Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

हिंदी में बोलकर सुषमा स्वराज ने गलती की: रामचंद्र गुहा

Advertiesment
हमें फॉलो करें Sushma Swaraj
, बुधवार, 28 सितम्बर 2016 (12:23 IST)
संयुक्त राष्ट्र में दिया सुषमा स्वराज का भाषण अगर अंग्रेजी में होता तो क्या ज्यादा असरदार होता? इतिहासकार रामचंद्र गुहा ऐसा ही मानते हैं।
भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का संयुक्त राष्ट्र में दिया जोरदार भाषण चर्चा में है। सोशल मीडिया रह-रहकर उनके डायलॉग को दोहरा रहा है कि जिनके घर शीशे के होते हैं वे दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकते। लेकिन इतिहासकार रामचंद्र गुहा कहते हैं कि उन्हें हिंदी में बोलना ही नहीं चाहिए था। गुहा ने ट्वीट कर कहा कि स्वराज तो अंग्रेजी में भी अच्छा भाषण देती हैं फिर उन्होंने हिंदी में भाषण क्यों दिया।
 
गुहा का तर्क है कि हिंदी में बोलने से भारतीय तो प्रभावित हो जाते हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बात उस प्रभावशाली तरीके से नहीं पहुंच पाती, जिसकी जरूरत है। उन्होंने लिखा है, "पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देता है। भारत का पक्ष बेहद मजबूत है। सुषमाजी अंग्रेजी में अच्छी तरह बोल सकती हैं। हिंदी में बोलना एक गलती थी।"
 
स्वराज का भाषण कोई पहली बार चर्चा में नहीं आया है। यूएन में दुनियाभर के सामने उन्होंने पाकिस्तान को खरी-खोटी सुनाई और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया से कहा जा सकता है कि हर भारतीय का सीना फख्र से फूला हुआ है। लेकिन एक सवाल यह भी है कि इस जोरदार भाषण से कुछ हासिल होगा या नहीं। वरिष्ठ पत्रकार शिवम विज ने एनडीटीवी चैनल की एक चर्चा में कहा, "ऐसा ही जोरदार भाषण तो सुषमा स्वराज ने पिछले साल भी दिया था। तब नवाज शरीफ के चार सूत्रीय कार्यक्रम की पेशकश के जवाब में स्वराज ने कहा था, एक ही सूत्र काफी है आतंकवाद का समर्थन बंद कर दीजिए। लेकिन इन जोरदार भाषणों से हासिल क्या हो रहा है?"
 
जानकार मानते हैं कि भारत आतंकवाद से अपनी परेशानी को दुनिया तक पहुंचाने में नाकाम हो रहा है। यह सच है कि यूएन में ज्यादातर देशों ने आतंकवाद पर बात तो की लेकिन पाकिस्तान का नाम तक नहीं लिया। यहां तक कि श्रीलंका और नेपाल जैसे भारत के पड़ोसी देशों तक ने पाकिस्तान का नाम नहीं लिया जबकि नेपाल के विदेश मंत्री ने तो फलीस्तीनी लोगों का समर्थन भी किया। विज ने कहा कि दुनिया भारत और पाकिस्तान के इस झगड़े से तंग आ चुकी है और उसके सामने इस वक्त और ज्यादा बड़े झगड़े हैं जो उनकी प्राथमिकता हैं। उन्होंने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय महाशक्ति बनने की बात तो करता है लेकिन उसका पूरा वाद-विवाद पाकिस्तान के इर्द-गिर्द सिमटा हुआ है और अंतरराष्ट्रीय समस्याओं पर उसकी हां या ना कहीं नहीं है।
 
इतिहासकार रामचंद्र गुहा इसी बात को इस तरह कहते हैं कि हिंदी में बोलना सुषमा स्वराज की एक गलती थी। उनका ट्वीट है, "हिंदी बोलने से आजतक या टाइम्स नाउ तो प्रभावित हो जाते हैं लेकिन भारत को अगर अपनी बात दुनिया को सुनानी है तो फिर उसी की जबान में बोलना होगा।"
 
- विवेक कुमार

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

एक बहादुर भारतीय जनरल, जिसे वीर चक्र भी नहीं मिला