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रोहिंग्या मुसलमानों को आतंकवादी बना रहा है पाकिस्तान?

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, मंगलवार, 20 दिसंबर 2016 (10:43 IST)
इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप संस्था ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसके अनुसार अक्टूबर में म्यांमार में एक बड़े हमले को अंजाम देने वाले रोहिंग्या मुसलानों के तार पाकिस्तान और सऊदी अरब से जुड़े हैं।
म्यांमार के सुरक्षा बलों पर किए गए इस हमले में नौ सुरक्षाकर्मी मारे गए। इसके बाद सुरक्षा बलों ने पश्चिमी रखाइन प्रांत में रोहिंग्या लोगों के खिलाफ कार्रवाई की और इस दौरान कथित तौर पर 86 लोग मारे गए और लगभग 27 हजार रोहिंग्या लोग भागकर बांग्लादेश जाने को मजबूर हुए।
 
अक्टूबर में हुए हमले की जिम्मेदारी हाराका अल याकीन नाम के एक गुट ने ली, जो 2012 में रखाइन में हुई व्यापक साप्रदायिक हिंसा के बाद बना था। ब्रसेल्स स्थित इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप (आईसीजी) ने इस गुट के कई सदस्यों से बातचीत के आधार पर कहा है कि उनके तार सऊदी अरब और पाकिस्तान से जुड़े हैं।
 
आईसीजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान समेत कई देशों में लड़ चुके रोहिंग्या लड़ाके गुपचुप तरीके से दो साल से रखाइन प्रांत के गावों में लोगों को ट्रेनिंग दे रहे थे। रिपोर्ट कहती है, "उन्होंने हथियार चलाने और गुरिल्ला युद्ध के तौर तरीकों की ट्रेनिंग दी। हाराका अल याकीन के सदस्यों और ट्रेनिंग लेने वाले दूसरे लोगों को विस्फोट और आईईडी के बारे में भी सिखाया गया है।”
 
आईसीजी की रिपोर्ट में अता उल्लाह को हाराका अल याकीन का नेता बताया गया है जिसका जन्म पाकिस्तान के कराची शहर में एक प्रवासी रोहिंग्या परिवार में हुआ। बाद में वह सऊदी अरब के शहर मक्का में चला गया।

तालिबान, इस्लामिक स्टेट और भारतीय उपमहाद्वीप में अल कायदा जैसे चरमपंथी संगठन अकसर म्यांमार में रोहिंग्या मुसमलानों के खिलाफ होने वाली हिंसा की निंदा करते रहे हैं और वहां के अधिकारियों और बहुसंख्यक बौद्ध लोगों के खिलाफ जिहाद करने की बात कहते रहे हैं।
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डीडब्ल्यू ने आईसीजी की रिपोर्ट के सिलसिले में इसके पूर्व एशिया डायरेक्टर टिम जॉन्स्टन से बात की। जब उनसे पूछा गया कि रोहिंग्या चरमपंथियों के संबंध पाकिस्तान और सऊदी अरब से होने की बात का कैसे पता चला, तो उन्होंने कहा, "हमने हमलों में शामिल लोगों से बात की और इसके अलावा भी कई अन्य सूत्रों से हमें जानकारी मिली है। हमें मजबूत संकेत मिलते हैं कि हाराका अल याकीन का नेतृत्व सऊदी शहर मक्का और मदीना से काम करता है। गुट का नेता अता उल्ला सऊदी अरब जाने से पहले पाकिस्तान में ही रहता था। ऐसा लगता है कि कुछ लड़ाकों को पाकिस्तान और अफगानिस्तान में ट्रेनिंग मिली है। लेकिन हमें अभी तक पूरी तरह स्पष्ट ब्यौरा नहीं मिला है।”
 
क्या म्यांमार आईसीजी की रिपोर्ट में रोहिंग्या हमलावरों के तार पाकिस्तान और सऊदी अरब से जोड़े जाने का इस्तेमाल रखाइन प्रांत में अपनी कार्रवाई को उचित ठहराने के लिए कर सकता है? इस सवाल के जबाव में टिम जॉन्स्टन कहते हैं, "साफ तौर पर आम लोगों को निशाना बनाए जाने को किसी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता। म्यांमार के अधिकारियों ने अब तक जो कार्रवाई की है वो विदेशी पक्ष को देखते हुए नहीं की गई है, लेकिन हां, दुनिया भर में चलन रहा है कि सरकारें अकसर विदेशी हाथ की तरफ उंगली उठाती रही हैं। लेकिन अगर आम लोगों पर किसी कार्रवाई को ऐसे उचित ठहराया जाता है तो यह गलत होगा।”
 
म्यांमार रोहिंग्या लोगों को अपना नागरिक नहीं मानता है और उन्हें बुनियादी अधिकारों से वंचित रखा जाता है। भेदभाव और प्रताड़ना का शिकार होकर बहुत से रोहिंग्या लोग अपनी जान जोखिम में डालकर वहां से भाग रहे हैं। उनके दयनीय हालात को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र उन्हें दुनिया के सबसे प्रताड़ित लोग कहता है।
 
रिपोर्ट: शामिल शम्स

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