की तुलना में टायर के कण ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं।
एमिशन एनालिटिक्स ने एक रिपोर्ट शेयर की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ एक कार से प्रतिवर्ष औसतन 4 किलोग्राम टायर के कण निकलते हैं। वैश्विक स्तर पर बात करें, तो यह सालाना 60 लाख टन टायर कणों के बराबर है।
मोल्डन ने बताया कि हम सड़क पर टेलपाइप से निकलने वाले ठोस पदार्थ की मात्रा को मापते हैं। साथ ही, यह भी मापते हैं कि टायर का वजन कितना कम हुआ। हर साल टेलपाइप से उत्सर्जित होने वाली मात्रा कम होती जा रही है और टायरों से निकलने वाले कण की मात्रा बढ़ती जा रही है,, क्योंकि वाहन भारी होते जा रहे हैं।
एमिशन एनालिटिक्स ने जो केस स्टडी प्रकाशित की है उसमें टेस्ला मॉडल वाई के टायर से निकलने वाले कण की तुलना किआ निरो से की गई है। इसमें पाया गया कि टेस्ला के टायर का घिसाव 26 फीसदी ज्यादा था।
पर्यावरण के लिए खतरा
टायर से निकलने वाले कण पर्यावरण पर 2 मुख्य तरीकों से नकारात्मक असर डाल रहे हैं। ये कण पानी में बह जाते हैं और समुद्रों तक पहुंच जाते हैं। ये समुद्री माइक्रोप्लास्टिक के महत्वपूर्ण स्रोत के तौर पर पाए गए हैं। इसके अलावा, टायरों में वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड (वीओसी) होते हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं और वातावरण में प्रतिक्रिया करके धुआं पैदा करते हैं।
टायरों को बनाने के लिए जिस 6पीपीडी रसायन का इस्तेमाल किया जाता है वह भी विशेष रूप से चिंताजनक है। यह रसायन रबर को टूटने से बचाता है। 6पीपीडी पानी में घुलनशील होता है। इसलिए, यह बारिश के पानी के साथ सड़कों से बहकर नदियों और महासागरों में चला जाता है। बड़ी संख्या में सालमन और ट्राउट मछली के मरने के पीछे भी इसी रसायन को जिम्मेदार माना गया है।
अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि 6पीपीडी को लेट्यूस (सलाद पत्ता) जैसे पौधे अवशोषित कर लेते हैं और यह कंपाउंड मानव मूत्र में पाया जा सकता है।
टायर बनाने वाली कंपनी ब्रिजस्टोन ने डीडब्ल्यू को बताया कि टायर उद्योग का मिशन यह सुनिश्चित करना है कि लोग तनाव मुक्त होकर आरामदायक यात्रा कर सकें। इस वजह से टायर के रबर में 6पीपीडी का इस्तेमाल करना जरूरी है।
क्या टायरों से होने वाले प्रदूषण की समस्या हल की जा सकती है?
जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए जीवाश्म ईंधन वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाना मौजूदा समय में जरूरी हो गया है। हालांकि अगर ऐसा करने से टायर से होने वाले प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक स्तर पर पहुंचती है, तो यह भी एक बड़ी समस्या है।
जलवायु कार्यकर्ता तात्सियो म्यूलर ने डीडब्ल्यू को बताया कि एक समाधान यह है कि कम कारें चलायी जाएं और बेची जाएं। इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने का उद्देश्य यह विश्वास दिलाना है कि इससे धरती को बचाने में मदद मिलेगी, लेकिन निश्चित रूप से ऐसा नहीं है, क्योंकि पूंजीवादी विकास हमेशा से ही एक समस्या रही है।
यह पूछे जाने पर कि क्या कुल मिलाकर कार का इस्तेमाल कम करना टायरों से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने का सबसे अच्छा समाधान है, मोल्डन ने डीडब्ल्यू को बताया कि हां, इससे टायर से होने वाले प्रदूषण में कमी आएगी।
लेकिन अर्थव्यवस्था का जो नुकसान होगा क्या वह सही रहेगा? इस पर मोल्डन ने बताया कि बेहतर यह होगा कि एक बाजार तंत्र बनाया जाए जहां टायर कंपनियां अपने हित के लिए काफी ज्यादा निवेश करें और बेहतर फॉर्मूला ईजाद करें। मौजूदा समय में वीओसी के मामले में कुछ टायरों के बीच 2 से तीन गुना अंतर है। आम तौर पर यूरोप के प्रमुख टायर ब्रांड सबसे अच्छे होते हैं जबकि सस्ते आयातित टायर सबसे खराब होते हैं।
टायर के घिसाव को कम करने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर भी प्रयास किए जा सकते हैं। जैसे, ज्यादा तेज कार न चलाएं और अचानक ब्रेक लगाने से परहेज करें। साथ ही, टायरों को जब तक हो सके, तब तक इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि नए टायर पहले कुछ हजार किलोमीटर के दौरान दोगुने से अधिक कण छोड़ते हैं।(प्रतीकात्मक चित्र)